मानव जनन तंत्र ( Human Reproductive system Notes in Hindi )

मानव जनन तंत्र ( Human Reproductive system Notes in Hindi )

Human Reproductive system Notes in Hindi

  • जनन सभी जीवधारियों में पाए जाने वाला एक अति महत्वपूर्ण तंत्र है जिसमे एक जीव अपने जैसी संतान उत्पन्न करता है । मानवों में लैगिंक (Sexual) जनन पाया जाता है । यह द्विलिंगी प्रजनन प्रक्रिया हैं जिसमें नर युग्मक के तौर पर शुक्राणुओं का निर्माण करते है तथा मादा अडों (मादा युग्मक) का निर्माण करती हैं। शुक्राणु तथा अंडाणु के निषेचन (Fer- tilization) से युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है जो आगे चल कर नए जीव का निर्माण करता है ।
  • लैंगिक जनन हेतु इस के लिए उत्तरदायी जनन कोशिकाओं का विकास एक विशेष अवधि जिसे यौवनांरभ (Puberty) कहा जाता है में होता है। इस अवस्था में लैगिंक विकास दृष्टिगोचर होने लगता है तथा जनन परिपक्वता आती है। लड़को में यौवनांरभ के लक्षण हैं आवाज का भारी होना, दाढ़ी मूँछ आना, काँख एंव जननांग क्षेत्र में बालों का आना, त्वचा तैलीय होना आदि। लड़कियों में स्तन का बनना तथा आकार में वृद्धि, त्वचा का तैलीय होना, जननांग क्षेत्र में बालों का आना, रजोधर्म का शूरू होना, आदि यौवनांरभ के लक्षण हैं। लड़कियों में यौवनारंभ 12-14 वर्ष की उम्र में होता है तथा लड़को में यह 13–15 वर्ष की उम्र में होता है । लैंगिक परिपक्वता 18-19 वर्ष की उम्र में पूर्ण हो जाती है । इस अवधि में मनुष्यों की संवेदनाओं तथा उसके बौधिक व मानसिक स्तर में परिवर्तन आता है । यौवनांरभ से लैंगिक परिपक्वता तक आए परिवर्तनों के मूल में विभिन्न हार्मोनो का स्त्रावण है । मानव नर में टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) तथा स्त्रियों में एस्ट्रोजन (Estrogen) तथा प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) प्रमुख लिंग हार्मोन हैं ।

1 नर जनन तंत्र (Male reproductive system) –

  • नर जनन अंगो को प्राथमिक तथा द्वितीयक लैंगिन अंगों में विभेदित किया जाता है (चित्र 2.12 ) ।

मानव जनन तंत्र ( Human Reproductive system Notes in Hindi )

प्राथमिक लैंगिक अंग (Primary reproductive organs)

  • ये वे अंग छोटे होते हैं जो या तो लैंगिक कोशिकाओं या युग्मकों (Sex cells तथा Gametes) का निर्माण करते हैं। साथ ही ये कुछ हार्मोन का स्त्राव भी करते है । ये अंग जनद (Gonads) कहलाते हैं। नर में जदन वृषण (Testis) कहलाते है तथा नर जनन कोशिका – शुक्राणु का निर्माण करने के लिए उत्तरदायी होते हैं। यह उदर गुहा के बाहर वृषण कोष (Scrotum) में उपस्थित होता है । वृषण के दो भाग होते है- प्रथम जो शुक्राणु निर्माण करता है तथा द्वितीय अंतः स्त्रावी ग्रन्थि के तौर पर टेस्टोस्टेरान हार्मोन का स्त्राव करता है ।

द्वितीयक लैंगिक अंग (Secondary reproductive organs)

