टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) : परिभाषा, लक्षण
Pteridophyta Definition & Characteristic in hindi
टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)
जीवाश्मों (fossils) के अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि टेरिडोफाइट 350 मिलियन वर्ष पूर्व प्रभावी वनस्पति थे। उस समय के टेरिडोफाइटा बड़े वायवीय तनों वाले अर्थात् वृक्ष सदृश थे। सजावटी पौछे फर्न जैसे-टेरिस (Pteris), एडिएन्टम (Adiantium) तथा हासटेल (ferse tail) टेरिडोफाइट के सामान्य उदाहरण हैं। टेरीडोफाइटा प्राथमिक बीजविहीन संवहनी पौधे होते हैं जो स्पष्ट बीजाणुद्भिद् पादप काय तथा अस्पष्ट स्वतन्त्र युग्मकोद्भिद् (gamctophyte) में विभेदित होते हैं। इन्हें संकहनी क्रिप्टोगेम्स (vascular cryptogames) भी कहते हैं। टेरिडोफाइटस के निम्नलिखित विभेदक लक्षण हैं-
टेरीडोफाइटा समूह के प्रमुख लक्षण
1. आवास (Habitat)-अधिकांश टेरीडोफाइटा स्थलीय होते हैं जो नम छायादार स्थानों, चट्टानों, पेड़ों के तनों पर उगते हैं। कुछ पादप जलीय तथा मरुस्थलीय आवासों में भी पाये जाते हैं। इक्वीसीटम (Equisetum) की कुछ जातियाँ मरूस्थलीय हैं जबकि एजोला (Azolla), साल्विनिया (Salvina) जलीय जातियाँ हैं। मासीलिया (Marsilia) उभयचर पादप होता है।
2. पादफ्काय (Plant body) – यह बीजाणुद्भिद् द्वारा निरूपित होते हैं अर्थात् मुग्य पौधा स्पोरोफाइट होता है। बीजाणुद्भिद् स्पष्ट जड़, तना तथा पत्तियों में विभेदित होता है।
3. उड़ (Roots) – प्राथमिक जड़ें अल्पकालिक (ephimeral) होती हैं जो अपस्थानिक जड़ों (adventitious roots) द्वारा प्रतिस्थापित कर दी जाती हैं।
4. तना (Stem)-यह शाकीय होता है। अधिकांश फर्न में तना भूमिगत राइजोम (rhizome) होता है।
5. पत्तियाँ (Leaves) – पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं लघुपर्णी तथा गुरुपर्णी (microphyllous and megaphyllous)। सिलैजिनेला में पतियाँ छोटी तथा फर्न में बड़े आकार की होती हैं।
6. संबहलन ऊ्तक (Vascular Tissue)-संवहन ऊतक उपस्थित होता है तथा दो प्रकार के ऊतकों, जाइलम तथा फ्लोएम का बना होता है।
7. जनन (Reproduction) – जनन कायिक तथा लैंगिक प्रकार का होता है। कायिक प्रजनन अपस्थानिक कलिकाओं, पत्र प्रकलिकाओं (bulbils) या अपस्थानिक शाखाओं द्वारा होता है। लैंगिक जनन विशिष्ट संरचनाओं द्वारा होता है।
8. बीजाणुपर्ण (Sporophyll) – बीजाणु बीजाणुधानियों (sporangia) में बनते हैं तथा बीजाणुधानी धारण करने वाली पत्तियां बीजाणुपर्ण कहलाती हैं। बीजाणु धानियाँ (sporangium) पत्ती की सतह पर उत्पन्न होती हैं।
9. बीजाणुधानियों का वितरण (Distribution of Sporangia)-फर्र्स में बीजाणुधानियाँ बीजाणु पर्णों (sporophylls) की निचली सतह पर समूहों या सोराई (sori) में पायी जाती हैं। एक सोरस (sorus) में 5-6 या अधिक बीजाणुधानी होती हैं। कुछ टेरिडोफाइट में बीजाणुपर्ण (Sporophylls) सघन होकर शंकु (cone) जैसी सुस्पष्ट रचना बनाते हैं। सिलेजिनेला व इक्वीसीटम में यही रचना जाती है। इन्हुं स्ट्रोविलस (strobilus) कहा जाता है।
10. बीजाणुघानी (Sporangia) – स्पोरोफाइट होने के कारण बीजाणुधानी द्विगुणित (diploid) होती है। यह मोटी भित्चि वाली कोशिकाओं से घिरी रहती है तथा इसके केन्द्र में स्थित बीजाणु मातृ कोशिकाओं (spore mother cells) में हुए अर्धसूत्र विभाजन (meiosis) द्वारा बीजाणुओं का निर्माण होता है।
11. बीज्ञाणु (Spores) – बीजाणुधानी के फटने पर अगुणित बीजाणु हवा द्वारा दूर्दूर वक प्रकीर्णित कर दिए जाते हैं जो अंकुरण कर युग्मकोदभिद् (gametophyte) का निर्माण करते हैं।
12. युग्मकोद्भि्द् (Gametophyte) – यह स्वतन्त्रजीवी छोटी थैलाभ संरचना है जिसे प्रोथैलस (prothallus) कहते हैं। प्रोथेलस बहुकोशिकीय होता है तथा ठण्डे, गीले व छायादार स्थानों पर उगता है। निषेचन के लिए जल की आवश्यकता तथा इसकी अन्य विशिष्ट, सीमित आवश्यकताओं के कारण टेरिडोफाइट भौगोलिक रूप से सीमित क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इसी प्रोथैलस पर नर व मादा जनन अंगों का विकास होता है। अधिकांश फर्न में यह हरा व स्वपोषी (autotrophic) होता है। विषमपोषी (heterotrophic) फर्न में, मादा युग्मकोद्भिद् (gametophyte), सामान्यतः दीर्घबीजाणु (megaspore) द्वारा संचित भोजन पर निर्भर करता है।
