सूक्ष्मजीवों के लाभ और हानि (Sukshm jiv ke labh or hani in hindi)

सूक्ष्म जीव से लाभ (Sukshm jiv ke labh or hani in hindi)

सूक्ष्मजीवों के लाभ और हानि

  • लाभदायक सूक्ष्मजीव – दही (जावण) में उपस्थित लैक्टोबसीलस जीवाणुओं के द्वारा दूध दही में बदल जाता है।

सूक्ष्मजीवों से लाभ

  1.  खाद्य सामग्री निर्माण : दही, पनीर, सिरका आदि के निर्माण में जीवाणुओं का उपयोग किया जाता है। यीस्ट का उपयोग डबल रोटी बनाने में व जलेबी बनाने हेतु प्रयुक्त घोल में खमीर उठाने के लिए किया जाता है। क्लोरेला का उपयोग सूप एवं अन्य खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता है। क्लोरेला निर्मित खाद्य सामग्री का उपयोग आइसक्रीम बनाने में भी किया जाता है।
  2.  औषधि निर्माण में : क्लोस्ट्रीडियम बॉटूलिनम नामक जीवाणु से विटामिन B12 तथा एन्छेक्नॉइड बेसिलाई नामक जीवाणु से रोग प्रतिरोधक पदार्थ तैयार किया जाता है। पेनिसीलियम नामक कवक से पेनिसिलीन नामक जीवनरक्षक औषधि बनाई जाती है, इसका उपयोग टीके एवं प्रतिजैविक के रूप में किया जाता है।
    पेनिसिलिन की खोज एलेक्जेन्डर फ्लेमिंग द्वारा की गई।
  3.  जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण : जीवाणु की कई प्रजातियाँ व अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा वातावरण में उपस्थित नाइट्रोजन को पादपों हेतु उपयुक्त यौगिकों में रूपान्तरित करने की प्रक्रिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण अथवा नाइट्रोजन यौगिकीकरण कहलाती है। उदाहरण दलहनी पौधे जैसे : मूंग, मोठ, चना, मटर की जड़ गुलिकाओं (root nodules) में पाए जाने वाले राइजोबियम जीवाणु।
    गाँठदार संरचनाओं को जड़ गाँठे या गुलिकाएँ (Nodules) कहते हैं। इनमें राइजोबियम जीवाणु पाए जाते हैं। ये वायुमण्डल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलने में सहायक हैं। नाइट्रेट से भमि उपजाऊ बनती हैं। पौधों में नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत यही नाइटेट नामक यौगिक हैं। नाइट्रोजन प्रोटीन का अभिन्न घटक है। किसान इसी कारण एक वर्ष दलहनी फसलें जैसे- मूंग, मोठ ग्वार तथा दूसरे वर्ष अनाजी फसल जैसे- बाजरा, ज्वार आदि की बुवाई करता है।
  4.  ह्यूमस निर्माण में : जीवाणु के द्वारा पत्तियाँ, गोबर व अन्य अपशिष्ट पदार्थ अपघटित होकर ह्यूमस में बदल जाते हैं। इस कारण मृदा उपजाऊ बनती है।
  5. टूथपेस्ट बनाने में : जेन्थोमोनास कैम्पेस्ट्रिस नामक सूक्ष्मजीव का उपयोग टूथपेस्ट बनाने में किया जाता है।

सूक्ष्मजीवों से हानि –

  1.  रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीव : रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों को रोगाणु कहते हैं। मनुष्य में क्षय (T.B.), ककर खाँसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, हैजा, मलेरिया, चर्म रोग आदि इन्हीं सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं। एन्थ्रेक्स मनुष्य एवं जन्तुओं में सूक्ष्म जीवों से होने वाला भयानक रोग है। गाय में खरपका एवं मुंहपका रोग वायरस द्वारा होता है। नींबू का केंकर (जीवाणुजनित), गेहूँ की रस्ट (कवकजनित), भिन्डी का पीत सिरा मोज़ेक (वाइरस जनित) आदि रोग सूक्ष्मजीव द्वारा होते हैं।
  2.  खाद्य पदार्थों को हानि पहुँचाना : अनाज, दालें, पके हुए फल, भोजन, अचार आदि सूक्ष्मजीवों के कारण खराब हो जाते हैं।
  3.  खाद्य पदार्थों को विषाक्त करना : क्लोस्ट्रीडियम बॉटुलिनम जीवाणु खाद्य पदार्थों को विषाक्त कर देते हैं जिससे इन्हें ग्रहण करने वालों को उल्टी-दस्त होने लगती है और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है।
  4.  बहुमूल्य वस्तुओं को नष्ट करना : कपड़े, कागज, लकड़ी, चमड़ा आदि से बनी सभी प्रकार की बहुमूल्य वस्तुओं को सूक्ष्मजीव खराब कर देते हैं जिससे उनकी गुणवत्ता कम हो जाती है।

हानिकारक सूक्ष्मजीवों से बचाव के उपाय –

  • घरों में अनाज, दालें, कपड़े आदि को समय-समय पर धूप में सुखाना।
  • पकाई हुई दाल, दूध आदि भोज्य पदार्थों को ठण्डी जगह रखना।
  • अचार में तेल मुरब्बों में शक्कर आदि डालना।
  • धान एवं दालों में पारद गोली एवं नीम की पत्तियों का उपयोग करना।

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