  • प्राथमिक लैंगिक अंगों के अलावा जो भी अंग जनन तंत्र में कार्य करते हैं उन्हें द्वितीयक लैंगिक अंग कहा जाता है । द्वितीयक अंग निम्न है ( चित्र 2.12 ) |
  • (a) वृषण कोष (Scrotum) : – वृषण कोष वृषण को स्थिर रखने के लिए आवश्यक है। शुक्राणु निर्माण हेतु शरीर से कम तापमान की आवश्यकता होती है । वृषण कोष ताप नियंत्रण यंत्र के तौर पर कार्य करता है तथा यहाँ का तापमान शरीर के अन्य अंगों से कम होता है।
  • (b) शुक्रवाहिनी (Vas difference) : – शुक्राणु शुक्राशय (Seminal vesicles) तक पहुचने के लिए शुक्रवाहिनी की सहायता लेते हैं। शुक्रवाहिनी मूत्रनलिका के साथ एक सयुंक्त नली बनाती है । अतः शुक्राणु तथा मूत्र दोनों समान मार्ग से प्रवाहित होते हैं | यह वाहिका शुक्राशय के साथ मिल कर स्खलन वाहिनी ( Ejaculatory duct) बनाती है ।
  • (c) शुक्राशय (Seminal vesicles ) : – शुक्रवाहिनी शुक्राणु संग्रहण के लिए एक थैली जैसी संरचना जिसे शुक्राशय कहते हैं में खुलती है। शुक्राशय एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है जो वीर्य के निर्माण में मदद करता है साथ ही यह तरल पदार्थ शुक्राणुओं को ऊर्जा तथा गति प्रदान करता हैं।
  • (d) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) : – यह अखरोट के आकार की एक बाह्य स्त्रावी ग्रन्थि है जो एक तरल पदार्थ का निर्माण व उत्सर्जन करती है । यह तरल वीर्य का भाग बनता है तथा शुक्राणुओं को गति प्रदान करता है ।
  • (e) मूत्र मार्ग ( Urethera) : – यह एक पेशीय नलिका है जो मूत्राशय से निकल कर स्खलन वाहिनी से मिल कर मूत्र जनन नलिका (Urino genital canal) बनाती है। इसमें से होकर मूत्र, शुक्राणु, प्रोस्टेट ग्रन्थि आदि के स्त्राव बहार निकलते हैं। यह नलिका शिशन ( Penis) से गुजर कर मूत्रजनन छिद्र (Urinogenital aperture) द्वारा बाहर निकलती है।
  • (f) शिशन ( Penis) : – ये एक बेलनाकार अंग है जो वृषणकोष के बीच लटकता रहता है। यह उत्थानशील (Erectile) मैथुनांग (Copulatory or- gan) है। सामान्य अवस्था में यह छोटा तथा शिथिल रहता है तथा मूत्र विसर्जन के काम आता है । मैथुन के समय यह उन्नत अवस्था में आकर वीर्य (मय शुक्राणु) को मादा जननांग में पहुँचाने का कार्य करता है।

2 मादा जनन तंत्र (Female reproductive system)

  • स्त्रियों में भी जनन तंत्र को प्राथमिक व द्वितीयक लैंगिक अंगों में विभेदित किया गया है ।

मानव जनन तंत्र ( Human Reproductive system Notes in Hindi )

प्राथमिक जनन अंग (Primary reproductive organs)

  • मादाओं में प्राथमिक लैंगिक अंग के तौर पर एक जोड़ी अण्डाशय (Ovaries) पाए जाते हैं (चित्र 2.12 ) । अण्डाशय के दो प्रमुख कार्य होते हैं- प्रथम, यह मादा जनन कोशिकाओं (अंडाणु) का निर्माण करता है। द्वितीय यह एक अंतःस्त्रावी ग्रन्थि के तौर पर दो हार्मोन का निर्माण करता है- एस्ट्रोजन (Estrogen) तथा प्रोजेस्टेरोन (Progesterone)। दोनों अण्डाशय उदरगुहा में वक्कों के नीचे श्रोणि भाग ( Pelvic region) में गर्भाशय के दोनों और उपस्थित होते हैं। प्रत्येक अंडाशय में असंख्य विशिष्ट संरचनाए जिन्हें अण्डाशयी पुटिकाएँ (Ovarian follicles) कहा जाता हैं पाई जाती हैं । ये पुटिकाएं अण्डाणु निर्माण करती है । अण्डाणु परिपक्व होने के पश्चात् अंडाशय से निकलकर अंडवाहिनी (Fallopian tubes) से होकर गर्भाशय तक पहुँचता है। अंडाशय से स्त्रावित हार्मोन स्त्रियों में होने वाले लैंगिक परिवर्तन, अंडाणु के निर्माण आदि कार्यो में मदद करते हैं।

द्वितीयक लैंगिक अंग (Secondary reproductive organs)

