वायु प्रदूषण- परिभाषा, कारण, उपाय !

वायु प्रदूषण- परिभाषा, कारण, उपाय ! (Air pollution notes in hindi)

Air pollution notes in hindi

  • वायु प्रदूषण (Air pollution) : वायु ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि गैसों का मिश्रण है। वायु में इसका एक निश्चित अनुपात होता है तथा इनके अनुपात में असंतुलन की स्थिति में वायु प्रदूषण उत्पन्न होता है।

वायु प्रदूषण के स्रोत :

  • वायु प्रदूषण के स्रोतों को दो समूहों में रखा जा सकता है—
  • (a) वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत : दावानल (Forest fire), ज्वालामुखी की राख, धूल भरी आंधी, कार्बनिक पदार्थों का अपघटन, वायु में उड़ते परागकण आदि वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत हैं।
  • (b) वायु प्रदूषण के मानव निर्मित स्रोत : जनसंख्या विस्फोट, वनोन्मूलन, शहरीकरण, औद्योगीकरण आदि वायु प्रदूषण के मानव निर्मित स्रोत्र है। मनुष्य के अनेक क्रियाकलापों द्वारा वायु में छोड़ी जाने वाली कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, सीसा, आर्सेनिक, एस्बेस्टस, धूल के कण तथा रेडियोधर्मी पदार्थों द्वारा भी वायु प्रदूषण हो रहा है।

वायु-प्रदूषण से हानियाँ :

  • (a) कार्बन मोनोक्साइड (CO) वायु में अधिक मात्रा में होने पर थकावट, मानसिक विकार, फेफड़े का कैन्सर आदि रोग होता है। हीमोग्लोबिन कार्बन मोनोक्साइड के साथ प्रतिक्रिया कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन नामक स्थाई यौगिक बनाता है, जो विषैला होता है। इस कारण दम घुटने से मृत्यु तक हो जाती है।
  • (b) ओजोन परत में ह्रास के कारण पराबैंगनी (UV) किरणें अधिक मात्रा में पृथ्वी तक पहुँचती हैं। पराबैंगनी किरणों से आँखों तथा प्रतिरक्षी तंत्र को नुकसान पहुँचता है एवं त्वचीय कैन्सर हो जाता है। इसके कारण वैश्विक वर्षा, पारिस्थितिक असंतुलन एवं वैश्विक खाद्यजाल (भोजन) की उपलब्धता पर भी प्रभाव पड़ता है।
    नोट : रेफ्रीजेरेटर, अग्निशमन यंत्र तथा ऐरोसोल स्प्रे में उपयोग किए जाने वाले क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (CFC) से ओजोन परत का ह्रास होता है।
  • (c) अम्लीय वर्षा का कारण भी वायु प्रदूषण ही है। यह वायु में उपस्थित नाइट्रोजन तथा के ऑक्साइड के कारण होती है। इसके कारण अनेक ऐतिहासिक स्मारक, भवन, मूर्तियों का सरक्षण हो जाता है, जिससे उन्हें बहुत नुकसान पहुँचता है । अम्लीय वर्षा से मृदा भी अम्लीय हो जाती है, जिससे धीरे-धीरे इसकी उर्वरता कम होने लगती है, और उसका कृषि उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • (d) मोटरगाड़ियों की निकासक नली से निर्मुक्त सीसे (Lead) के कणों से एंथ्रेक्स व एक्जिमा रोग होता है।
  • (e) कुछ पीड़कनाशियों से भी प्रदूषण होता है। यह पीड़कनाशी जीवों की खाद्य शृंखला में प्रवेश कर जाते हैं तथा जीव में उनका सांद्रण बढ़ता जाता है। इस प्रक्रिया को जैव आवर्धन (Bio-magnification) कहते है। इसके कारण वृक्क, मस्तिष्क एवं परिसंचरण तंत्र में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
  • (f) आर्सेनिक पौधों को विषाक्त बना देती है, जिससे चारे के रूप में पौधे को खाने वाले पशुओं की मृत्यु हो जाती है।
  • (g) जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम आदि) के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड तथा मीथेन जैसी गैसें पृथ्वी से होने वाले ऊष्मीय विकिरण को रोक लेती हैं। इससे पृथ्वी का ताप बढ़ता है, जिसके फलस्वरूप मौसम में परिवर्तन के साथ-साथ समुद्र तल में भी वृद्धि होती है। ताप के बढ़ने से हिमाच्छादित चोटियाँ तथा हिम-खंड पिघलने लगेंगे जिससे बाढ़ आ सकती है।
  • (h) कारखानों की चिमनियों से निकलने वाली SO2 श्वासनली में जलन पैदा करती है तथा फेफड़ों को क्षति पहुँचाती है।

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