राजस्थान की प्रमुख स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण योजनाएँ

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1. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)

  • देश की गरीब एवं ग्रामीण जनता तक स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन 30 मई, 2005 को प्रारम्भ किया गया है।
  • कार्यकाल-परियोजना 30 मार्च, 2012 को समाप्त होगी।

NRHM के उद्देश्य

  • (A) ग्रामीणों विशेषकर समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
  • (B) शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाना।
  • (C) जनसंख्या स्थिरीकरण, लिंग एवं जनसांख्यिकीय संतुलन सुनिश्चित करना।
  • (D) प्रजनन स्वास्थ्य एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता एवं कवरेज में सुधार।
  • (E) स्थानीय महामारियों सहित संक्रामक व गैर संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण।
  • (F) महिला स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, जल सफाई एवं स्वच्छता, प्रतिरक्षण और पोषण जैसी जनस्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए सुलभ बनाना।

2. ग्राम स्वास्थ्य योजना —

  • अपने घर-मोहल्ले और गाँवों को साफ-सुथरा रखने व समय पर रोग प्रतिरोधक दवाइयाँ लेने के क्रम में पंचायतराज संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु ‘ग्राम स्वास्थ्य योजना’ की शुरुआत हुई।
  • इस योजनान्तर्गत जो भी ग्राम पंचायत टीकाकरण, प्रसव पूर्व जाँच, संस्थागत प्रसव, सही उम्र में विवाह एवं जन्म-मृत्यु पंजीकरण के निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करती है, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। . प्रत्येक जिले में निर्धारित मानदण्डों को पूरा करने वाली प्रथम ग्राम पंचायत को 5 लाख तथा द्वितीय आने वाली पंचायत को 3 लाख रुपए व अन्य पंचायतों को 1 लाख रुपए पुरस्कार दिया जाता है।

3. नसबन्दी कराने पर नकद भुगतान प्रोत्साहन योजना–

  • नसबन्दी कराने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकारी चिकित्सालय में नसबन्दी कराने पर प्रत्येक पुरुष एवं महिलाओं को क्रमशः 1100 रुपए एवं 600 रुपए का भुगतान किया जाता है। नसबंदी हेतु प्रेरित करने वाले प्रेरक को भी क्रमशः 200 एवं 150 रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिये जाते हैं।

4. जनसंख्या स्थायीकरण कार्यक्रम —

  • मातृ-शिशु मृत्यु दर और प्रजनन दर कम करने व अवयस्क लड़की की शादी नहीं करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश के चयनित दो-दो जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
  • इस योजनान्तर्गत राज्य के झालावाड़ व टोंक जिलों का चयन किया गया है।

5. किशोर प्रजनन एवं यौन/लैंगिक स्वास्थ्य (ARSH)–

  •  यह RCH-II का एक अति महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। किशोरियों एवं महिलाओं को स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लक्ष्य से यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्यक्रम चल रहे हैं

(i) किशोर मित्र स्वास्थ्य सेवा (AFHS)

  • यह कार्यक्रम राजस्थान के 8 जिलों-अजमेर, अल भरतपुर, करौली, भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौडगाव उदयपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एवं प्राथमिक स्वा केन्द्र में चलाया जा रहा है।

6. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेक्टर इन्वेस्टमेंट कार्यक्रम–

  • यूरोपियन आयोग के सहयोग से भारत सरकार के माध्यम से राज दो जिलों-बाड़मेर एवं जालौर में (जून, 2001) से पायल प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई योजना जिसमें अक्टूबर, 2003 से अन्य जिलों पाली, जोधपुर, जैसलमेर, नागौर, बीकानेर दूंगरपुर, बाँसवाड़ा एवं सिरोही को शामिल किया गया।

7. प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम (RCH Programme)–

  • अप्रैल, 2005 में इस कार्यक्रम का द्वितीय चरण (RCH-II) भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से प्रारम्भ किया गया है। जिसका उद्देश्य प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता व कवरेज में सुधार कर मातृ एवं बाल मृत्यु दर को कम करना तथा जनसंख्या स्थायित्व को प्राप्त करना है।

