कोशिकांग
koshikang kya hai
- जिस प्रकार शरीर के विभिन्न अंग भिन्न-भिन्न कार्य करते हैं, उसी प्रकार कोशिका के अन्दर स्थित संरचनाएँ विशिष्ट कार्य करती हैं। अतः इन संरचनाओं को कोशिकांग कहते हैं।
कोशिका द्रव्य में पाए जाने वाले मुख्य कोशिकांगों का विवरण निम्नानुसार है !
- लाइसोसोम : इनमें बहुत शक्तिशाली पाचक एन्जाइम होते हैं। जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है तो. लाइसोसोम फट जाते हैं और पाचक एन्जाइम अपनी ही कोशिका को पचा देते हैं इसलिए इसे कोशिका की आत्मघाती थैली भी कहा जाता है।
- गॉल्जीकॉय : ये झिल्ली युक्त पट्टिकाएँ होती हैं जो एक के ऊपर एक व्यवस्थित रहती हैं। इसका विवरण सबसे पहले कैमिलो गॉल्जी नामक वैज्ञानिक ने दिया था। अन्तः प्रद्रव्यी जालिका में संश्लेषित पदार्थ गाल्जी उपकरण में बंद किए जाते हैं तथा उन्हें कोशिका के अन्दर तथा बाहर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिए जाते हैं।
- माइटोकोन्ड्रिया : यह दोहरी इकाई झिल्ली से ढकी आकृति है। इसकी भीतरी भित्ति बहुत वलित होती है। इसके वलितों को क्रिस्टी कहते हैं। माइटोकोन्डिया में जैविक ऊर्जा एटीपी का निर्माण होता है। इस कारण इसे कोशिका का शक्ति गृह (Power House) कहते हैं।
- अन्तःप्रद्रव्यी जालिका: यह कोशिका द्रव्य में नलिकाओं के जाल के रूप में दिखई देने वाली संरचनाएँ हैं । ये दो प्रकार की होती है!
1. खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका
2. चिकनी अन्त:प्रद्रव्यी जालिका - खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका पर राइबोसोम पाए जाते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।
- प्लेस्टिड : ये पादप कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाए जाते हैं। अधिकांश प्लेस्टिड में एक हरे रंग का वर्णक पाया जाता है, जिसे क्लोरोफिल या पर्णहरित कहते हैं तथा हरे रंग के प्लेस्टिड को क्लोरोप्लास्ट अथवा हरितलवक कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है। जिससे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। प्रकाश संश्लेषण हेतु क्लोरोफिल वर्णक अत्यन्त आवश्यक है।
- रिक्तिका: पादप कोशिकाओं में बड़ी एवं जन्तु कोशिकाओं में छोटी-छोटी रिक्तिकाएँ पाई जाती हैं।
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