बल क्या है? - परिभाषा, इकाई, प्रकार, सूत्र, अनुप्रयोग | ExamSector
बल क्या है? – परिभाषा, इकाई, प्रकार, सूत्र, अनुप्रयोग

बल क्या है? – परिभाषा, इकाई, प्रकार, सूत्र, अनुप्रयोग

Bal Kya Hai or Types of Force in Hindi

बल (Force)

  • वह बाह्य कारक (धक्का / खिंचाव ) जो किसी पिण्ड के रूप व आकार या स्थिति में परिवर्तन कर सकता है या किसी पिण्ड की विरामावस्था या एकसमान गति की अवस्था में परिवर्तन कर सकता है या परिवर्तन करने की प्रवृत्ति रखता है, बल कहलाता है। दैनिक जीवन में बलों का उपयोग वस्तुओं को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान तक ले जाने, खींचने, धकेलने, मोड़ने तथा दबाने में किया जाता है।
  • बल एक सदिश राशि है । इसका SI मात्रक न्यूटन तथा CGS मात्रक डाइन होता है।

अतः   –    1 न्यूटन = 1 किग्रा-मी/से2

1 न्यूटन = 108 डाइन

  • एक न्यूटन, बल का वह परिमाण है, जो किग्रा द्रव्यमान की वस्तु में 1 मी/से2 का त्वरण उत्पन्न एक देता है। उदाहरण बल के द्वारा खेल के मैदान में स्थिर रखी फुटबॉल को किक मारकर गतिशील बनाया जा सकता है, एक बक्से को फर्श से उठाया जा सकता है, रबर बैंड को खींचा जा सकता है, आदि।

प्रकृति में उपस्थित मूलभूत बल (Basic Forces in Nature)

मुख्यतः प्रकृति में चार प्रकार के मूलभूत बल उपस्थित होते हैं

(i) गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Forces)

  • प्रत्येक कण दूसरे कण को स्वयं के द्रव्यमान के कारण आकर्षित करते हैं। इस प्रकार दो कणों के बीच लगे आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। यह सभी मौजूदा बलों के बीच सबसे कमजोर बल है। यह सभी हल्की और छोटी वस्तुओं के लिए नगण्य होता है, परन्तु यह सभी खगोलीय पिण्डों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  • गुरुत्वाकर्षण बल दो वस्तुओं के बीच की दूरी पर भी निर्भर करता है।

(ii) दुर्बल नाभिकीय बल (Weak Nuclear Forces)

  • ये बल, रेडियोसक्रियता के दौरान निकलने वाले B+ – कण के उत्सर्जन के फलस्वरूप अस्तित्व में आता है।
  • यह लघु जीवनकाल वाले प्राथमिक कणों के बीच लगने वाला बल है। दुर्बल नाभिकीय बल, गुरुत्वाकर्षण बल से 1025 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।

(iii) विद्युतचुम्बकीय बल (Electromagnetic Forces)

  • विद्युतीय तथा चुम्बकीय बलों को सम्मिलित रूप से विद्युतचुम्बकीय बल कहते हैं। दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाले बल को स्थिरवैद्युत बल कहते हैं। इस प्रकार के बल में सजातीय (like) आवेश एक-दूसरे को विकर्षित करते हैं तथा विजातीय (unlike) आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। यह कूलॉम का नियम कहलाता है।
  • इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन सजातीय तथा आवेशित कण होते हैं। जबकि चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेशित कण पर लगने वाला बल चुम्बकीय बल है। विद्युतचुम्बकीय बल, गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक शक्तिशाली होता है तथा यह परमाणु और आणविक पैमाने पर होने वाली सभी घटनाओं में श्रेष्ठ होता है।

(iv) प्रबल नाभिकीय बल (Strong Nuclear Forces)

  • यह नाभिक के अन्दर दो प्रोटॉन या प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन के बीच लगने वाला आकर्षण बल है। यह बल अतिलघु परास बल है तथा इसका परास 10-15 मी की कोटि का होता है। यह बल कण के आवेश पर निर्भर नहीं करता है। बल का आवेग, सन्तुलित, असन्तुलित बल, घर्षण बल, अभिकेन्द्र बल तथा अपकेन्द्र बल प्रबल बल के अन्तर्गत आते हैं।
  • यह बल प्रकृति में उपस्थित सभी बलों में से सबसे शक्तिशाली बल है। यह गुरुत्वाकर्षण बल से 1038  गुना, स्थिर वैद्युत बल से 102 गुना तथा दुर्बल नाभिकीय बल से 1013 गुना अधिक शक्तिशाली बल हैं।

प्रकृति में मूलभूत बल (Fundamental Forces in Nature)

