संतुलन – परिभाषा और प्रकार
संतुलन – परिभाषा और प्रकार
Equilibrium & Types of Equilibrium in Hindi
सन्तुलन की अवस्था (Equilibrium of Bodies)
- जब किसी वस्तु पर अनेक बल इस प्रकार कार्य कर रहे हों कि वस्तु न तो रेखीय गति करे और न ही घूर्णन गति, तब कहा जाता है कि वस्तु सन्तुलन की अवस्था में है।
- सन्तुलन की विभिन्न स्थितियाँ नीचे दी गई हैं
- किसी वस्तु पर लगे सभी बलों का सदिश योग शून्य होना चाहिए ।
- किसी वस्तु पर लगे सभी बलों के आघूर्णो का बीजगणितीय योग शून्य होना चाहिए।
- यदि एक कण पर कार्य करने वाले बलों को परिमाण द्वारा दर्शाएँ तथा इनकी दिशाएँ त्रिभुज की तीनों भुजाओं के अनुदिश क्रमानुसार हों, तब ये बल परस्पर सन्तुलन में होंगे।
सन्तुलन के प्रकार (Types of Equilibrium)
- सन्तुलन तीन प्रकार के होते हैं
(i) स्थायी सन्तुलन (Stable Equilibrium)
- यदि किसी वस्तु को उसकी सन्तुलन की अवस्था से थोड़ा-सा विस्थापित करके छोड़ने पर यदि वस्तु पुनः अपनी सन्तुलन की अवस्था को प्राप्त कर लेती है, तो इस प्रकार के सन्तुलन को स्थायी सन्तुलन कहते हैं। इस प्रकार के सन्तुलन में वस्तु की स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होती है। उदाहरण चौड़े आधार पर रखा शंकु । अतः स्थायी सन्तुलन के लिए वस्तु का गुरुत्व केन्द्र अधिक-से-अधिक नीचा होना चाहिए।
(ii) अस्थायी सन्तुलन (Unstable Equilibrium)
- यदि किसी वस्तु को उसकी सन्तुलन की अवस्था से थोड़ा-सा विस्थापित करके छोड़ने पर वह पुनः सन्तुलन की अवस्था में न आए, तो इस प्रकार के सन्तुलन को अस्थायी सन्तुलन कहते हैं। इस प्रकार के सन्तुलन में वस्तु की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। उदाहरण शीर्ष पर रखा शंकु, नोक पर खड़ी पेन्सिल, अंगुली पर रखी छड़ी।
(iii) उदासीन सन्तुलन (Neutral Equilibrium)
- यदि किसी वस्तु को उसकी सन्तुलन की स्थिति से थोड़ा-सा विस्थापित करके छोड़ने पर वह वस्तु अपनी पूर्व अवस्था में आने का प्रयास न करे, बल्कि अपनी नई अवस्था में ही सन्तुलित हो जाए, तो इस प्रकार के सन्तुलन को उदासीन सन्तुलन कहते हैं । इस प्रकार के सन्तुलन में वस्तु के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति वस्तु की स्थिति बदलने पर नहीं बदलती है। इस प्रकार के सन्तुलन में वस्तु की स्थितिज ऊर्जा नियत होती है।
- उदाहरण – स्वयं की तिरछी ऊँचाई के सहारे रखा शंकु, गेंद, स्वयं की लम्बाई के सहारे रखा बेलन।
वस्तु की साम्यावस्था या पूर्ण गति निर्देश बिन्दु (reference point) के अभाव के कारण सम्भव नहीं होती है तथा यह निर्देश बिन्दु अन्तरिक्ष में स्थायी रूप से निश्चित होता है।
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संतुलन – परिभाषा और प्रकार FAQ –
1. खिलाड़ी (एथलीट ) निम्नलिखित में से किसका लाभ उठाने के लिए लम्बी कूद (Long jump) से पहले दौड़ता है? [SSC 2002]
(a) गति का जड़त्व
(c) बल का आघूर्ण
(b) घर्षण बल
(d) आघूर्ण का सिद्धान्त
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उत्तर ⇒ { C }
2. जड़त्व आघूर्ण व कोणीय त्वरण का गुणनफल होता है [RRB 2002]
(a) बल
(c) कार्य
(b) बल-आघूर्ण
(d) कोणीय संवेग
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उत्तर ⇒ { B }
3. बाइसिकल के पहिए में प्रयुक्त ताडिया (Spokes) बढ़ाती है उसका [SSC 2010]
(a) जड़त्व आघूर्ण
(b) वेग
(c) त्वरण
(d) संवेग
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उत्तर ⇒ { A }
4. निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है ?
जब एक एथलीट घूर्णन स्टूल पर बैठे हुए अपने हाथों को बाहर की ओर फैलाता है, तो अचानक इसके हाथ नीचे आ जाते हैं, क्योंकि [MPPCS 2010]
(a) कोणीय वेग घटता है
(b) कोणीय वेग बढ़ता है
(c) जड़त्व आघूर्ण घटता है
(d) जड़त्व आघूर्ण बढ़ता है
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उत्तर ⇒ { C }
5. कणों का निकाय पर लगने वाला सम्पूर्ण बाह्य बल-आघूर्ण, अंक्षों पर लगभग शून्य होता है।
निम्न में से कौन-सा कथन समतुल्य हैं?
(a) अक्ष के बिन्दु से स्पर्श रेखा की दूरी पर एक बल लगा होता है।
(b) घूर्णन अक्ष पर बल लगा है।
(c) घूर्णन अक्ष पर लम्बवत् बल लगा हो।
(d) कुल बल द्वारा लगा बल-आघूर्ण बराबर तथा विपरीत होता है।
उत्तर ⇒ ???????
Q. संतुलन कितने प्रकार के होते हैं?
- संतुलन तीन प्रकार के होते हैं: स्थिर, अस्थिर और तटस्थ ।
Q. शरीर को संतुलन में क्यों कहा जाता है?
- कोई वस्तु तभी संतुलन में होती है जब उस पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं कर रहा हो। तो, दूसरे शब्दों में, किसी पिंड के संतुलन में रहने के लिए उस पर कार्य करने वाले सभी बलों का योग शून्य होना चाहिए।
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