हरियाणा में आर्थिक नियोजन
  • हरियाणा देश के आर्थिक रूप से उन्नत राज्यों में से एक है । यद्यपि कृषि, राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, परन्तु विगत कुछ वर्षों मे राज्य में तीव्र औद्योगिक विकास हुआ है । राज्य में आर्थिक नियोजन के तहत् विणत पंचवर्षीय योजनाओं तथा राज्य की वार्षिक योजना में औद्योगिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है तथा राज्य मे विश्वस्तरीय औद्योगिक अवसंरचना के विकास के लिए कई नई योजनाएं लागू की गई हैं । हरियाणा के उद्योग सरकारी व निजी क्षेत्रों के लिए एक वरदान के रूप में सामने आए हैं।

पंचवर्षीय योजनाएँ

  • 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब से अलग होकर एक नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा में विभीन्न पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान स्वीकृत राशि मे उत्तरोत्तर काफी वृद्धि हुई है तथा राज्य के प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में तीव्र गति से विकास हुआ है। यद्यपि राज्य में कृषि क्षेत्र में काफी विकास हुआ है, परन्तु औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र में अधिक तीव्रता से विकास होने के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान की प्रतिशतता कम हो रही है।

12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)

  •  11वीं योजना के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था अनेक आयामों में सुदृढ हुईं है तथा 12वीं योजना के दौरान यह पूरी तेजी, दीर्घकालिक एवं अधिक समावेशी विकास पर विशेष बल दिया गया था।
  •  12वीं योजना का केन्द्र बिन्दु व्यापक होगा तथा स्वास्थ्य संकेतकों मे उल्लेखनीय सुधार, बच्चों की स्कूल तक सार्वभोमिक पहुँच, उच्चतर शिक्षा तक पहुँच को बढाने एवं कौशल विकास सहित शिक्षा के स्तर को सुधारने और मानी, बिजली, सड़के, स्वच्छता एवं आकास जैसी मूलभूत सुविधाओं के सुधार पर केंद्रित रहेगा।
  •  अनुसूचित जातियों, पिछडे वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं एवं बच्चों की आवश्यकताओं पर बिशेष बल दिया जाएगा, जिनके संबंध मे अनेक क्षेत्रों मे प्रासंगिक योजनाओ की पहुँच के मामले मे विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) का आकार ₹ 90000 करोड़ प्रस्तावित था, जोकि 11वीं योजना के ₹ 35000 करोड के परिव्यय से 157% अधिक था।
  •  12वीं योजना के दौरान विभागों को योजनागत परिव्यय आवंटित करते समय सामाजिक न्याय एवं कल्याण के साथ विकास की रणनीति को जारी रखा गया था। तदनुसार, सामाजिक सेवा क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ₹ 49474.30 करोड़ का परिव्यय आवंटित किया गया था। जोकि 12वीं पचवर्षीय योजना के कुल प्रस्तावित परिव्यय का 54. 97% है।

हरियाणा में प्रतिव्यक्ति आय

  •  देश में प्रतिव्यक्ति आय के अन्तर्गत हरियाणा का गोवा के बाद दूसरा स्थान है।
  •  वर्ष 2012-13 के बजट मे वर्ष 2011-12 मे राज्य में प्रतिव्यक्ति आय ₹ 1,09,227 (चालूमूल्यों पर अनुमानित) है। वर्ष 2010-11 मे चालूमूल्यों पर राज्य घरेलू उत्पाद में 19% की वृद्धि हुई थी।
  •  वर्ष 2009-10 में GCDC चालूमूल्यों पर ₹ 2,22,031 करोड था, जो वर्ष 2010-11 में बढकर ₹ 2,64,149 करोड़ हो गया।
  •  बर्ष 2012-13 मे देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि जहॉ 4.50/0 रही, वहीं हरियाणा की सकल घरेलू उत्पाद में बृद्धि 6.5% रही थी।
    हरियाणा की वार्षिक आय पिछले 7 सालों में 90 हजार तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हरियाणा के लोगों की आय पिछले 7 सालों के मुक़ाबले 28 हजार रुपए सालाना बढ़ गई है।
  • साल 2011-2012 में चालू भावों में प्रति व्यक्ति आय रुपए 106085 थी, वहीं यह वर्ष 2017-2018 में बढ़कर रुपए 196982 पहुंच गई है।
  • वर्ष 1966-1967 में व्यक्तिगत आय रुपए 608 थी| वर्ष 2017-2018 के अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू कीमतों पर प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) रुपए 6,08,470.73 करोड़ दर्ज किया गया, जो पिछले साल की अपेक्षा 11.6 फीसदी अधिक है।

सकल राज्य मूल्य वर्धन वृद्धि दर 7.6 % (Gross State Value Addition)

  • वर्ष 2014-15 :5.9%
  • वर्ष 2015-16: 8.7%
  • वर्ष 2016-17: 8.2%

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