ब्रायोफाइटा क्या है ? ब्रायोफाइटा के प्रमुख लक्षण , आर्थिक महत्व
bryophyta kya hai ? bryophyta ke pramukh lakshan
ब्रायोफाइटा (Bryophyta) वनस्पति जगत का एक बड़ा वर्ग है, जो एम्ब्रियोफाइटा का सबसे आम व आद्य समूह है। शैवाल (Algae) और टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) को पौधों के वर्गीकरण में ब्रायोफाइटा कहा जाता है। शैवाल से विकसित होने वाले पहले स्थलीय पौधे ब्रायोफाइटा हैं। डासोनियाँ, ब्रायोफाइटा का सबसे बड़ा पौधा, 40 से 70 सेमी ऊँचा होता है।
ब्रायोफाइटा के प्रमुख लक्षण , आर्थिक महत्व
ब्रायोफाइटा संवहन ऊतक विहीन एम्ब्रियोफाइट्स (non-vascular embryophytes) होते हैं। ये स्वतन्त्र युग्मकोदभिद (gametophytic) तथा पराश्रयी बीजाणुद्भिद (sporophytic) अवस्थाओं को प्रदर्शित करते हैं। ब्बायोफाइटा समूह के विभेदक लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1. आवास (Habitat)-ब्रायोफाइट्स को पादप जगत के उभयचर (amphibians of plant kingdom) कहा जाता है, क्योंकि यह भूमि पर जीवित रह सकते हैं लेकिन लैंगिक जनन के लिए बाह्य जल की उपस्थिति अनिवार्य होती है। ब्रायोफाइटा नम एवं छायादार स्थान पर, गीली मिट्टी, चड्टानों, पेड़-पौधों के तनों पर पाये जाते हैं। रिक्सिया फ्लूटेस जलीय ब्रायोफाइट्स हैं।
2. युग्मकोद्धि (Gametophyte) – यह पौधे के मुख्य काय को प्रदर्शित करती है। यह स्वपोषी (autotraphic) अवस्था है।
3. आकार (Size) – ये छोटे आकार के प्रथम स्थलीय पौधे होते हैं। सबसे छोटा ब्रायोफाइट जूपिस अर्जेन्टस (4-5) mm तथा सबसे बड़ा बायोफाइट डोसोनिया (60-70 cm}) होता है।
4. संवहन ऊतक (Vascular tissue) – इनमें संवहन ऊतकों जैसे जाइलम व फ्लोएम का अभाव होता है।
5. संरचना (Structure)-पादप शरीर या तो थैलाभ (thalloid) या पर्णाभ (foliose) होता है। थैलस शैवालों की अपेक्षा अधिक विकसित होता है तथा शयान (prostate) अर्थात् लेटा हुआ या सीधा (erect) हो सकता है। मुख्यकाय अगुणित (haploid) होता है। फोलिओज ब्रायोकाइट मे पत्ती सदृश उपागों वाले पौधे में अक्ष सदृश तना होता है। वास्तविक पत्तियाँ, तने एवं जड़ें अनुपस्थित होती हैं।
6. मूलाभास (Rhizoids) – पौधों के आधार भाग में एक कोशिकीय या बहुकोशिकीय तन्तुवत् संरचनाएँ मूलाभास (rhizoids) होती हैं। ये पौधों को भूमि में स्थिर रखने तथा जल अवशोषण (absorption) का कार्य करती हैं।
7. वर्धी प्रजनन (Vegetative reproduction) – यह सर्वाधिक रूप से पायी जाने वाली प्रजनन विधि है। वर्धी प्रजनन विखण्डन, अपस्थानिक कलिकाओं, ट्यूबर, अपस्थानिक शाखाओं, प्रोटोनीमा अथवा जैमी द्वारा होता है।
8. अलैंगिक प्रजनन (Asexual reproduction) – ब्रायोफाइट्स में अर्लैंगिक प्रजनन का प्रायः अभाव होता है।
9. लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction) – लैंगिक प्रजनन अण्डयुग्मकी (oogamous) प्रकार का होता है। नर जननांग एन्थीरीडियम (antheridium) तथा मादा जननांग आर्कीगोनियम (archegonium) कहलाते हैं जो बहुकोशिकीय संरचनाएं हैं। एन्थीरीडियम (antheridium) तथा आर्कीगोनियम (archigonium) का निर्माण एक ही थैलस पर अथवा अलग-अलग थैलसों पर होता है।
10. पुंधानी (Antheridium) – यह छोटी वृन्तयुक्त गोलाकार या गदाकार (club-shaped) संरचना है। इसके चारों ओर बन्ध्य कोशिकाओं (sterile cells) का जैकेट पाया जाता है। इसमें पुमणु मातृ कोशिकाओं से पुमपुओं (antherozoids) का निर्माण होता है। पुमणु द्विकशाभिकायुक्त चल संरचनाएँ होती हैं।
11. सीधानी (Archegonium) – यह फ्लास्क के आकार की संरचना है जो नलिकाकार प्रीवा तथा फूले हुए वेन्टर (venter) में विभेदित की जा सकती है। वेन्टर में एक अण्ड (oosphere) उपस्थित होता है।
