हरियाणा की कृषि ( Agriculture of Haryana )
- हरियाणा कृषि की दृष्टि से एक समद्ध राज्य है। हरियाणा में लगभग 65% लोगों की जीविका कृषि पर निर्भर करती है। हरियाणा केंद्रीय भंडार (अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली) में बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल देता है। राज्य के घरेलू उत्पादन में 26.4 प्रतिशत योगदान कृषि का है। हरियाणा राज्य के निर्माण के समय 1966-67 में राज्य में खाध्यन्न उत्पादन 25.92 लाख टन था जो 2011-12 में बढ़ कर 183.70 लाख टन हो चुका है। राज्य के निर्माण के समय से अब तक यह बढ़ोतरी लगभग 7 गुना है।
- हरियाणा में मुख्य फ़सलों का उत्पादन पहले से बहुत बढ़ गया है। हरियाणा की मुख्य फसलों में चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, गन्ना, कपास दलहन, तिलहन और आलू आदि आते हैं। देश के 60% से अधिक बासमती चावल का निर्यात अकेले हरियाणा से किया जाता है। हरियाणा में नकदी फ़सलों में गन्ना, कपास, तिलहन और सब्जियों तथा फलों का उत्पादन अधिक हो रहा है। सूरजमुखी और सोयाबीन, मूंगफली, बागवानी को भी विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। हरियाणा में खेती को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर लोगो को जागरूक किया जा रहा है और कृषि संबन्धित कार्यक्रम किए जाते है। मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बढ़ाने के लिए ढेंचा और मूंग के उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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राज्य के कृषि-जलवायु क्षेत्र
- हरियाणा की जलवायु शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क है तथा यहॉ औसत वार्षिक वर्षा 45.5 सेमी होती है। राज्य में कुल बर्षा का लगभग 70 %जुलाई से सितम्बर के मध्य होता है इसके अतिरिक्त शेष वर्षा दिसम्बर से फरवरी के मध्य होती है।
हरियाणा को दो कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है
- उत्तरी पश्चिमि क्षेत्र – मुख्यत: चावल, गेहूँ, सब्जियाँ आदि हेतु उपयुक्त
- दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र – उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पाद, उष्ण कटिबन्धीय फलों, सब्जियों, जडी-बूटियों एवं औषधीय पौधों के उत्पादन हेतु उपयुक्त।
राज्य की प्रमुख फसलें
- राज्य में मुख्य रूप से दो प्रकार की फसलें पैदा की जाती हैं – रबी और खरीफ।
रबी फसलें–
- इन फसलों को स्थानीय भाषा मे आषाढी फसल भी कहा जाता है। इन फसलों को अक्टूबर, नवम्बर महीने में बोया जाता है तथा अप्रेल-मई में काट लिया जाता है।
- गेहूँ
० हरियाणा में देश के कुल गेहूँ उत्पादन का 12% गेहूँ पैदा होता है। ० इसका उत्तर प्रदेश व पंजाब के बाद तीसरा स्थान है। राज्य में गेहूँउत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हिसार, सिरसा, भिवानी व जीन्द हैं। - कपास , जौ
- ० हरियाणा का कपास उत्पादन मे देश में चौथा स्थान है।
- ० राज्य में कपास उत्पादक जिले हिसार, सिरसा, भिवानी, जीन्द, रोहतक आदि हैं।
- चना
० चने की फसल भिवानी, हिसार, सिरसा, महेन्द्रगढ़, रोहतक आदि क्षेत्रों मे उगाई जाती है। ० यह पश्चिमी क्षेत्रों में पाई जाती है। - दलहन
० तिलहन व दलहनी फसलें भिवानी, हिसार, महेन्द्रगढ़, रोहतक, रेवाडी, सिरसा, जीन्द, गुडगाँव, सोनीपत आदि क्षेत्रों में उगाई जाती हैं।
राज्य के कृषि आंकड़े
- भौगोलिक क्षेत्र – 4421 हजार हैक्टेयर
- वन के अन्तर्गत क्षेत्र – 40 हजार हेक्टेयर
- वन प्रतिशत -0.9
- कृषि योग्य क्षेत्र – 3689 हजार हेक्टेयर (83.4%)
- शुद्ध बोया क्षेत्र – 3513 हजार हेक्टेयर (95.2%)
- एक से अधिक बार बोया गया क्षेत्र – 2862 हजार हैक्टेयर
- सकल फसल क्षेत्र – 6375 हजार हेक्टेयर
- फसल तीव्रता – 181.47%
- शुद्ध सिंचित क्षेत्र – 3102 हजार हेक्टेयर
- एक से अधिक बार बोया गया क्षेत्र – 2862 हजार हैक्टेयर