  • नर की भांति ही स्त्रियों में प्राथमिक अंगों के अलावा जनन कार्यों में मदद करने वाले अंग द्वितीयक लैगिक अंग कहलाते है । ये निम्न हैं ( चित्र 2.13 ) ।
  • (a) अंड वाहिनी (Fallopian tube) – यह एक लम्बा कुण्डलित नलिकाकार अंग है जो गर्भाशय के दोनों और स्थित होता है । अंड वाहिनी की नलियाँ अडाणुओं को अण्डाशय से गर्भाशय तक पहुँचाने का कार्य करती है। यह 10-12 से.मी. लम्बी होती है तथा उदरगुहा के पीछे तक फैली होती है। यह निषेचन क्रिया के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाने में मदद करती है।
  • (b) गर्भाशय (Uterus) – गर्भाशय उदर के निचले भाग में मूत्र थैली तथा मलाशय के मध्य स्थित खोखला मासंल अंग है जहां दोनों अडंवाहिका संयुक्त होकर एक थैलीनुमा संरचना का निर्माण करती हैं। इसका चौड़ा भाग ऊपर की ओर तथा संकरा भाग नीचे की ओर होता है । गर्भाशय ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है। गर्भाशय में शुक्राणु द्वारा निषेचित अण्ड स्थापित हो भ्रूण का विकास करता हैं। माता और भ्रूण के मध्य स्थापित कड़ी प्लेसेंटा का रोपण भी गर्भाशय में ही होता है ।
  • (c) योनि (Vagina ) – यह मूत्राशय व मलाशय के मध्य स्थित करीब 8-10 से.मी. लम्बी नाल है जो स्त्रियों में मैथुन कक्ष के तौर पर कार्य करती है। यह अंग स्त्रियों मे रजोधर्म स्त्राव ( menstral flow) तथा प्रसव के मार्ग का भी कार्य करता है । योनि में लैक्टोबैसिलस जीवाणु पाए जाते है जो लैक्टिक अम्ल का निर्माण करते हैं। यहां का वातावरण लैक्टिक अम्ल तथा कार्बनिक अम्ल के कारण अम्लीय होता है।

3 प्रजनन की अवस्थाएँ (Phases of reproduction)

  • मनुष्य में प्रजनन की निम्न अवस्थाएँ पाई जाती हैं।
  • (a) युग्मकजनन (Gametogenesis ) : वृषण तथा अण्डाश्य में अगुणित युग्मकों (Haploid gametes) की निर्माण विधि को युग्मकजनन कहा जाता है। नर के वृषण में होने वाली इस क्रिया द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है तथा यह क्रिया शुक्रजनन कहलाती है। मादा के अण्डाशय में युग्मको की निर्माण क्रिया जिस के द्वारा अण्डाणु का निर्माण होता है अण्डजनन कहलाती है।
  • (b) निषेचन (Fertilization) : मादा में उपस्थित अण्डाणु मैथुन के दौरान नर द्वारा छोडे गए शुक्राणुओं के संपर्क में आते हैं तथा संयुग्मन कर युग्मनज (Zygote) का निर्माण करते है। यह प्रक्रिया निषेचन कहलाती है।
  • (c) विदलन तथा भ्रूण का रोपण (Cleavage and embryo implantation ) : युग्मनज समसूत्री विभाजन द्वारा एक संरचना बनाता है जिसे कोरक (Blastula) कहा जाता है। तत्पश्चात् कोरक गर्भाशय के अंतःस्तर (En- dometrium) में जाकर स्थापित होता है । यह प्रक्रिया भ्रूण का रोपण (Embryo implantation) कहलाती है ।
  • (d) प्रसव (Accouchement) : भ्रूण, रोपण के पश्चात् भ्रूणीय विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता है। गर्भस्थ शिशु का पूर्ण विकास होने पर बच्चा जन्म लेता है । शिशु जन्म की प्रक्रिया प्रसव कहलाती है ।
मानव तंत्र (Human System) MCQ

1.) मानव की आहार नली लगभग कितने फीट लम्बी होती है
[A] 12 फीट
[B] 18 फीट
[C] 24 फीट
[D] 30 फी

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उत्तर ⇒ { D }

2.) मानव शरीर में पाचन का अधिकांश भाग कहा सम्पन होता है
[A] बड़ी आंत
[B] अमाशय
[C] छोटी आंत
[D] मुह

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उत्तर ⇒ { C }

3.) ग्रासनली से भोजन सर्वप्रथम अमाशय के किस भाग में पहुचता है
[A] पाईलोरिक ग्रंथि
[B] कार्डियक भाग
[C] फंडिग भाग
[D] ग्रहणी में

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उत्तर ⇒ { B }

4.) निम्न में से कोनसे दांत बच्चो में नहीं होते है
[A] कृतक
[B] चवर्णक
[C] रदनक
[D] अग्र चवर्णक

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उत्तर ⇒ { D }

5.) HCL अम्ल का स्त्रावन आहार नाल के किस भाग से होता है
[A] अग्नाशय
[B] अमाशय
[C] छोटी आंत
[D] यकृत

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उत्तर ⇒ { B }

6.) केसिनोजन प्रोटीन को पचाने वाला एंजाइम है
[A] ट्रिप्सिन
[B] पेप्सिन
[C] रेनिन
[D] हेपेरिन
उत्तर ⇒ ???

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3 responses to “मानव जनन तंत्र ( Human Reproductive system Notes in Hindi )”

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