कोशिका और कोशिका के विभिन्न भाग (Koshika aur koshika ke bhag)

कोशिका और कोशिका के विभिन्न भाग (Koshika aur koshika ke bhag)

Koshika aur koshika ke bhag

कोशिका –

  • रॉबर्ट हुक ने सन् 1665 में सर्वप्रथम कोशिका की खोज की की। उन्होंने स्वयं द्वारा निर्मित सूक्ष्मदर्शी के नीचे कॉर्क की पतली परत को रखकर देखा। कॉर्क की पतली परत में उन्हें मधमक्खी के छत्ते के समान कोष्ठ दिखाई दिए। इन कोष्ठों को रॉबर्ट हुक ने कोशिका नाम दिया।
  • वह जीव जिसका शरीर एक से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते है।
  • कुछ जीव जैसे- अमीबा, पैरामिशियम आदि का शरीर एक कोशिका से बना होता है। इन्हें एक कोशिकीय जीव कहते हैं। एक कोशिकीय जीव भी बहुकोशिकीय जीव के समान श्वसन, पाचन, वृद्धि, जनन जैसी सभी क्रियाएँ करता है।
  • प्रत्येक कोशिका में एक केन्द्रक होता है। कोशिका में स्थित केन्द्रक के चारों ओर पायी जाने वाली झिल्ली की अनुपस्थिति व उपस्थिति के आधार पर जीवों को क्रमशः प्रोकैरियोट्स एवं यूकैरियोट्स में विभाजित किया गया है।

कोशिका का माप

  • कोशिका का आकार 1 मीटर के 10 लाखवें भाग (माईक्रोमीटर) के बराबर सूक्ष्म हो सकता है अथवा कुछ सेन्टीमीटर लम्बा हो सकता है। इन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है।
  • सूक्ष्मदर्शी यंत्र की सहायता से कोशिका को देखा जा सकता है।
  • सबसे छोटी कोशिका का आकार 0.1 से 0.5 माइक्रोमीटर है जो कि जीवाणु की कोशिका है।
  • सबसे बड़ी कोशिका शुतुर्मुर्ग का अण्डा है। जिसका आकार 170×130 मिमी. होता है।

कोशिका की आकृति –

  • कुछ कोशिकाओं की आकृति निश्चित नहीं होती है। वे अपना आकार बदलती रहती हैं। जैसे- अमीबा, माइकोप्लाज्मा
  • कई कोशिकाएँ लम्बी व तर्कुरूप होती है। इनके दोनों सिर नुकीले होते हैं, जैसे- पेशी कोशिका
  • कई कोशिकाएँ बहुत लम्बी व शाखित होती हैं, जैसे- तंत्रिका कोशिका।
  • तंत्रिका कोशिकाएँ संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाती हैं। मनुष्य एवं चूहे के आकार में बहुत अन्तर होते हुए भी दोनों की तंत्रिका कोशिकाएँ लम्बी एवं शाखित होती है।

ऊतक-अंग-तंत्र –

  • प्रत्येक सजीव की संरचनात्मक इकाई कोशिका है।
  • समान कार्य करने वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक बनाते हैं।
  • समान कार्य करने वाले ऊतकों के समूह अंग बनाते हैं।
  • विभिन्न अंगों से मिलकर तंत्र का निर्माण होता है।
  • विभिन्न तंत्रों से मिलकर शरीर का निर्माण होता है।
    कोशिका→ऊतक→अंग→तंत्र शरीर

कोशिका के विभिन्न भाग :- 

  • कोशिका के तीन मुख्य भाग होते हैं : – कोशिका झिल्ली , कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक।

1. कोशिका झिल्ली : –

  • यह कोशिका का बाहरी आवरण बनाती हैं। इसे प्लाज्मा झिल्ली भी कहते हैं। यह सरंध्र (छिद्रयुक्त) होती है तथा वसा व प्रोटीन की बनी होती है। यह झिल्ला जन्त एवं पादप कोशिकाओं में एक जैसी ही होती है। पादप कोशिका में इस झिल्ली के बाहर सेललॉज पदार्थ का एक अतिरिक्त मोटा आवरण होता है जिसे कोशिका भित्ति कहत हैं। कोशिका भित्ति के कारण ही पादप कोशिकाओं की आकृति निश्चित होती है।

2. कोशिका द्रव्य : –

  • कोशिका झिल्ली और केन्द्रक के मध्य द्रव्य को कोशिकाद्रव्य कहते हैं। यह जैली जैसा पदार्थ होता है। इसमें माइटोकोन्ड्रिया, रिक्तिकाएँ, गॉल्जीकॉय, अन्तःपट जालिकाएँ, हरितलवक आदि संरचनाएँ पायी जाती हैं। कोशिका द्रव्य में पायी जाने वाली इन संरचनाओं को कोशिकांग कहते हैं।

3. केन्द्रक : –

  • यह सामान्यत: गोलाकार होता है। जन्तु कोशिका में केन्द्रक लगभग मध्य में पाया जाता है जबकि पादप कोशिका में बड़ी रिक्तिकाओं के कारण केन्द्रक मध्य में नहीं रहकर एक तरफ होता है। यह दोहरी इकाई झिल्ली द्वारा घिरा रहता है। इस झिल्ली में पदार्थों के आने-जाने के लिए सूक्ष्म छिद्र होते हैं। केन्द्रक में एक छोटी सघन संरचना होती है जिसे केन्द्रिका अथवा न्यूक्लिओलस कहते हैं। केन्द्रक में धागे के समान संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं। गुणसूत्रों पर जीन पाए जाते हैं। जो आनुवंशिक गुणों अथवा लक्षणों को जनक से अगली पीढ़ी तक पहुँचाते हैं। कोशिका के सभी कार्यों पर केन्द्रक का नियंत्रण होता है।

प्रोकैरियोट्स एवं यूकैरियोट्स :- 

  • जीवाणु की कोशिका में केन्द्रक के चारों ओर केन्द्रक झिल्ली नहीं पायी जाती है। ऐसी कोशिकाएँ जिसके केन्द्रक के चारों ओर केन्दक झिल्ली नहीं होती हैं उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ कहते हैं तथा इस प्रकार की कोशिकाओं वाले जीवों को प्रोकैरियोट्स कहते हैं ऐसी कोशिकाएं जिसके केन्द्रक के चारों ओर केन्द्रक झिल्ली का आवरण होता है, उन्हें यूकैरियोटिक कोशिकाएँ कहते हैं तथा इस प्रकार की कोशिकाओं वाले जीवों को यूकैरियोटिक कहते हैं। 

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