त्रिपुरा राज्य का परिचय
त्रिपुरा राज्य का परिचय ( Introducation of Tripura State )
त्रिपुरा राज्य का इतिहास
- सन् 1947 में त्रिपुरा का भारत में विलय हुआ । तथा सन् 1956 में राज्य के पुनर्गठन के बाद यह केन्द्रशासित प्रदेश बन गया।
- 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर तथा मेघालय __ के साथ इसे भी पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
- त्रिपुरा बांग्लादेश तथा म्यांमार की नदी घटियों के बीच स्थित है। गुवाहाटी उच्चन्यायालय की अगरतल्ला पीठ है।
- हथकरघा इस राज्य का सबसे बड़ा उद्योग है।
- त्रिपुरा का इतिहास बहुत पुराना और लंबा है। इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति और दिलचस्प लोकगाथाएं है।
- बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) यहाँ मुख्य रूप से बोली जाती हैं।
- ऐसा माना जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश का 39 वाँ राजा था, उनके नाम पर ही इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा ।
- एक मत के अनुसार स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा पड़ा। यह हिन्दू धर्म की 51 शक्ति पीठों में से एक है।
- इस राज्य के इतिहास को ‘राजमाला’ गाथाओं और मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है।
- महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का उल्लेख मिलता है।
- ‘राजमाला’ के अनुसार त्रिपुरा के शासकों को ‘फा’ उपनाम से पुकारा जाता था जिसका अर्थ ‘पिता’ होता है।
- 14वीं शताब्दी में बंगाल के शासकों द्वारा त्रिपुरा नरेश की मदद किए जाने का भी उल्लेख मिलता है।
- त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में ‘माणिक्य’ नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी, जिसने हिन्दू धर्म अपनाया था।
- त्रिपुरा के शासकों को मुग़लों के बार-बार आक्रमण का भी सामना करना पडा जिसमें आक्रमणकारियों को कम ही सफलता मिलती थी। कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्तानों को हराया।
- 19वीं शताब्दी में ‘महाराजा वीरचंद्र किशोर माणिक्य बहादुर’ के शासनकाल में त्रिपुरा में नए युग का सूत्रपात हुआ। उन्होंने अपने प्रशासनिक ढांचे को ब्रिटिश भारत के नमूने पर बनाया और कई सुधार लागू किए। उनके उत्तराधिकारों ने 15 अक्तूबर, 1949 तक त्रिपुरा पर शासन किया। इसके बाद त्रिपुरा भारत संघ में शामिल हो गया। प्रारम्भ में यह भाग – सी के अंतर्गत आने वाला राज्य था और 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह केंद्रशासित प्रदेश बना।
- 1972 में इसने पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त किया।
- त्रिपुरा बांग्लादेश तथा म्यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्लादेश है और केवल उत्तर-पूर्व में यह असम और मिज़ोरम से जुड़ा हुआ है।
- अगरतला त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है।
त्रिपुरा राज्य का परिचय
• राज्य – त्रिपुरा
• राजधानी – अगरतला
• क्षेत्रफल – 10,49,169 वर्ग किमी.
• जनसंख्या – 36,73,917
- पुरुष – 18,74,376
- महिला – 17,99,541
• जनसंख्या घनत्व – 350 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.
• लिंगानुपात – 960 महिलायें प्रति हजार पुरुष
• साक्षरता – 87.2%
- पुरुष – 91.5%
- महिला – 82.7%
• उच्च न्यायालय – अगरतला
• जिला – 8
• विधान मंडल – एक सदनात्मक (विधानसभा)
• विधान सभा सदस्यों की संख्या – 60
• लोक सभा सदस्यों की संख्या-2
• राज्य सभा सदस्यों की संख्या – 1
• राजकीय पशु – फेरीज पर्ण-वानर
• राजकीय पक्षी – फैरी ब्लूवर्ड
• प्रथम मुख्यमंत्री – सचिन्द्र लाल सिंह
• प्रथम राज्यपाल – ए. एल. दियास
• राज्य दिवस – 21 जनवरी
• मुख्य भाषा – बांग्ला, मणिपुरी
• हवाई अड्डा – अगरतल्ला
• कला – चेरोलाम नामक बांस नृत्य।
त्रिपुरा की भौगोलिक स्थिती
- उत्तर-पूर्व में असोम, पूर्व में मिजोरम एवं इसके तीन ओर बांग्लादेश
त्रिपुरा के प्रमुख नगर –
- अमरपुर, महारानी तथा सोनामीना
त्रिपुरा के प्रमुख खनिज –
- खनिज पदार्थों का अभाव, वारामुडा में पेट्रोलियम पाया जाता है।
त्रिपुरा के पर्यटक केंद्र –
- नीरमहल, सिपाहीजाला,मातावाड़ी, डम-बुरलेक, कमल सागर, जुम्पई, सिल और उनाकोटि।
त्रिपुरा के पर्वत –
- बारामुरा, अथरामुरा, देवतामुरा, लोंगथराई, जम्पाई तथा साखन।
त्रिपुरा की झीलें –
- रुद्रसागर, डबरलेक
त्रिपुरा की सिंचाई एवं जलविद्युत परियोजनाएँ –
- भानू, खोवाई तथा गोमती।
त्रिपुरा की विश्वविद्यालय –
- राज्य में एकमात्र विश्वविद्यालय त्रिपुरा विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना 1987 में हुई।
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