12. निषेचन (Fertilization) – निषेचन जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु (antherozoids) जल में वैरकर अण्डधानी के मुख तक पहुँचते हैं। केवल एक पुमणु स्त्रीधानी (archegonium) में प्रवेश करके अण्ड से संयुजन करता है। इससे युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है।
13. श्रूण (Embryo) – भूण का निर्माण स्त्रीधानी (archegonium) के अन्दर होता है। यह विकसित होकर बीजाणुदभिद (sporophytc) को जन्म देता है।
14. बीजाणुद्भिद् (Sporophyte)-द्विगुणित (diploid) कोशिकाओं से बना बीजाणुद्भिद् पूर्ण या आंशिक रूप से युग्मकोद्भिद् (gametophyte) पर आंत्रित होता है। बीजाणुद्भिद् (sporophyte) प्राय: फुट, सीटा तथा संपुट (foot, seta and capsule) में विभेदित होता है। फुट एक अवशोषक रचना है। सीटा अवशोषित जल व पोषकों को संपुट तक पहुँचाता है तथा संपुट में बीजाणुओं का निर्माण होता है। बीजीणुओं का निर्माण स्पोरोफाइट की कोशिकाओं में न्यन्वरण विभाजन या मीओसिस (meiosis) द्वारा होता है।
15. बीजाणु (Spores)- बीजाणु अगुणित संरचना है। बीजाणुघानी के फटने पर इनका प्रकीर्णन होता है। बायोफाइट्स के कुछ वंशों में बीजाणु सीधे ही अंकुरण करके युग्मकोद्भिद्ध (gametophyte) बनाते हैं किन्तु कुछ वंशों में अंकुरण करके प्रोटोनीमा बनाते हैं जिनसे युग्मकोदभभिद का निर्माण होता है।
16. पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of generation) – बायोफाइटस के जीवनकाल में दो अवस्थाएँ युग्मकोदभिद्ध तथा बीजाणुदभिद होती है। ये दोनों एक-दूसरे का एकान्तरण करती हैं अर्थात् गेमीटोफाइट से स्पोरोफाइट व स्पोरोफाइट से गैमीटोफाइट बनता है। युग्मकोद्धिभ् स्वतन्तजीवी तथा अगुणित अवस्था को प्रदर्शित करती है जबकि बीजाणुद्धभिद् पराश्रयी एवं द्विगुणित अवस्था है। इसी को पीढ़ी एकान्तकरण कहते हैं। यह पारिस्थितिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण है तथा अनुक्रमण (succession) में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
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1. आवतबीजियों में क्रियात्मक गुरुबीजाणु निम्नलिखित में से किसके रूप में विकसित होता है-
(A) भ्रूणकोश
(B) बीजाण्ड
(C) भ्रूणपोष
(D) परागकोष
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2. ब्रायोफाइट्स के युग्मकोदभिद की तुलना में संवहनी पादपों के युग्मकोदभिद होते हैं-
(A) बड़े युग्मकोद्भिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
(B) बड़े युग्मकोदभिद लेकिन बड़े लैंगिक अंगों वाले
(C) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
(D) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन बड़े लैंगिक अंगों वाले
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3. निम्नलिखित में से किसमें युग्मकोदभिद एक स्वतंत्रजीवी स्वावलम्बी पीढ़ी
नहीं है ?
(A) एडिएन्टम
(B) मार्केन्शिया
(C) पाइनस
(D) पॉलीट्राइकम
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4. स्त्रीधानीधर उपस्थित होता है-
(A) कारा में
(B) एडिएण्टम में
(C) फ्यूनेरिया में
(D) मार्केन्शिया में
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5. निम्नलिखित में से किसमें बीजाणुदचिद एक आत्मनिर्भर पीढ़ी नहीं है ?
(A) ब्रायोफाइटस में
(B) टेरिडोफाइट्स में
(C) अनावृतबीजियों में
(D) आवृतबीजियों में
उत्तर :- ?????
इस प्रश्न का सही उत्तर क्या होगा? हमें अपना जवाब कमेंट सेक्शन में जरूर दें।
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