राजस्थान में औद्योगिक विकास

Industrial Development in Rajasthan ( राजस्थान में औद्योगिक विकास )

  • राजस्थान अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रारम्भ से ही पिछड़ा रहा है। राज्य का 61% भाग मरुस्थलीय है जहाँ प्रायः बहुत कम वर्षा होती है एवं वहाँ की परिस्थितियाँ उद्योगों की स्थापना में सकारात्मक योगदान नहीं कर पाती हैं।
  • राज्य ने विभिन्न औद्योगिक नीतियाँ बनाकर औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया है जिससे आज राजस्थान अन्य राज्यों से कन्धे से कन्धा मिलाकर विकास की ओर अग्रसर है।

राज्य द्वारा निम्न विभिन्न औद्योगिक नीतियाँ अपनाई गई हैं

  • (A) प्रथम औद्योगिक नीति (24 जून, 1978)-इस नीति के अंतर्गत कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देकर बेरोजगारी व क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का प्रयास किया गया है।
  • (B) द्वितीय औद्योगिक नीति (अप्रेल, 1991)-द्वितीय औद्योगिक नीति में रोजगार को बढ़ावा देने तथा खनन कार्यों, कृषिगत साधनों के उपयोग से वित्तीय साधनों को बढ़ावा दिया गया।
  • (C) तृतीय औद्योगिक नीति (15 जून, 1994)-तीव्र औद्योगिक विकास के लिए उद्योगों के निजीकरण को बढ़ावा दिया गया।
  • (D) चतुर्थ औद्योगिक नीति (4 जून, 1998)-यह नीति वर्तमान में भी चल रही है। इसके अन्तर्गत राज्य को विशिष्ट क्षेत्रों में विनियोग की दृष्टि से सर्वोच्च प्राथमिकता प्राप्त राज्य बनाना था।

निवेश नीति 2003-राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2003 को निवेश प्रोत्साहन नीति, 2003 लागू की गई।

राज्य के उद्योगों को निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1.  सार्वजनिक उपक्रम,
  2. निजी उपक्रम,
  3. सहकारीउपक्रम
  4. बहुराष्ट्रीय उपक्रम

1. सार्वजनिक उपक्रम-

वे उपक्रम जिन पर सम्पूर्ण स्वामित्व सरकारी क्षेत्र का ही होता है। ये तीन भागों में बाँटे जा सकते हैं

  • (i) विभाग
  • (ii) निगम
  • (iii) कम्पनी

(i) विभाग-– राज्य सरकार के विभागीय उपक्रम निम्न हैं

  • राजस्थान सोडियम सल्फेट वर्क्स, डीडवाना-इसकी स्थापना 1964 में की गई, यह उपक्रम घाटे में होने के कारण वर्तमान समय में बंद पड़ा है।
  • राजस्थान नमक वर्क्स, डीडवाना-इसे सन् 1960 में विभागीय उपक्रम के रूप में स्थापित किया गया, सन् 2000 से राज्य सरकार ने इसे लीज पर दे दिया है।
  • नमक वर्क्स, पचपदरा-इस उपक्रम को 1992 से लीज पर दे दिया गया है।

(ii) निगम— राजस्थान में निगम के अंतर्गत निम्न उपकरण आते हैं

  • राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम-– राज्य के नागरिकों को आवागमन की सुविधा के लिए 1964 में स्थापित किया गया। इसका मुख्यालय जयपुर में स्थित है।
  • राजस्थान वित्त निगम-उद्योगों को वित्त सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से 1955 में स्थापित किया गया। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
  • राजस्थान आवासन मण्डल— राजस्थान में लोगों को आवासीय सुविधाएँ पूरी करने के लिए 1970 में स्थापित । इसका मुख्यालय जयपुर में है।
  • राजस्थान भूमि विकास निगम-राज्य के भूमि एवं जल संसाधन के अनुकूलतम उपयोग एवं विकास कार्यों हेतु 1975 में स्थापित किया गया। मुख्यालय-जयपुर।
  • राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड— यह राज्य में कृषि विपणन एवं मण्डियाँ स्थापित करने एवं उनका संचालन करने तथा मण्डी सड़कों के निर्माण हेतु 1974 में गठित किया गया। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
  • राजस्थान राज्य भण्डारण निगम— इसे राज्य के कृषकों को कृषि आदान एवं उपजों के भण्डारण की सुविधाएँ गोदाम, भण्डार गृह आदि उपलब्ध कराने हेतु 1957 में जयपुर में स्थापित किया गया।
  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम— राज्य में गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास एवं विद्युत उत्पादन परियोजनाएँ स्थापित करने हेतु 9 अगस्त, 2003 को स्थापित किया गया।

(iii) कम्पनी-कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत राज्य में स्थापित केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के उपक्रम।

(2) निजी उपक्रम-

  • वे उपक्रम जिन पर सम्पूर्ण स्वामित्व निजी व्यक्ति या संस्थाओं का होता है वे निजी उकप्रम कहलाते हैं। राज्य में इस्पात, विद्युत, मशीनरी, परिवहन, कॉटन, टायर, व्हाइट गुड्स आदि कम्पनियाँ एवं संस्थाएँ कार्यरत हैं।

(3) सहकारी उपक्रम-

  • वे उपक्रम जिनको सरकार एवं जनता मिलकर चलाती है। राज्य में विभिन्न सहकारी इकाइयाँ अनलिखित हैं

(4) बहुराष्ट्रीय उपक्रम-

  • वे उपक्रम जिन पर स्वामित्व किसी अन्य देश का होता है वह बहुराष्ट्रीय उपक्रम कहलाते हैं।

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