पादपों का वर्गीकरण (padap ka vargikaran)

पोषण के आधार पर पादपों का वर्गीकरण (padap ka vargikaran)

padap ka vargikaran

पोषण के आधार पर पादपों का वर्गीकरण- पोषण के आधार पर पौधे निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  • (अ) स्वपोषी
  • (ब) परजीवी
  • (स) कीटभक्षी
  • (द) मृतजीवी
  • (य) सहजीवी

1. स्वपोषी- 

  • वे पादप जो सूर्य के प्रकाश से अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं तथा पोषण की इस विधि को स्वपोषण कहते हैं।
  • पादपों में भोजन निर्माण का कार्य पत्तियों में होता है। पत्तियों की सतह पर अनेक सूक्ष्म छिद्र होते हैं। इन छिद्रों को रन्ध्र (Sto” mata) कहते हैं।
  • वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड इन रन्ध्रों के द्वारा पत्तिया में प्रवेश करती है। पत्तियों को भोजन बनाने के लिए सूय का प्रकाश, जल, कार्बन डाइऑक्साइड एवं खनिज लवणों की आवश्यकता होती है। पादपों में जडें मिट्टी से जल तथा खान लवणों का अवशोषण करती हैं।
  • तने में नली के समान वाहिकाएँ होती हैं जिनके द्वारा जल तय खनिज लवण पत्ती तक पहुँचते हैं। पत्तियों में हरे रंग का व पाया जाता है जिसे पर्ण-हरित (Chlorophyll) कहते हैं।
  • यह क्लोरोफिल, सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को संग्रहित करत – है। इस ऊर्जा का उपयोग पत्तियाँ भोजन निर्माण में करती हैं।
  • हरे पौधों की क्लोरोफिल युक्त कोशिकाएँ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड के द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाती हैं। इस क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

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  • इस क्रिया में भोजन के रूप में कार्बोहाइड्रेट बनता है एवं ऑक्सीजन मुक्त होती है। यह कार्बोहाइड्रेट अंत में स्टार्च में रूपान्तरित होकर पौधों में संग्रहित रहता है।
  • प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सूर्य के प्रकाश में ही सम्पन्न होती हैं।
  • स्टार्च आयोडीन से क्रिया करके नीला रंग प्रदान करता है, यह प्रक्रिया स्टार्च परीक्षण कहलाती है।

2. परजीवी : 

  • कुछ पादपों में क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है। इस कारण यह अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते है।
  • अमरबेल जैसे पादप जो अन्य वृक्ष अथवा पादपों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं, परजीवी कहलाते हैं तथा वह वृक्ष अथवा पादप जिससे परजीवी अपना भोजन प्राप्त करते हैं, परपोषी कहलाते हैं।

3. कीटभक्षी पादप – 

  • ऐसे पौधे जो जीवित रहने के लिए कीटों को पकड़ते हैं तथा उन्हें पचा लेते हैं, कीटभक्षी पादप कहलाते हैं, जैसे- ड्रोसेरा, डायोनिया, यूट्रीकुलेरिया, घटपर्णी पादप आदि।

4. मृतजीवी : 

  • वे पादप जो मृत एवं सड़ी-गली वस्तुओं से पोषण प्राप्त करते हैं मृतजीवी कहलाते हैं। अधिकांश कवक जैसे म्यूकर एगेरिकस आदि मृतजीवी पादप हैं।
  • मोनोटोपा एक पुष्पीय पादप है जो मृत एवं सड़ी-गली वस्तुओं से अपना भोजन प्राप्त करता है।

5. सहजीवी : 

  • कुछ जीव एक दूसरे के साथ रहकर भोजन, जल, पोषक तत्त्व व रहने का स्थान आपस में बाँटते हैं। इस प्रकार के जीवन को सहजीवन तथा साथ-साथ रहने वाले पादपों को सहजीवी पादप कहते हैं। लाइकेन सहजीवन का प्रारूपिक उदाहरण है।
  • लाइकेन में दो प्रकार के पादप, कवक व शैवाल साथ-साथ रहते हैं। शैवाल में क्लोरोफिल होता है जबकि कवक में क्लोरोफिल नहीं होता है। शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा तैयार ‘भोजन (कार्बोहाइड्रेट), कवक को उपलब्ध कराता है तथा बदले में कवक, शैवाल को रहने का स्थान, जल व अन्य पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है।

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