ओजोन क्षरण या परत  (What is Ozone Layer)

ओजोन क्षरण या परत  (What is Ozone Layer)

ओजोन क्षरण या परत  (What is Ozone Layer) in Hindi

  • नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका examsector.com में। दोस्तों इस पोस्ट की मदद से में आपको Ozone Layer के बारे में बताऊंगा। कि Ozone Layer क्या होती है और Ozone Layer का क्या काम होता है। तथा Ozone Layer से इंसान को क्या फायदा है। Ozone Layer हम पराबैंगनी किरणों से बचाती है। पराबैंगनी किरण हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होती है। Ozone Layer की सहयता से हम पराबैंगनी किरणों से बचे पाते है।
  • ओजोन समतापमण्डल में पाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण गैस है, जो पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) से पृथ्वी का कारगर बचाव करती है। ओजोन पर्त का यह क्षेत्र पृथ्वी की सतह से 60 किमी की ऊँचाई तक व्याप्त है, लेकिन ओजोन परत का सर्वाधिक सान्द्रण समतापमण्डल में 12-35 किमी की ऊँचाई के बीच पाया जाता है। इस ओजोन परत को पृथ्वी का रक्षा कवच (Shield) कहा जाता है, क्योंकि यह सौर्यिक विकिरण (Solar Radiation) की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित (Absorb) करता है। ओजोन परत में सूर्य की 90% पराबैंगनी किरणें अवशोषित हो जाती हैं।
  • इस गैस परत के अभाव में जीवमण्डल में किसी प्रकार का जीवन सम्भव नहीं हो सकता, क्योंकि इस ओजोन परत के अभाव में सौर्थिक विकिरण की सभी पराबैंगनी किरणें भूतल तक पहुँच जाएँगी, जिस कारण भूतल का तापमान इतना अधिक हो जाएगा कि जीवमण्डल जैविक भट्ठी (Biological Furnace) में बदल जाएगा। सर्वप्रथम जोसेफ फरमन ने वर्ष 1985 में अण्टार्कटिका के ऊपर वायुमण्डलीय ओजोन की अल्पता का प्रत्यक्ष प्रभाव प्रस्तुत किया।

ओजोन क्षरण के कारण

  • ओजोन एक वारा प्रदपक गैरा भी है। ओजोन की क्रियाशीलता ऑक्सीजन से अधिक होती है। ओजोन का धारण कुछ विशिष्ट गैसों के कारण होता है। ये गैसे ओजोन (O3) के अणु को तोड़ देती है। इनमें क्लोरोफ्लोरो कार्बन हैलोस, नाइट्रस ऑक्साइड, ट्राईक्लोरोएथिलीन, हैलोजंस आदि शामिल हैं। जिनका वर्णन निम्न प्रकार है

(i) क्लोरोफ्लोरो कार्बन (Chlorofluorocarbon, CFCs)

  • यह अत्यन्त स्थायी, अज्वलनशील, अविषाक्त और प्रयोग में सुरक्षित गैस होती है। इस कारण यह एरोसोल, वातानुकूलकों, रेफ्रिजरेटरों और अग्निशामकों जैसे अनेक औद्योगिक उपयोगों के लिए आदर्श है। यह गैस लम्बे समय तक क्रियाशील रहती है।

(ii) हैलोंस

  • यह संरचनात्मक रूप से क्लोरोफ्लोरो के समान होती है, परन्तु इसमें क्लोरीन के स्थान पर ब्रोमीन के परमाणु होते हैं, जोकि ओजोन परत के लिए क्लोरोफ्लोरो कार्बन से भी अधिक खतरनाक है। हैलोंस अग्निशामक (Fire Extinguisher) पदार्थों के रूप में प्रयुक्त होती है, क्योंकि आग बुझाने के दौरान यह लोंगों और उपकरणों को हानि नहीं पहुंचाती है।

(iii) नाइट्रस ऑक्साइड

  • जेट विमानों, उर्वरकों आदि से नि:सृत नाइट्रस ऑक्साइड भी ओजोन को हानि पहुँचाता है।