- सकल फसल क्षेत्र – 6375 हजार हेक्टेयर
- फसल तीव्रता – 181.47%
- शुद्ध सिंचित क्षेत्र – 3102 हजार हेक्टेयर
खरीफ फसलें
- इन फसलों को सावनी फसल भी कहा जाता है। इन फसलों को जुलाई के प्रारम्भ में बोया जाता है तथा सितम्बर में काट लिया जाता है
- मक्का
० इस फ़सल मे जल की बहुत कम आवश्यकता होती है। ० इसकी खेती अम्बाला, यमुनानगर, पंचकुला, रोहतक जिलों में पाई जाती है। - चावल
० पूर्व मे यहाँ चावल का उत्पादन आंशिक होता था। ० राज्य गठन के समय से वर्तमान समय तक चावल के उत्पादन मे 12 गुना वृद्धि हुई है, जो इस राज्य मे अब बेहद लोकप्रिय खाद्य फसल है।
० राज्य मे चावल उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, जींद, सोनीपत, हिसार। ० राज्य का करनाल जिला बासमती चावल के उत्पादन में विश्व प्रसिद्ध होने के कारण चावल का कटोरा नाम से जाना जाता है। - बाजरा
० इसकी बुवाई सिंचित क्षेत्रों के मध्य जुलाई में तथा गैर-सिंचित क्षेत्रों मे प्रथम मानसूनी वर्षा केबाद की जाती है।
० इसकी खेती सिरसा, हिसार, फतेहाबाद एवं फरीदाबाद में होती है। - ज्वार
० उत्पादन की दृष्टि से सिरसा, महेन्द्रगढ़, भिवानी, जीन्द जिले प्रमुख हैं।
कृषि क्षेत्र में विभिन्न योजनाएँ
- किसानों की खुशहाली के लिए रिवोल्विंग कैश क्रेडिट स्कीम तथा कृषक उपहार योजना जैसी अनूठी स्कीमें शुरू की गई हैं। ० ज्वार गर्म और शुष्क भागों में साधारण वर्षा वाले क्षेत्रों मे उगाई जाती
० हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक भूमि खरीद के लिए ऋण सीमा ₹ 2 लाख से बढाकर ₹ 10 लाख कर दी गई । गैर-कृषि ऋणों की सीमा ₹10 लाख से बढाकर ₹ 15 लाख कर दी गई हैं।
० कृषि पैदावार के क्षेत्र मे जिला स्तर पर उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले किसान को ₹ 25,000 और राज्य स्तर पर उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले किसान को एक लाख रुपये के जननायक चौधरी देवीलाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
० राज्य सरकार ने सहकारी चीनी मिलों के लिए सघन विकास योजना के अन्तर्गत ₹ 20.63 करोड का प्रावधान किया है। इस योजना का उददेश्य किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाना तथा उन्नत बीजों की पौधशालाएँ तैयार करना है।
० हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा 2 अक्टूबर, 2000 से गाँधी जयन्ती पर किसानों के लाभार्थ कृषक उपहार योजना शुरू की गई है।
राज्य के प्रमुख फल एवं उत्पादक क्षेत्र
- आम – अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पंचकुला, यमुनानगर
- अमरूद – करनाल, सोनीपत, फरीदाबाद, हिसार, गुडगाँव
- पपीता – यमुनानगर, करनाल, पंचकुला, कुरुक्षेत्र, अम्बाला
- बेर – सोनीपत, गुडगाँव, हिसार, फतेहाबाद, रोहतक
- आँवला – गुडगाँव, सिरसा, हिसार, करनाल, फरीदाबाद, हिसार, अम्बाला, गुडगाँव, फतेहाबाद
राज्य की प्रमुख सब्जियाँ एवं उत्पादक क्षेत्र
- आलू – कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अम्बाला, करनाल
- प्याज – गुडगाँव, सोनीपत, पानीपत, पंचकुला
- फुलगोभ – सोनीपत, पानीपत, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र कुकुरबिटस करनाल, सोनीपत, पानीपत, गुडगाँव
राज्य के प्रमुख मसाले एवं उत्पादक क्षेत्र
- हल्दी – यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, पंचकुला
- मिर्च – यमुनानगर, करनाल, हिसार, फतेहाबाद, जीन्द
- लहसुन – करनाल, यमुनानगर, फतेहाबाद, गुडगाँव, सिरसा
- धनिया – कुरुक्षेत्र, करनाल, गुडगाँव, पंचकुला, अम्बाला
- मेथी- हिसार, महैन्द्रगढ़, जीन्द
राज्य के प्रमुख फूल एवं उत्पादक क्षेत्र
- गुलाब – पानीपत, सोनीपत, गुडगाँव, कैथल
- गेंदा – गुडगाँव, सोनीपत, जीन्द, झज्जर, फरीदाबाद
- रजनीगन्दा – फरीदाबाद
- ग्लैडियोलस – फरीदाबाद, करनाल, गुड़गांव, पंचकूला
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