क्र.सं. (S.No.) नाम (Name) आपेक्षिक सामर्थ्य (Relative strength) परास (Range) संचालित (Operates)
1. गुरुत्वाकर्षण बल 1 अनन्त अन्तरिक्ष में सभी वस्तु
2. दुर्बल नाभिकीय बल 1025 उपनाभिकीय बहुत छोटा आकार 10-15 मी कुछ कण जैसे- प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन
3. वैद्युतचुम्बकीय बल 1016 अधिक बड़ा नहीं आवेशित कण
4. प्रबल नाभिकीय बल 1038 अत्यधिक छोटा नाभिक आकार = 10-15 मी न्यूक्लिऑन, भारी मूलभूत कण

बलों के प्रकार (Types of Forces)

  • बल दो प्रकार के होते हैं

(i) सन्तुलित बल (Balanced Force)

  • जब किसी वस्तु पर एक साथ कई बल कार्य कर रहे हों और उनका परिणामी बल शून्य हो, तो उन बलों को सन्तुलित बल कहते हैं । सन्तुलित बलों से वस्तु की आकृति बदल जाती है । उदाहरण यदि एक गुटके को दोनों तरफ समान बल लगाकर परस्पर विपरीत दिशा में खींचा जाता है, तब गुटके में कोई गति नहीं होती है। अतः गुटके पर लगे बल सन्तुलित बल कहलाते हैं।

(ii) असन्तुलित बल (Unbalanced Force)

  • जब किसी वस्तु पर लगे अनेक बलों का परिणामी बल शून्य न हो, तो उन बलों को असन्तुलित बल कहते हैं। उदाहरण रस्साकशी में यदि एक टीम दूसरी टीम से अधिक शक्तिशाली है, तो वह रस्से तथा कमजोर टीम दोनों को अपनी ओर खींच लेती है। इस दशा में रस्से पर लगने वाला बल असन्तुलित बल है।

■ यदि एक वस्तु एकसमान वेग से चल रही है, तब वस्तु पर लगने वाला बल सन्तुलित होगा, जबकि वस्तु पर कोई बाह्य बल न लगा हो।

■ यदि किसी वस्तु पर असन्तुलित बल लगा हो, तो वह वस्तु के वेग तथा गति की दिशा में परिवर्तन कर देता है। इस प्रकार वस्तु को त्वरित गति के लिए असन्तुलित बल की आवश्यकता होती है।

सम्पर्क बल तथा असम्पर्क या क्षेत्र बल (Contact Forces and Non-contact or Field Forces)

  • सम्पर्क में आई दो वस्तुएँ, एक दूसरे पर समान तथा विपरीत दिशा में बल लगाती हैं, ऐसे बलों को सम्पर्क बल कहते हैं। जबकि ऐसे बल, जिन्हें वस्तुओं के बीच किसी प्रकार के सम्पर्क की आवश्यकता नहीं होती उन्हें असम्पर्क या क्षेत्र बल कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल, वैद्युत स्थैतिक बल, चुम्बकीय बल इत्यादि, क्षेत्र बल के उदाहरण हैं।

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बल क्या है? – परिभाषा, इकाई, प्रकार, सूत्र, अनुप्रयोग FAQ  :- 

1.न्यूटन का गति का पहला नियम किससे संबंधित है:-
A. संवेग
B. जड़त्व
C.त्वरण
D. भार

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उत्तर ⇒ { B. जड़त्व }

2.न्यूटन का गति का दूसरा नियम किससे संबंधित है:-
A.संवेग
B.त्वरण
C.चाल
D.संवेग परिवर्तन की दर

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उत्तर ⇒ { D. संवेग परिवर्तन की दर }

3.न्यूटन के किस नियम से हमें बल की परिभाषा प्राप्त होती है:-
A.गति का पहला नियम।
B.गति का दूसरा नियम
C.गति का तीसरा नियम
D.इनमे से कोई नहीं

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उत्तर ⇒ { B. गति का दूसरा नियम }

4. F=ma न्यूटन के किस नियम को दर्शाता है:-
A.गति का पहला नियम
B.गति का दूसरा नियम
C.गति का तीसरा नियम
D.इनमें से कोई नहीं

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उत्तर ⇒ { B.गति का दूसरा नियम }

5.क्रिया-प्रतिक्रिया न्यूटन के गति के किस नियम से संबंधित है:-
A.पहला नियम
B.दूसरा नियम
C.तीसरा नियम
D.इनमें से कोई नहीं

उत्तर ⇒ ???????

Q. – बल का क्या होता है?

  • Ans. :- बल द्रव्यमान के साथ वस्तु पर परस्पर विरोधी क्रिया करता है। जो वस्तु के वेग ओर स्थान को बदलने में सहायक होता है। इसके लिए हम बल द्वारा वस्तुओं को खींचने हटाने में परिभाषित करते हैं।

Q. बल क्या है बल के प्रकार?

  • Ans.:- भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि।
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