बैक्टीरिया क्या है, खोज, प्रकार, पोषण
बैक्टीरिया क्या है, खोज, प्रकार, पोषण (Bacteria kya hai or Bacteria ke prakar in hindi)
Bacteria kya hai or Bacteria ke prakar in hindi
बैक्टीरिया क्या है – Bacteria kya hai in hindi :-
- बैक्टीरिया या जीवाणु छोटे जीवित जीव हैं, जिन्हें सूक्ष्मजीव भी कहते हैं, ये इतने छोटे होते हैं कि उन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है, लेकिन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके देखा जा सकता है। 1838 में “bacteria” शब्द ग्रीक शब्द “bakteria” से निकला, जिसका अर्थ “लिटिल स्टिक” (छोटी छड़ी) है। इसका कारण यह है कि पहली बार खोजे गए बैक्टीरिया का आकार रॉड के जैसा था।
जीवाणु की खोज :-
- सर्वप्रथम 1683 में हालैंड के एण्टोनी वान ल्यूवेनहाॅक (Antonie van Leeuwenhoek) ने अपने बनाये हुये सूक्ष्मदर्शी से दांत के खुरचन में जीवाणुओं को देखा तथा इन्हें सूक्ष्मजीव कहा। इसी कारण ल्यूवेनहाॅक को जीवाणु विज्ञान का पिता कहा जाता है।
- जीवाणु में माइटोकाॅन्ड्रिया नहीं पायी जाती तथा श्वसन का कार्य मीसोसोम करता है।
जीवाणु के प्रकार – Bacteria ke prakar in hindi :-
- आकृति (Shape) : आकृति के आधार पर जीवाणु निम्नलिखित प्रकार के होते हैं–
1. शलाकवत् (Bacillus) : इस प्रकार का जीवाणु छड़नुमा या बेलनाकार आकृति का होता है। जैसे—बेसिलस एन्थ्रासिस (Bacillus anthracis)।
2. गोलाकार (Coccus): गोलाकार आकृति के जीवाणुओं को कोकस (Coccus) के नाम से जाना जाता है। ये सबसे छोटे जीवाणु होते हैं। कोशिकाओं के विन्यास के आधार पर ये कई प्रकार के होते हैं– - (i) माइक्रोकोकाई (Micrococci): एक कोशिका के रूप में, जैसे—माइक्रोकोकस (Micrococcus)।
(ii) डिप्लोकोकाई (Diplococci) : दो-दो कोशिकाओं के समूह में, जैसे—डिप्लोकोकस न्यूमोनी (Diplococcus pneumoniae)।
(iii) स्ट्रेप्टोकोकाई (Streptococci): अनेक कोशिकाओं के समूह में, जैसे—स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस (Streptococcus lactis)।
(iv) सारसिनी (Sarcinae): 8,64 अथवा 128 के घनाकृ तिक पैकेट में, जैसे—सारसिना (Sarcina)। - 3. सर्पिलाकृतिक (Spiralli or Helical) : इस प्रकार का जीवाणु Coiled अथवा Spiral होता है। जैसे—स्पाइरिलम रुप्रेम (Spirillum ruprem)।
4. कौमा (Comma): इस प्रकार का जीवाणु अंग्रेजी के चिह्न कौमा ( , ) के आकार के होते हैं। जैसे—विब्रियो कोमा (Vibrio comma)|
जीवाणुओं में पोषण (Nutrition in bacteria) :
जीवाणुओं में मुख्यतः दो प्रकार का पोषण पाया जाता है। ये है–
A. स्वपोषी पोषण : इस प्रकार के पोषण में जीवाणु अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं। इसके अन्तर्गत दो प्रकार के पोषण आते हैं
- (i) प्रकाश संश्लेषी (Photo synthetic) : इस प्रकार के पोषण के अन्तर्गत जीवाणु प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। इनमें पर्णहरित की जगह जीवाणु-पर्णहरित होता है। जैसे—क्रोमैटियम (Chromatium) रोडोस्पिरिलम (Rhodospirillum) आदि।
(ii) रसायन संश्लेषी (Chemosynthetic): इस प्रकार के पोषण के अन्तर्गत जीवाणु अकार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। जैसे-नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोबैक्टर आदि।
B. विषमपोषी पोषण (Heterotrophic nutrition) : इस प्रकार के पोषण के अन्तर्गत जीवाणु अपना भोजन दूसरे जीवों से प्राप्त करते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं–
- (i) परजीवी (Parasitic): इस प्रकार के पोषण में एक जीवाणु दूसरे जीव पर आश्रित रहते हैं और रोग कारक होते हैं। जैसे–माइकोबैक्टीरियम (Mycobacterium)।
(ii) सहजीवी (Symbiotic) : इस प्रकार के पोषण में जीवाणु अन्य जीव के शरीर में रहकर भोजन प्राप्त करते हैं, लेकिन उस जीव को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाते हैं। जैसे – राइजोबियम (Rhizobium)।
(iii) मृतोपजीवी (Saprophytic) : – इस प्रकार के पोषण में जीवाणु मृत अवशेषों से भोजन प्राप्त करते हैं। जैसे—लैक्टोबैसिलस ( Lactobacillus )
Bacteria kya hai or Bacteria ke prakar in hindi FAQs
बैक्टीरिया क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं?
बैक्टीरिया अत्यंत सूक्ष्म और एक कोशिका वाले जीव होते हैं। वे पृथ्वी पर सबसे पहले ज्ञात जीवन रूपों में से हैं। हज़ारों विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया हैं और वे पूरी दुनिया में हर कल्पनीय वातावरण में रहते हैं।
बैक्टीरिया के आविष्कारक कौन थे?
बैक्टीरिया की खोज एंटनी वान ल्यूवेनहॉक ने की थी। वे एक डच वैज्ञानिक थे और उन्हें सूक्ष्म-जीव विज्ञान का जनक माना जाता है।
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