13. जनन अंग (Sex organs) – नर जनन अंग पुंधानी (Antheridium) तथा मादा जनन अंग रीधानी (Archegonium) कहलाते हैं। समबीजाणुक (homosporous) वंशों में बीजाणु अंकुरण से बनी हरी एवं स्वतन्त्र रचना प्रोथैलस पर जनन अंगों का निर्माण होता है।
14. पुंधानी (Antheridium) – यह वृन्तहीन मुग्दराकार (club-shaped) संरचना है जो एक स्तरीय जैकेट द्वारा घिरी होती है। पुंधानी के अन्दर द्विकशााभक पुमणुओं (biflagellate antherozoids) का निर्माण होता है। इक्वीसीटम तथा सायलोटम में पुमणु (multiflagellate) बहुकशाभिकीय होते हैं।
15. सीधानी (archegonium)-यह फ्लास्कनुमा रचना होती है। यह आंशिक रूप से प्रोथैलस में धँसी होती है। ग्रीवा वायवीय होती है। सीधानी (archegonium) के आधारीय भाग में एक अण्डगोल (oosphere) या अण्ड होता है।
16. निषेचन (Fertilization) – निषेचन बाहा जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु अपने कशाभों द्वारा तैरकर स्त्रीधानी (archegonium) के मुख तक पहुँचते हैं। केवल एक पुमणु स्त्रीधानी (archegonium) में प्रवेश करके अण्ड को निषेचित करता है। निषेचित अण्ड प्रूण का निर्माण करता है।
17. भूण (Embryo)-निषेचन के फलस्वरूप बना युग्मनज (zytoge) विभाजन करके प्रूण (embryo) का निर्माण करता है जो वृद्धि करके प्रोधैलस के ऊतकों को फाड़कर भूमि में स्थापित हो जाता है और नये द्विगुणित पौधे अर्थात् स्पोरोफाइट का निर्माण करता है।
18. पीढ़ी एकान्तरण (Alternation of Generation) – सभी टेरीडोफाइट्स के जीवन चक्र में बीजाणुद्भिद (sporophyte) तथा युग्मकोद्भिद् (gametophyte) पीढ़ियों का एकान्तरण होता है। इसे पीढ़ी एकान्तरण (alternation of generation) कहते हैं।
⇒ Latest प्रश्न उत्तर के लिए यहाँ क्लिक करें ! :– Click Here
animal kingdom question and answer in hindi
1. आवतबीजियों में क्रियात्मक गुरुबीजाणु निम्नलिखित में से किसके रूप में विकसित होता है-
(A) भ्रूणकोश
(B) बीजाण्ड
(C) भ्रूणपोष
(D) परागकोष
Click to show/hide
2. ब्रायोफाइट्स के युग्मकोदभिद की तुलना में संवहनी पादपों के युग्मकोदभिद होते हैं-
(A) बड़े युग्मकोद्भिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
(B) बड़े युग्मकोदभिद लेकिन बड़े लैंगिक अंगों वाले
(C) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन छोटे लैंगिक अंगों वाले
(D) छोटे युग्मकोदभिद लेकिन बड़े लैंगिक अंगों वाले
Click to show/hide
3. निम्नलिखित में से किसमें युग्मकोदभिद एक स्वतंत्रजीवी स्वावलम्बी पीढ़ी
नहीं है ?
(A) एडिएन्टम
(B) मार्केन्शिया
(C) पाइनस
(D) पॉलीट्राइकम
Click to show/hide
4. स्त्रीधानीधर उपस्थित होता है-
(A) कारा में
(B) एडिएण्टम में
(C) फ्यूनेरिया में
(D) मार्केन्शिया में
Click to show/hide
5. निम्नलिखित में से किसमें बीजाणुदचिद एक आत्मनिर्भर पीढ़ी नहीं है ?
(A) ब्रायोफाइटस में
(B) टेरिडोफाइट्स में
(C) अनावृतबीजियों में
(D) आवृतबीजियों में
उत्तर :- ?????
इस प्रश्न का सही उत्तर क्या होगा? हमें अपना जवाब कमेंट सेक्शन में जरूर दें।
प्रश्न 1. यॉरपॉक्स किस शैवाल वर्ग का सदस्य है ?
उत्तर: क्लोरोपाइसी (Chlorophyceae) वर्ग का
प्रश्न 2. लाल शैवालों का लाल रंग किस वर्णक की उपस्थिति के कारण होता है ?
उत्तर: पाइकोपरिचिन (Phycoerythrin)।
प्रश्न 3. उन दो टेरिडोफाइट पौधों के नाम लिखिए जिनमें विषम बीजाणुकता पायी जाती है।
उत्तर: सिलेजिनेला साल्वीनिया ।
प्रश्न 4. इन नामक औषधि इफेड़ा पीछे से प्राप्त की जाती है. इसे क्यों प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर: खांसी-जुकाम के उपचार के लिए।
आशा है आपको यह Post पसंद आया होगा, All Exam की परीक्षाओं से जुड़ी हर जानकरियों हेतु ExamSector को बुकमार्क जरूर करें।