समस्या समाधान (Problem Solving theory)

समस्या समाधान Problem Solving theory

समस्या समाधान (Problem Solving theory) in Hindi

  • नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है ExamSector.Com में। दोस्तों इस पोस्ट की मदद से में आपको समस्या समाधान Problem Solving theory के बारे में बताऊंगा। कि समस्या समाधान Problem Solving theory क्या होती है। तथा समस्या समाधान Problem Solving theory की मदद से में आपको किसी समस्या से कैसे निपटना है इन सब के बारे में आपको इस पोस्ट की मदद से बताऊंगा। समस्या समाधान Problem Solving theory किस प्रकार काम करती है।
  • समस्या समाधान (Problem Solving) के अन्तर्गत मुख्यत: तीन गतिविधियों को शामिल किया जाता है—मुद्दा (Agenda) निर्धारित करना, लक्ष्य निर्धारित करना तथा उचित हल ढूंढना। इसके अतिरिक्त समस्या समाधान के लिए यह आवश्यक है कि हम यह भी पता लगाएँ कि वास्तव में समस्या क्या है?

समस्या समाधान की प्रक्रिया Process to Problem Solving

  • किसी भी समस्या के समाधान की एक निश्चित प्रक्रिया होती है, जिसको पूर्ण किए बिना कोई उचित समाधान ढूंढा नहीं जा सकता। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत विभिन्न चरणों से गुजरना होता है, जिनका विवरण निम्न है।

(i) समस्या को पहचानना (Identifying the Problem)

  • कई बार समस्या को पहचानना अत्यन्त कठिन हो जाता है; जैसे विभिन्न परिस्थितियों में तुलना करना, चेक लिस्ट बनाना, शिकायतों की सूची बनाना इत्यादि।

(ii) समस्या को परिभाषित करना (Defining the Troblin)

  • समस्या को पहचानने के पश्चात् समस्या के क्या कारण है; यह पता लगाना चाहिए। सामान्यत: व्यक्ति समस्या के लक्षणों और प्रभावों से प्रभावित हो जाते हैं और सरया का वास्तविक कारण क्या है, इसका पता नहीं लगा पाते हैं और समस्या बढ़ी होती जाती है। अतः समस्या के निवारण के लिए आवश्यक है कि उसके कारण का पता लगाया जाए।

(iii) लक्ष्य निर्धारित करना (Setting Goala)

  • समस्या के कारण ज्ञात होने के पश्चात् समस्या के हल के लिए लक्ष्य का निर्धारण करने में सक्षम हो जाते हैं। लक्ष्य के निर्धारण से समस्या का हल ढूंढने की दिशा स्पष्ट हो जाती है।

(iv) उपयुक्त हल का चुनाव (Selecting the Best Solution)

  • इस पद में समस्या की प्रकृति के अनुसार सबसे उपयुक्त हल का चुनाव किया जाता है। समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने के लिए हमें योजना बनानी चाहिए। विभिन्न फैक्टर समस्या को प्रभावित करते हैं; जैसे—व्यक्ति, धन, समय, प्रक्रिया, पोलिसी, नियम आदि। इन सभी को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त हल का चुनाव किया जाता है। (v) हल में संशोधन करना (Implementing the Solution), यह समस्या के निवारण की प्रक्रिया में सबसे जटिल भाग है। हल में संशोधन करने के लिए एक प्रतिक्रिया योजना और एक प्रभावी संचार की आवश्यकता होती है।

(vi) नियोजनात्मक आयोजना (Employability Planning)

  • जब कार्यकर्ता तथा साझीदार मूल्यांकन तथा अन्य सन्दर्भित सूचनाओं का उपयोग रोजगार प्राप्ति हेत आयोजना बनाने में करते हैं तो उसे नियोजन अथवा रोजगार आयोजना कहा जाता है। नियोजन योजना में लघु एवं दीर्घकालीन-दोनों प्रकार के लक्ष्य शामिल होते हैं जिनमें व्यावसायिक लक्ष्य, विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप, सेवाएँ आदि जो कि लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जरूरी होते हैं, शामिल हैं।
  • योजना के अन्तर्गत विशिष्ट आवश्यकताओं एवं क्रियाकलापों की पहचान करना शामिल होना चाहिए जो व्यावसायिक लक्ष्य तक पहुँचने तथा लक्ष्य प्राप्ति की अवधि का एक सुनिश्चित आकलन करने हेतु जरूरी है।

(vii) समस्या का पुनर्मूल्यांकन करना (Evaluating the Problem)

  • इसके अन्तर्गत समस्या के हल के द्वारा प्राप्त आउटकम (Outcome) की प्रभाविकता कैसी है, इसका पुनरावलोकन किया जाता है।

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