आनुवंशिकी And आनुवंशिकता के नियम

आनुवंशिकी And आनुवंशिकता के नियम ( Rules of genetics and genetics in Hindi )

‘आनुवंशिक’ शब्द का उपयोग वेटसन द्वारा 1906 में किया गया था। प्रत्येक जीव में बहुत से ऐसे गुण होते हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी माता-पिता से उनकी संतानों में संचारित होते रहते हैं। जीवों के इन मूल गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है। इसी के कारण ही प्रत्येक जीव के गुण अपने माता-पिता के गुणों के समान होते हैं।

Rules of genetics and genetics in Hindi

  • इन गुणों का संचरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में माता-पिता के युग्मकों (Gametes) के द्वारा होता है।
  • आनुवंशिकता एवं विभिन्नता (Variations) का अध्ययन जीव-विज्ञान की जिस शाखा के अन्तर्गत किया जाता है, उसे आनुवंशिकी या जेनेटिक्स (Genetics) कहते हैं।
  • ग्रेगर जॉन मेंडल (1822-84) ने मटर के पौधे पर संकरण का प्रयोग कर आनुवंशिकी के क्षेत्र में एक नयी अवधारणा की शुरूआत की। मेंडल को आनवंशिकी का जनक कहा जाता है।
  • आनुवंशिकी के क्षेत्र में मार्गन, ब्रिजेज, मूलर, सटन, बीडल, नौरेनबर्ग एवं डॉ. हरगोविन्द खुराना का कार्य अविस्मरणीय है।
  • आणविक आनुवंशिकी (Molecular Genetics) : प्रत्येक जीव में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है। गुणसूत्र हिस्टोन प्रोटीन एवं न्यूक्लिक अम्ल (डीएनए व आरएनए) से बना होता है।
  • डीएनए एवं आरएनए दोनों ही न्यूक्लियोटाइड के बहुलक (Polymers) होते हैं। न्यूक्लियोटाइड निम्नलिखित पदार्थों से मिलकर बनते हैं
  1. शर्करा (Sugar)
  2. नाइट्रोजीनस झार
  3. फॉस्फेट
  • आनुवंशिक अभियांत्रिकी : यह एक ऐसी आनुवंशिक तकनीक है जिसमें जीवों के जीन का परिचालन किया जाता है, जिसकी वजह से इसमें जेनेटिक कोड स्थायी रूप से बदल जाते हैं।
  • डीएनए की सफलतापूर्वक ग्राफ्टिंग सर्वप्रथम पॉलवर्ग द्वारा की गई थी। इसे डीएनए SV-40 (सिमियन वायरस-40) से लिया गया था और इसे बैक्टीरिया के डीएनए से मिलाया गया।

मेंडल के आनुवंशिकता के नियम :-

  • इस नियम के अनुसार युग्मकों के निर्माण के समय कारकों (जीन) के जोड़े के कारक अलग-अलग हो जाते हैं और इनमें से केवल एक कारक ही युग्मक में पहुंचता है। दोनों कारक एक साथ युग्मक में कभी नहीं जाते । इस नियम को युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहा जाता है। मेंडल के नियमों में पहला एवं दूसरा एकसंकरीय क्रॉस के आधार पर तथा तीसरा नियम द्विसंकरीय क्रॉस के आधार पर आधारित है।

लैंगिक जनन

  • लैंगिक प्रजनन गेमेट्स के उत्पादन में शामिल रहता है और एक पुरूष एवं एक महिला के युग्मक के संयोजन से युग्मनज (जाइगोट) के उत्पादन में भी सम्मिलित रहता है। जीवधारियों में, युग्मक शुक्राणु होते हैं और मादा युग्मक अण्डाणु होते हैं । लैंगिक जनन में दो भिन्न-भिन्न लिंग वाले जीवों-एक नर और एक मादा की सहभागिता की आवश्यकता होती है। जनद अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्मक बनाते हैं । लैंगिक जनन, संततियों में गुणों की विविधताओं को बढ़ावा देता है क्योंकि इसमें दो विभिन्न तथा लैंगिक असमानताओं वाले जीवों से आए युग्मकों का संलयन होता है।

आनुवांशिक विपथन या उत्परिवर्तन

जब किसी आनुवंशिक परिवर्तन के कारण किसी जीव के बाहरी रूप (फीनोटाइप) में परिवर्तन होता है, तो इस प्रकार का परिवर्तन उत्परिवर्तन या न्यूटेशन कहलाता है। ये दो प्रकार के होते हैं : —

