मुगलकालीन स्थापत्य कला स्थापत्य कला के क्षेत्र में मुगल काल महान युग था। बाबर को स्थापत्य कला से अत्यधिक प्रेम था। बाबर मानसिंह द्वारा निर्मित ग्वालियर के किले से बहुत प्रभावित था। बाबर ने पानीपत में काबुली बाग मस्जिद और सम्भल में एक जामा मस्जिद का निर्माण कराया। बाबर के एक अमीर अब्दुल मीर बाकी…
Tag: मुगल वंशज
मुगल वंश | मुगल प्रशासन
मुगल वंश | मुगल प्रशासन केन्द्रीय प्रशासन केन्द्रीय प्रशासन में सर्वप्रथम व्यक्ति सम्राट होता था। मुगल सम्राट सम्प्रभुता संपन्न शासक थे। राज्य की समस्त सैनिक असैनिक शक्तियाँ सम्राट में निहित थीं। सम्राट के पदाधिकारी एक दृष्टि में 1. वजीर प्रधानमंत्री 2. शाहीदीवान वित्त मंत्री 3. मीर बख्शी सैन्य विभाग का अध्यक्ष 4. सद्र-उस-सुदूर धार्मिक मामलों…
उत्तर मुगलकाल ( 1707 ई. – 1857 ई. )
उत्तर मुगलकाल ( 1707 ई. – 1857 ई. ) 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके तीन जीवित पुत्रों मुअज्जम उर्फ शाहआलम, मुहम्मद आजम एवं कामबख्श के बीच उत्तराधिकार का युद्ध हुआ जिसमें मुअज्जम उर्फ शाहआलम विजयी हुआ और बहादुरशाह I के नाम से सम्राट बना। बहादुरशाह I (1707-12 ई.) यह धार्मिक दृष्टि…
मुगल वंश | औरंगजेब (1658-1707 ई. )
मुगल वंश | औरंगजेब (1658-1707 ई. ) इसका जन्म 1618 में उज्जैन के निकट दोहद नामक स्थान पर हुआ था। इसने दो बार अपना राज्याभिषेक करवाया। 1658 में आगरा में और 1659 में दिल्ली में। गद्दी पर बैठते ही इसने छोटे-छोटे 80 करों को समाप्त कर दिया। इस्लाम धर्म के प्रति इसकी कट्टरता इतनी अधिक…
मुगल वंश | शाहजहां ( 1628-1658 ई. )
मुगल वंश | शाहजहां ( 1628-1658 ई. ) 1592 में लाहौर में शाहजहां का जन्म हुआ था। इसकी माता का नाम जोधाबाई (जगतगुसाई) था। 1612 में इसका विवाह आसफ खाँ की पुत्री अर्जुमन्ट बानो बेगम से हुआ जिसे शाहजहां ने मुमताज महल के उपाधि दी। जहांगीर की मृत्यु के समय शाहजहां दक्षिण भारत में था…
मुगल वंश | जहांगीर (1605-1627 ई. )
मुगल वंश | जहांगीर (1605-1627 ई. ) जहांगीर के बचपन का नाम सलीम था। इसका पहला विवाह मानसिंह की बहन मानबाई के साथ हुआ था जिसे इसने शाहबेगम की उपाधि दी। 1601 में मानबाई ने अफीम खाकर आत्महत्या कर ली। इसका दूसरा विवाह जोधाबाई या जगत गुसाई के साथ हुआ। 1599 में जहांगीर ने अकबर…
मुगल वंश | अकबर (1556-1605 ई.)
मुगल वंश | अकबर (1556-1605 ई.) अकबर का जन्म 1542 में अमरकोट में हुआ था तथा इसके बचपन का नाम बदरुद्दीन था। हुमायूँ जब फारस गया तब इसे अस्करी के संरक्षण में छोड़ गया। हुमायूँ एवं अकबर की दुबारा मुलाकात 3 वर्ष बाद हुई तभी इसका नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर रखा गया। हुमायूँ की मृत्यु…