कोशिका विभाजन | इसके प्रकार
आज इस लेख में हम आपको कोशिका विभाजन के बारे में बताने जा रहे है।
kosika vibhajan kya hai or kosika vibhajan ke prakar
कोशिका विभाजन
- 1855 ई. में सर्वप्रथम Virchow महोदय ने स्पष्ट किया कि नवीन कोशिकाओं का जन्म पहले से विद्यमान कोशिकाओं से होता है। कोशिका विभाजन का प्रमुख कार्य एक कोशिका से अनेक संतति कोशिकाओं (Daughter Cells) को जन्म देना है। ये कोशिकाए मानव अन्य प्राणियों में शारीरिक वृद्धि, क्षतिग्रस्त ऊतकों के पुनरुत्पादन, नवीन अंगों की वृद्धि एंव लैंगिक-अलैंगिक जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सामान्यतया कोशिका विभाजन दो प्रकार के देखने को मिलते हैं जिन्हें समसूत्री विभाजन (Mitosis) एवं अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य कोशिका विभाजन भी पाया जाता है जिसे असूत्री विभाजन (Amitosis) कहते हैं।
1. असूत्री कोशिका विभाजन (Amitosis) :
- यह विभाजन आदिम जीवों, जीवाणु, कवक, प्रोटोजोआ, शैवाल आदि में देखा जाता है। इसे प्रत्यक्ष केन्द्रक विभाजन भी कहा जाता है। इसमें केन्द्रक पहले लम्बा हो जाता है फिर सीधा दो भागों में विभाजित होकर अलग हो जाता है।। प्रत्येक भाग में एक संतति केन्द्रक पहुँचता है।
2. समसत्री विभाजन (Mitosis):
- इसे परोक्ष कोशिका विभाजन भी कहा जाता है। माइटोसिस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1882 ई. में वाल्थर फ्लोमिंग महोदय द्वारा किया गया। उन्होंने ही कोशिका विभाजन का नाम ‘माइटोसिस’ (Mitosis) रखा जिसका अर्थ है – धागे की तरह निर्माण (Thread like formation)। वास्तव में माइटोसिस का अर्थ केन्द्रक का विभाजन है, परन्तु व्यावहारिक रूप में यह शब्द केन्द्रक का विभाजन है, परन्तु व्यावहारिक रूप में यह शब्द केन्द्रक और कोशिकाद्रव्य दोनों के विभाजन के लिए इस्तेमाल होता है। इस प्रकार का कोशिका विभाजन शरीर की कायिक कोशिकाओं में होता है। इस प्रकार के विभाजन में मात्रृ कोशिक (Mother cell) विभाजित होकर दो समान नई संतति कोशिकाएँ (Daughter cells) बनाती है। समसूत्री कोशिका विभाजन एक निरन्तर प्रक्रिया है। समसूत्री विभाजन एक जटिल प्रक्रम है जो कई चरणों या अवस्थाओं में सम्पन्न होता है।
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