राजस्थान में प्रमुख ऊर्जा संसाधन

Major Energy Resources in Rajasthan ( Rajasthan me prmukh urja snsadhn ) राजस्थान में प्रमुख ऊर्जा संसाधन

गैस व तरल ईधन आधारित ऊर्जा

1. रामगढ़ गैस विद्युत परियोजना-रामगढ़ (जैसलमेर)

  • राज्य की स्वयं की प्रथम गैस आधारित परियोजना (RRVUN द्वारा संचालित)
  • क्षमता-110 MW (तीन इकाइयाँ, 37.5, 37.5, 35)
  • यहाँ उपकरणों की आपूर्ति हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स, बेंगलुरू से होती है।
  • यहाँ गैस जैसलमेर के तनोट, डांडेवाला और बागी (OIL) एवं मनिहारी टिब्बा, घोटारू, आसुवाला, बाधेवाला, सादेवाला (तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय) द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है।

2. अंता गैस विद्युत परियोजना (बारां)

  • राज्य में स्थापित प्रथम गैस आधारित विद्युत परियोजना।
  • NTPC द्वारा संचालित।

3. धौलपुर कबाइंड साइकिल गैस आधारित परियोजना (धौलपुर)

पवन ऊर्जा

  • 21 अक्टूबर, 1999 में राज्य का प्रथम पवन ऊर्जा संयंत्र राजस्थान स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन लि. (RSPCL) द्वारा जैसलमेर जिले के अमर सागर में (2 MW का) लगाया गया था।
  • 4 फरवरी 2000 को गहलोत सरकार ने पवन ऊर्जा प्रोत्साहन नीति, 2000 की घोषणा की। इसी सरकार ने पुन: अप्रेल 2003 में नई पवन ऊर्जा नीति घोषित की।
  • राज्य सरकार ने एक नीति गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन हेतु 2004 को लागू की जिसका लक्ष्य 400 MW रखा गया।
  • राज्य में जुलाई 1999 में कैप्टिव पावर प्लाण्ट योजना लागू हुई, जिसके तहत 100 MW क्षमता का पहला कैप्टिव पावर प्लांट राजस्थान राज्य खनिज निगम लिमिटेड (RSMML) तथा हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से झामर कोटड़ा (उदयपुर) में स्थापित हुआ।

अक्षय ऊर्जा

  • राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण (1985, REDA) तथा राजस्थान स्टेट पॉवर कार्पोरेशन लि. (RSPCL) नामक उपक्रमों का विलय कर 9 अगस्त, 2002 को राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम की स्थापना गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास व परिवर्द्धन तथा विद्युत संयंत्रों की स्थापना हेतु की गई।

सौर ऊर्जा

  • राज्य के पश्चिमी जिले प्रति वर्ग मीटर 5.8 से 6.4 किलोवाट सौर ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
  • सौर ऊर्जा प्राप्त करने के दो माध्यम हैं—(1) सौर तापीय माध्यम (2) सौर फोटो वोल्टेइक माध्यम ।
  • 1992 में गठित गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय (भारत सरकार) ने इन सौर ताप यंत्रों को बाजार में उपलब्ध करवाने के लिए प्रमुख नगरों में आदित्य दुकानें खोली।
  • सौर ऊर्जा द्वारा खारे पानी को मीठा बनाने का संयंत्र भालेरी (चूरू) में, रेफ्रिजरेटर जैसलमेर के जवाहर चिकित्सालय में, 55000 लीटर पानी को गर्म करने वाला बड़ा वाटर हीटर जयपुर के बिड़ला इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइन्स में स्थापित किया गया है। राज्य में सौर ऊर्जा चालित ‘मिल्क चिलिंग प्लाण्ट’ भरतपुर डेयरी में लगा हुआ है।
  • पश्चिमी राजस्थान के तीन जिलों जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर को सौर ऊर्जा उद्यम जोन (SEEZ) में शामिल किया गया है।
  • राज्य के गाँवों में प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के तहत अक्षय ऊर्जा निगम से 49 गाँवों को विद्युतीकृत किया जा चुका है।

बायोगैस ऊर्जा

  • जानवरों के मल-मूत्र के वायु रहित अवस्था में अपघटन होने पर जीवाणुओं की क्रिया से एक ज्वलनशील गैस का निर्माण होता है। इसमें मुख्य रूप से मीथेन (65%), कॉर्बन डाई ऑक्साइड (30%) व हाइड्रोजन (1.2%) तक होती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक कार्यों के लिए दो प्रकार के गोबर गैस संयंत्र मॉडल विकसित किए गए हैं
  1.  खादी ग्रामोद्योग कमीशन मॉडल।
  2.  जनता मॉडल या दीनबंधु मॉडल।
  • राज्य में सर्वाधिक बायो गैस संयंत्र उदयपुर जिले में संचालित हैं।

बायोमास ऊर्जा

  • बायोमास ऊर्जा संयंत्र में पदार्थ के रूप में विलायती बबूल चावल की भूसी, गन्ने की सीठी, कपास के डण्ठलों, सरसों की तूड़ी आदि का उपयोग किया जाता है।
  • कैप्टिव पावर प्लाण्ट योजना के तहत राज्य में खेडली (अलवर) में सरसों खल आधारित 30 MW का संयंत्र मैसर्स मनीपाल एन.आर.आई. द्वारा स्थापित किया गया है।
  • विलायती बबूल से अजमेर में बिजली उत्पादित की जायेगी। राज्य का प्रथम बायोमास आधारित संयंत्र श्रीगंगानगर के पदमपुर में मैसर्स कल्पतरू एनर्जी वेंचर्स द्वारा लगाया गया है। यह कम्पनी कोटकासिम (अलवर), नदबई (भरतपुर) तथा सवाई माधोपुर में भी 7-7MW के संयंत्र स्थापित कर रही है।

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