(iv) हाइड्रो फ्लोरो कार्बन

  • इसका प्रयोग क्लोरो-फ्लोरो कॉर्बन के विकल्प के रूप में किया गया, यद्यपि यह क्लोरो-फ्लोरो कॉर्बन की तरह ओजोन परत के विनाश के लिए घातक नहीं है, लेकिन इससे भी ओजोन परत का क्षरण होता है।

(v) सल्फेट एरोसोल

  • प्राकृतिक ज्वालामुखी (Volcano) एवं औद्योगिक क्षेत्रों से कारखानों की चिमनियों (जिन्हें मानव ज्वालामुखी (Man Volcano) कहा जाता है) से सल्फेट एरोसोल नि:सृत होकर ओजोन को सामान्य ऑक्सीजन (CO2 → 02 +O) में विघटित (Decompose) करती है।

ओजोन क्षरण के प्रभाव

ओजोन क्षरण के प्रभाव निम्नलिखित है।

  1.  मानव स्वास्थ्य पराबैंगनी किरणे बढ़ने से त्वचा कैंसर, मोतियाबिन्द, त्वचा में झुर्रियाँ आदि रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त पराबैंगनी विकिरणों के सम्पर्क में ज्यादा आने से मनुष्य के अन्दर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तथा न्यूक्लिक अम्ल भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
  2. खाद्य उत्पादन –  पराबैंगनी किरणें प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया के दौरान पौधों की प्रकाश ग्रहण करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, जिस कारण पौधों में पोषक तत्त्वों का अंश कम हो जाता है और पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
  3.  स्थलीय पादपों विकिरण से पौधों की सभी क्रियात्मक एवं विकास । प्रक्रियाओं पर भी प्रभाव पड़ता है। इनसे प्रजाति का संघटन बदल जाता है, जिसके कारण जैव-विविधता (Biodiversity) भी प्रभावित होती है।
  4.  जलीय पारितन्त्रों-  पराबैंगनी विकिरण प्लैंकटनों को हानि पहुँचाती है। जू-प्लैकटनों में पराबैंगनी विकिरण में परिवर्तन के कारण प्रजनन काल कम हो जाता है। चूंकि पादपप्लवक (Phytoplankton) खाद्य श्रृंखला (Food Chain) का आधार बिन्दु है, इसलिए पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव से पादपप्लवक कम हो जाती है, जिसके कारण खाद्य श्रृंखलाएँ प्रभावित होती हैं।
  5.  जैव भू-रसायन चक्रों–  तापमान में परिवर्तन के कारण वाष्पीकरण (Water Vapour) एवं वर्षण की प्रक्रियाओं पर प्रभाव पड़ेगा जिस कारण जलीय चक्र प्रभावित होंगे। जलीय चक्र में प्रभावित होने से जीवमण्डल में वृहत स्तरीय जैव भू-रसायन चक्रों (Biogeochemical Cycles) में भी परिवर्तन होंगे, जिसके फलस्वरूप कारण जीवमण्डलीय पारिस्थितिक तन्त्र के जैविक संघटकों में पोषक तत्त्वों के संचरण में व्यवधान होने से पारिस्थितिक तन्त्र की उत्पादकता में कमी आएगी।

ओजोन छिद्र

  • वायुमण्डल में ओजोन की माप वर्ष 1957 में ब्रिटिश दक्षिण ध्रुव सर्वेक्षण दल ने आरम्भ की थी, जिसका वर्ष 1985 में पता चला कि दक्षिण ध्रुव प्रदेश के ऊपर वसन्त ऋतु में ओजोन का पर्याप्त ह्रास होता है। ओजोन की सान्द्रता वर्ष 1970 में 300 डोबसन यूनिट (Dobson Unit, DU) से घटकर वर्ष 1984 में 200 DU पहुँच गई थी। यह वर्ष 1988 में थोड़ी बढ़कर 250 DU हुई, परन्तु वर्ष 1994 में कम होकर 88 DU हो गई। इस प्रकार 1970 के दशक के माध्य से ओजोन सान्द्रता में लगातार गिरावट होने लगी। ओजोन सान्द्रता में इस हास को ओजोन छिद्र (Ozone Hole) कहा गया।

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