  1. क्रोमोसोम उत्परिवर्तन : इसमें क्रोमोसोम की संख्या या उसकी रचना में परिवर्तन होता है।
  2. जीन उत्परिवर्तन : इसमें जीन की रचना परिवर्तित होती है।

गुणसूत्र संख्या

  • गुणसूत्र केंद्रकों के भीतर जोड़ों में पाये जाते हैं और कोशिका विभाजन के साथ केंद्रक सहित विभाजित किये जाते हैं। इन्हें पूर्वजों के पैतृक गुणों का वाहक कहा जाता है। इनकी संख्या जीवों में निश्चित होती है, जो एक दो जोड़ों से लेकर कई सौ जोड़ों तक हो सकती है। इनमें न्यूक्लिओं-प्रोटीन मुख्य रूप से पाई जाती है। गुणसूत्र में आनुवंशिक गुणों को धारण करने वाली रचनाएं पाई जाती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। मानव कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या 46 होती है जो 23 के जोड़े में होती है।

गुणसूत्र की संरचना

गुणसूत्र की संरचना में दो पदार्थ विशेषतः सम्मिलित रहते हैं :

  1. डिआक्सीरिबोन्यूक्लिक अम्ल या डीएनए तथा
  2.  हिस्टोन नामक एक प्रकार का प्रोटीन।।
  • डीएनए ही आनुवंशिक पदार्थ है। डीएनए अणु की संरचना में चार कार्बनिक समाक्षार सम्मिलित होते हैं : दो प्यूरिन, दो पिरिमिडीन, एक चीनी-डिआक्सीरिबोज और फासफोरिक अम्ल । प्यूरिन में ऐडिनिन और ग्वानिन होते है और पिरिमिडीन में थाइमीन और साइटोसिन । डीएनए के एक अणु में दो सूत्र होते हैं, जो एक दूसरे के चारों और सर्पिल रूप में वलयित होते हैं। प्रत्येक डीएनए सूत्र में एक के पीछे एक चारों कार्बनिक समाक्षार इस क्रम से होते हैं-थाइमीन, साइटोसिन, ऐडिनीन और ग्वानिन, एवं वे परस्पर एक विशेष ढंग से जुड़े होते हैं। इन चार समाक्षारों और उनसे संबंधित शर्करा और फास्फोरिक अम्ल अणु का एक एकक टेट्रान्यूक्लीओटिड होता है और कई हजार टेट्रान्यूक्लीओटिडों का एक डीएनए अणु बनता है।

Rules of genetics and genetics in Hindi

लिंग निर्धारण का आनुवंशिक आधार

  • लिंग क्रोमोसोम : प्रत्येक मानव कोशिका में 46 क्रोमोसोम या 23 जोड़े होते हैं। 23 जोड़ों में से 22 जोड़े नर और मादा दोनों में समान होते हैं। एक जोड़ा जो नर और मादा में अलग होता है वह लिंग क्रोमोसोम कहलाता है। यही किसी व्यक्ति के लिंग का निर्धारण करता है।
  • आटोसोम लिंग क्रोमोसोम के अलावा क्रोमोसोम होते हैं और नर एवं मादा में समान होते हैं। वे लिंग निर्धारण नहीं करते हैं।
    प्रत्येक मानव कोशिका में
    23 क्रोमोसोम के जोड़े = 22 आटोसोम के जोड़े 1 जोड़ा लिंग क्रोमोसोम
    मादा =22 जोड़ा+ xx
    नर = 22 जोड़ा+xy

Rules of genetics and genetics in Hindi  FAQs-

आनुवंशिकता का सिद्धांत क्या है?

  • माता-पिता एवं अन्य पूर्वजों के गुण (traits) का सन्तानों में अवतरित होना अनुवांशिकता (Heredity) कहलाती है।

आनुवंशिकता की खोज कब हुई थी?

  • आनुवंशिकी जीव विज्ञान की शाखाओं में से एक है जो जीवों में आनुवंशिकता, आनुवंशिक भिन्नता और वंशाणु का अध्ययन करती है। इसे पहली बार 19 वीं शताब्दी के अंत में वैज्ञानिक ग्रेगर मेंडल द्वारा खोजा गया था।
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