निर्देश तंत्र क्या है , निर्देश तंत्र के प्रकार
nirdesh tantra kya hai or nirdesh tantra ke prakar
निर्देश तंत्र (Frame of reference)
- वह तंत्र या निकाय जिसके सापेक्ष किसी पिण्ड की स्थिति या गति को व्यक्त किया जा सके, निर्देश तंत्र कहलाता है।
निर्देश तंत्र दो प्रकार के होते हैं-
- (i) जड़त्वीय निर्देश तंत्र
- (ii) अजड़त्वीय निर्देश तंत्रता
1. जड़त्वीय निर्देश तंत्र (Inertial frame of reference)-
- वह निर्देश तंत्र जिसमें न्यूटन के गति के नियम लागू होते हैं तथा बाह्य तल अनुपस्थिति में कण की गति त्वरण रहित दिखाई देती है, जड़त्वीय निर्देश तंत्र कहलाता है। इस निर्देश तंत्र में | बाह्य बल की अनुपस्थिति में कण नियत वेग से गति करता है।
- उदाहरण-वे सभी निर्देश तंत्र जो एक दूसरे के सापेक्ष स्थिर है या नियत वेग से गतिशील है जैसे- विराम अवस्था में लिफ्ट, नियत वेग से ऊपर नीचे की ओर गति करती लिफ्ट, एक सीध की सड़क पर नियत वेग से गति करती हुई कार इत्यादि।
2. अजड़त्वीय निर्देश तंत्र (Non-Inertial frame of ” reference)-
- वह निर्देश तंत्र जिसमें न्यूटन के गति के नियम लागू नहीं होते हैं तथा बाह्य बल की अनुपस्थिति में कण की गति त्वरण सहित दिखाई देती है अजड़त्वीय निर्देश तंत्र कहलाता है। इस निर्देश तंत्र में कण नियत वेग से गति नहीं करता है।
- उदाहरण-स्वयं की अक्ष के सापेक्ष घूर्णन करता हुआ निर्देश तंत्र, एक समान वृत्तीय गति करती हुई कार, लिफ्ट जो कि किसी त्वरण के साथ ऊपर या नीचे जा रही हो, उड़ान भरता हुआ हवाई-जहाज इत्यादि।
महत्त्वपूर्ण-ब्रह्माण्ड में कोई आदर्श जड़त्वीय निर्देश तंत्र संभव नहीं है। व्यवहार में किसी निर्देश तंत्र को जड़त्वीय माना जा सकता है. यदि प्रेक्षित वस्तु के त्वरण के सापेक्ष निर्देश तंत्र का त्वरण नगण्य हो।
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