8. मुख्यमंत्री बालिका सम्बल योजना —

  • राज्य में गिरते लिंगानुपात को रोकने एवं बालिकाओं के सर्वांगीण विकास करने के साथ ही उन्हें आर्थिक सम्बल प्रदान करने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई इस योजना में 5 साल तक का बालिकाओं के लिए 10 हजार रु. का य.टी.आई. का बाण्ड दिया जाता है।
  • इस अनुपम योजना का शुभारम्भ 13 अगस्त, 2007 जोधपुर में किया गया।

9. वन्दे मातरम् योजना–

  • गर्भवती महिलाओं की हर माह निःशुल्क जाँच कराने की सुविधा हेतु निजी चिकित्सालयों (वन्दे मातरम् क्लिनिक) पर फरवरी, 2004 में प्रारम्भ की गई योजना, जिसमें हर माह की 9 तारीख को निःशुल्क जाँच कर उन्हें आयरन, फॉलिक एसिड एवं परिवार कल्याण संसाधन निःशुल्क दिए जाते हैं।
  • यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा फेडरेशन ऑफ आब्सटेट्रिक्स एवं गायनोकोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया’ (फोगसी) के सहयोग
    से शुरू की गई है।

10. एकीकृत जनसंख्या एवं विकास परियोजना (IPD:-Integrated Population Development Project)

  • राज्य के–अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, करौली, चित्तौड़गढ़ एवं उदयपुर जिलों में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की सहायता से 1 जनवरी, 1999 से यह परियोजना क्रियान्वित की जा रही है।
  • प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई इस योजना में भीलवाड़ा व राजसमंद जिले को भी शामिल किया गया !

11. राजीव गाँधी जनसंख्या मिशन–

  • जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को नया रूप देने के लिये तथा इसके लिये कार्य योजना बनाने एवं इसका मूल्यांकन करने के लिए राजीव गाँधी जनसंख्या मिशन की स्थापना 5 जुलाई, 2001 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में की गई। इस मिशन की 17 सितम्बर, 2002 की बैठक में जनसंख्या नीति के अनुसार आवश्यक प्रजनन दर 2016 के स्थान पर वर्ष 2011 में प्राप्त करने का निर्णय लिया गया।

12. पंचायत, नगर पालिका व सहकारिता कानून में संशोधन-

  • सरकार द्वारा 26 नवम्बर, 1995 के पश्चात् दो से अधिक बच्चों वाले दम्पत्तियों के सहकारी संस्थाओं, पंचायती राज संस्थाओं व नगरपालिकाओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि चुने जाने के बाद वे उपरोक्त निर्योग्यता प्राप्त करते हैं तो उन्हें सम्बन्धित पद धारण के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है।

13. अरबन RCH-II —

  • राज्य में जनसंख्या स्थायित्व, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हेतु RCH-II के अन्तर्गत 8 शहरी क्षेत्र-जयपुर (14), अलवर (2), भरतपुर (2), जोधपुर (5), कोटा (5), बीकानेर (5), उदयपुर (5) तथा अजमेर (5) में कुल 43 प्रथम टीयर अस्पताल कच्ची बस्तियों में खोलने का निर्णय लिया गया। इन केन्द्रों का संचालन चयनित गैर सरकारी संगठनों के द्वारा किया जा रहा है।

14. विकल्प योजना–

  • जनसंख्या नियंत्रण व परिवार कल्याण हेतु यह योजना टोंक व दौसा जिलो में 11 मार्च, 1995 को शुरू की गई थी। विकल्प की इस रणनीति को अब सारे प्रदेश में लागू किया गया है। इसमें महिला स्वास्थ्य, गर्भ निरोधक उपायों के सामाजिक विपणन, दम्पत्तियों की सुविधा के अनुसार परिवार कल्याण कार्यक्रम का क्रियान्वयन आदि उद्देश्य रखे गए हैं।

15. सुरक्षित मातृत्व लाभ परियोजना–

  • यूनिसेफ एवं बिलगेट्स फाउण्डेशन के सहयोग से मातृ मृत्यु दर में कमी लाने हेतु यह परियोजना राज्य के उन दस जिलों में सन् 2000 से प्रारम्भ की गई है, जिनमें बाह्य सहायता प्राप्त कोई परियोजना तत्समय नहीं चल रही थी।

16. शहरी गरीब गर्भवती महिलाओं को मिड-डे मील-

  • राज्य सरकार द्वारा शहरी गरीब, गर्भवती और धात्री महिलाओं को भी मिड-डे मील उपलब्ध कराने की इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त, 2006 से की गई है।
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