राजस्थान के पूर्वी मैदान

राजस्थान के पूर्वी मैदान ( Rajasthan ke poorvee maidane )

  • राजस्थान के लगभग 23% भूभाग पर पूर्वी मैदान का विस्तार प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा, टोंक, बूंदी, अजमेर, जयपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, धौलपुर, सवाई माधोपुर एवं करौली जिलों में है।
  • यहाँ पर जलोढ़ एवं दोमट मिट्टी पाई जाती है। (राज्य का सबसे उपजाऊ क्षेत्र)
  • पूर्वी मैदान का निर्माण चम्बल, बनास, बाणगंगा, माही एवं इनकी सहायक नदियों द्वारा हुआ है इस मैदान को चार भागों में बांटा जा सकता है—चम्बल बेसिन, बनास बेसिन, माही बेसिन एवं बाणगंगा बेसिन।
  • 50 सेमी. की वर्षा रेखा इस मैदान को अरावली पर्वतमाला से एवं 75 सेमी. की वर्षा रेखा इसे दक्षिणी-पूर्वी पठार से अलग करती है।

राजस्थान के पूर्वी मैदानी क्षेत्र के भाग-

➧राजस्थान के पूर्वी मैदानी भाग को कुल चार भागों में बाटा गया है। जैसे-

  1. चम्बल बेसिन
  2. माही बेसिन
  3. बनास बेसिन
  4. बाणगंगा बेसिन

(1) चम्बल बेसिन

  • इस क्षेत्र का विस्तार धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक एवं कोटा जिलों में हैं।
  • यहाँ पर नवीन कांप मिट्टी के जमाव पाये जाते हैं।
  • इस क्षेत्र में चम्बल नदी द्वारा किये गये अवनालिका अपरदन से निर्मित विशाल खड्डों की बहुलता है, जिसे ‘चम्बल के बीहड़’ कहते हैं। टोंक, कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली एवं धौलपुर जिलों में लगभग 4,500 किलोमीटर क्षेत्र पर ये बीहड़ विस्तृत
  • चम्बल बेसिन की उत्तरी सीमा बाणगंगा बेसिन द्वारा एवं दक्षिणी सीमा विंध्यन कगार भूमि द्वारा निर्धारित होती है।

(2) बनास बेसिन

  • यह बेसिन चम्बल की सहायक बनास एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित है।
  • इस बेसिन का विस्तार राजसमन्द, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर एवं टोंक जिलों में है।
  • बनास बेसिन की उत्तरी सीमा अरावली पर्वतमाला द्वारा एवं दक्षिणी सीमा चम्बल बेसिन द्वारा निर्धारित की गई हैं। इस बेसिन का ढ़ाल उत्तर-पूर्व की ओर है।
  • बनास बेसिन की औसत ऊँचाई 300 से 500 मीटर है। इसके मध्य में स्थित कुछ टीलेनुमा भागों को ‘पीडमाण्ट मैदान’ कहते हैं। इस क्षेत्र में ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानें मिलती हैं।
  • ‘मालपुरा-करौली का मैदान’ (टोंक एवं करौली जिले में विस्तृत) शिष्ट एवं नीस चट्टानों से निर्मित है। इस मैदान में कांपीय मिट्टी के जमाव मिलते हैं।

(3) माही बेसिन

  • यह मैदान माही नदी का मध्यवर्ती बेसिन है, जो प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, एवं द.प. उदयपुर में विस्तृत है। माही बेसिन की औसत ऊँचाई 200 से 400 मीटर है।
  • प्रतापगढ़ एवं बाँसवाड़ा के मध्य छप्पन गाँवों के समूह को ‘ छप्पन का मैदान’ कहते हैं

(4) बाणगंगा बेसिन

  • बाणगंगा, यमुना की सहायक नदी है। बाणगंगा बेसिन का विस्तार राज्य के भरतपुर, दौसा एवं जयपुर जिले के दक्षिणी भाग में है। यहाँ का अधिकांश क्षेत्र उपजाऊ है जहाँ सरसों, जौ, गेहूँ एवं सब्जियों की कृषि की जाती है।

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