कोशिका विभाजन और प्रोटीन संश्लेषण ( Cell Division and Protiein synthesis )
कोशिका विभाजन (Cell Division)
- प्रत्येक जीव का जन्म एककोशीय युग्मनज से ही होता है। इनके बास्वार विभाजित होने से शरीर की अनेक कोशिकाएं बनती हैं। एककोशीय युग्मनज का विभाजन हुए बगैर इतने प्रकार के ऊतक (tissues) और अंग (Organ) नहीं बन पाते। आमतौर पर कोशिका विभाजन दो प्रकार का होता है :
समसूत्री विभाजन (Mitosis)
- यह विभाजन शरीर के वृद्धि अंगों की कायिक कोशिकाओं (Somatic Cells) में होता है। वास्तव में यह केन्द्रक का विभाजन है। समसूत्री विभाजन में एक कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएं बनाती है। प्रत्येक विभाजित कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या के बराबर होती है। इस विभाजन से जीव-जन्तुओं के शरीर की वृद्धि होती है।
- सजीवों में घाव भरना एवं अंगों का पुनरूद्भवन (Regemeration) इसी विभाजन के परिणाम स्वरूप होता है।
अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis)
- यह विभाजन केवल लैंगिक जनन कोशिकाओं (Reproductive Cells) में होता है। इस विभाजन से एक कोशिका से चार कोशिकाएं बनती हैं जिनमें गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका की आधी होती है। इस विभाजन में केन्द्रक दो बार विभाजित होता है। इसे न्यूनीकरण विभाजन (reductional division) भी कहते हैं।
अर्द्धसूत्री विभाजन का वास्तविक महत्व
– गुणसूत्रों की संख्या का न्यूनीकरण
– आनुवंशिक पदार्थों (क्रोमैटीन) की अदला-बदली
- समसूत्री विभाजन करीब पांच चरणों में पूरा होता है : 1. इंटरफेज, 2. प्रोफेज, 3. मेटाफेज, 4. एनाफेज, 5. टेलोफेज
- कोशिका विभाजन में एक (2N) क्रोमोसोम वाली कोशिका का विभाजन प्रोफेज में पूरा होता है।
- प्रोफेज की लेप्टोटीन अवस्था में क्रोमोसोम एक-दूसरे के निकट आकर जोड़े बनाते हैं।
- जाइगोटीन अवस्था में प्रत्येक क्रोमोसोम एक दूसरे के निकट आकर जोड़े बनाते हैं।
- डाइकाइनेसिस अवस्था में केन्द्रक झिल्ली का लोप होने लगता है।
- मुकुलन के अंतर्गत कोशिका की एक या एक से अधिक छोटी संरचनाएं बन जाती हैं एवं केन्द्रक समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर दो भागों में बट जाता है। उदाहरण – खमीर
समसूत्री और अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर
समसूत्री विभाजन | अर्द्धसूत्री विभाजन |
1. यह सभी कोशिकाओं में होता है। | 1. यह केवल लैंगिक कोशिकाओं में होता है। |
2. क्रोमोसोम की संख्या अपरिवर्तित रहती है। | 2. क्रोमोसोम की संख्या आधी होती है। |
3. यह प्रक्रिया पांच अवस्थाओं में पूरी होती है। | 3. यह प्रक्रिया दो उपविभाजनों में पूर्ण होती है जैसे मिऑसिस-I व मिऑसिस-II । |
प्रोटीन संश्लेषण
- कोशिकाओं में नई प्रोटीन को संश्लेषित करने की क्षमता होती है जोकि कोशीय गतिविधियों के मॉडुलेशन और उसे बनाये रखने के लिए आवश्यक होती है। यह प्रक्रिया डीएनए/आरएनए में कूटबद्ध सूचना के आधार पर एमिनो अम्ल के निर्माण खंडों से नये प्रोटीन अणुओं के निर्माण में शामिल होती है। प्रोटीन संश्लेषण में मुख्य रूप से दो प्रमुख चरण सम्मिलित होते हैं: ट्रांसक्रिप्सन और ट्रांसलेशन। डीएनए से आरएनए के संश्लेषण को ट्रांसक्रिप्सन कहते हैं। प्रोटीन बनने की अंतिम क्रिया को ट्रांसलेशन कहते हैं।
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