अनावृत्तवीजी (Gymnosperms)
अनावृत्तवीजी (Gymnosperms) Notes in Hindi
- अनावृत्तबीजी (Gymnosperms) बीजीय पौधों (Spermatophytes) का वह सब-फाइलम है, जिसके अन्तर्गत वे पौधे आते हैं, जिनमें नग्न बीज आते हैं, अर्थात् बीजाण्ड (Ovules) तथा उनसे विकसित बीज किसी खोल या फल में बन्द नहीं होते हैं। इनमें अंडाशय (Ovary) का पूर्ण अभाव होता है। यह पुराने पौधों का वर्ग है। इस उप-प्रभाग में लगभग 900 जातियों को रखा गया है। इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं–
1. इस उप-प्रभाग के पौधे बहुवर्षीय (Perennial) होते हैं।
2. ये मरुद्भिद् (Xerophytic) स्वभाव के होते हैं।
3. इनमें स्पष्ट वार्षिक वलय (Annual rings) बनते हैं।
4. इनके बीजों में बीजावरण नहीं पाया जाता है।
5. इनमें संवहन ऊतक (Vascular tissue) पाये जाते हैं।
6. ये नग्नबीजी तथा आशाखित होते हैं।
7. इनमें वायु परागण (Wind pollination-Anemophilly) होता है।
8. इनमें साधारण तथा बहुभ्रूणता (Polyembryony) पायी जाती है।
9. भ्रूण (Embryo) से मूलांकुर (Radicle) तथा प्रांकुर (Plumule) के साथ ही एक या एक से अधिक वीजपत्र बनते हैं।
10. साइकस (Cycas) में काष्ठ (Wood) मेनोजाइलिक (Manoxylic) तथा पाइनस (Pinus) में पिक्नोजाइलिक (Pycnoxylic) होती है।
11. साइकब की कोरेलॉयड (Coralloid)जड़ों से नील हरित शैवाल एनाबीना (Anabena) तथा नॉस्टोक (Nostoc) पाये जाते हैं, जो सहजीवी (Symbiotic) सम्बन्ध प्रदर्शित करते हैं।
12. सबसे बड़ा अण्डाणु तथा शुक्राणु साइकस का होता है, जो कि एक जिम्नोस्पर्म है।
13. इनमें जननांग, कोन्स (Cones) या स्ट्रोविलाई (Strobili) के रूप में समूहित होते हैं । ये कोन्स प्रायः एकलिंगी (Unisexual) होते हैं। नर शंकु (Cones) माइक्रोस्पोरोफिल या लघुबीजाणु पर्ण (Microsporophyll) तथा मादा शंकु (cones) गुरुबीजाणुपण (Megasporophyll) का निर्माण करते हैं।
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