गत्यात्मक विकास क्या होता है ?
गत्यात्मक विकास क्या होता है ?
gatyaatmak vikaas
गत्यात्मक विकास :
- किशोरावस्था में शारीरिक विकास के साथ-साथ माँस पेशियों का विकास भी तीव्र गति से होता है। लड़कों की माँस पेशियों की शक्ति में सर्वाधिक वृद्धि चौदह वर्ष की अवस्था से होती है व 20-21 वर्ष तक चलती है। जबकि लड़कियों में चौदह वर्ष तक यह विकास अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है व लगभग 17 वर्ष की अवस्था तक धीमी गति से होता रहता है। किसी भी अवस्था में लड़कों में पेशीय बल लड़कियों से अधिक होता है। इसका कारण लड़कियों की माँस पेशियों का कोमल रहना है | केवल पेशियों के आकार में वृद्धि से ही पेशियों के कौशल नहीं आ जाते, कौशल सीखने के लिये व्यक्ति को प्रशिक्षण, अभ्यास के अवसर, पर्यावरणगत् बाघाओं का अभाव और प्रबल अभिप्रेरण चाहिये |
गत्यात्मक विकास क्या होता है ?
- गत्यात्मक विकास (Physical Development) एक व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य और शारीरिक कौशल की प्रक्रिया है, जिसमें उनके शारीरिक क्षमता, मानव शरीर के प्रत्येक हिस्से की सुधार और विकास होता है। यह शारीरिक स्वास्थ्य, बल, स्थैतिक संतुलन, संचालन कौशल, मांसपेशियों की वृद्धि, और अन्य शारीरिक पहलुओं को समाहित करता है।
- गत्यात्मक विकास का महत्व व्यक्ति के पूरे जीवन में होता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है, बल्कि उनके दैनिक जीवन के अनेक पहलुओं पर प्रभाव डालता है,
गत्यात्मक विकास (Physical Development)
- किशोरावस्था में विविध कौशलों को सीखने का और जब तक वे सीख न लिये जाएँ तब तक अभ्यास करते रहने का अभिप्रेरण बहुत प्रबल होता है | इसके अतिरिक्त किशोर को यह भी सुविधा रहती है कि उसे कौशल सिखाने वाला कोई न कोई होता है, चाहे वह शिक्षक हो, माता-पिता में से कोई हो या ऐसा अन्य किशोर हो जो उन कौशलों में दक्षता प्राप्त कर चुका हो, जिन्हें वह सीखना चाहता है। सीखने में इस प्रकार जो पथ-प्रदर्शन मिलता है और साथ ही सीखने का जो प्रबल अभिप्रेरण होता है, उससे न केवल किशोर कौशलों को जल्दी सीख जाता है, बल्कि इतनी अच्छी तरह से सीख लेता है कि वे युवा के कौशलों की बराबरी के हो जाते हैं।
- गति युक्त कार्यों को करने की योग्यता में वृद्धि लड़कियों में चौदह वर्ष की आयु में और लड़कों में सत्रह वर्ष की आयु में अधिकतम हो जाती है | फुर्ती, नियंत्रण बल और स्थैतिक संतुलन को नापने के लिये जो परीक्षण किये जाते हैं, उनमें लड़कों की तत्संबंधी योग्यता में सर्वाधिक वृद्धि चौदह वर्ष की आयु के बाद होती है। लड़कियों में चौदह वर्ष तक उन्नति होती है और उसके बाद अवनति और इसका कारण क्षमता में न्यूनता न होकर रुचि परिवर्तन होता है | बड़े किशोर अधिकतर शारीरिक बल दर्शनि वाले खेल प्रतियोगिताओं व व्यायाम संबंधी कौशलों में सक्रिय भाग लेने में अत्यधिक रुचि रखते हैं जबकि लड़कियों इन कौशलों में सक्रिय भाग लेने की जगह देखने में रुचि रखती हैं। किशोरियाँ अधिक से अधिक पेचीदे ढ़ंग से नृत्य करने, गोता लगाने और ऐसे अन्य खेलों में आनन्द लेती हैं जिनमें बल से कहीं अधिक महत्त्व पेशीय समन्वय का होता है| यदि उन्हें व्यायाम वाले खेलों की प्रतियोगिताओं में भाग लेना ही होता है तो वे अन्य लड़कियों से ही प्रतियोगिता करती हैं क्योंकि लड़कों की अपेक्षा अन्य लड़कियों की योग्यताएँ ही उनके बराबर की होती हैं ।
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