पौधे के विभिन्न भागों के कार्य (Paudhon Ke Vibhinn Bhag Aivam Unke Karya)

पौधे के विभिन्न भागों के कार्य (Paudhon Ke Vibhinn Bhag Aivam Unke Karya)

Paudhon Ke Vibhinn Bhag Aivam Unke Karya

जड़ (मूल)-

  • पौधों में मृदा से जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण जड़ों द्वारा होता है। मृदा कणों के मध्य स्थित जल को ये जड़ें अवशोषित कर इन्हें तने, शाखाओं एवं पत्तियों तक पहुँचाने का कार्य करती हैं।
  • पौधों में मुख्य रूप से दो प्रकार की जड़े पाई जाती है-
    1. मूसला मूल- वे जड़े हैं जिसमें एक मुख्य जड़ होती है और इससे पार्श्व में दूसरी जड़ें निकलती हैं, इन्हें मूसला मूल कहते हैं। उदाहरण- आम, नीम आदि।
    2. रेशेदार मूल- इनमें कोई एक मुख्य जड़ नहीं होती सभी जड़े एक समान दिखाई देती हैं एवं एक गुच्छ के रूप में होती हैं इन्हें रेशेदार मूल अथवा झकड़ा जड़ भी कहते हैं। उदाहरण – मक्का, गेहूँ, प्याज, गन्ना आदि।
  • गाजर एवं मूली ऐसे पौधे हैं जिनकी जड़ों को सब्जी बनाकर अथवा कच्चा भी खाया जा सकता है। इनमें खाद्य पदार्थ संचित होते हैं।
  • विशिष्ट कार्यों को करने के लिए कई पौधों की जड़ें रूपान्तरित हो जाती है।
  • ये निम्नलिखित प्रकार की होती है
    1. खाद्य संग्रहण हेतु – गाजर, मूली, शकरकंद्
    2. आरोहण हेतु – मनीप्लांट
    3. जनन हेतु – डाहेलिया
    4. सहारा प्रदान करने हेतु – गन्ना, बरगद

तना –

  • तनों का मुख्य कार्य जड़ों द्वारा अवशोषित जल व खनिज लवणों का संवहन कर उसे पौधे के विभिन्न वायवीय भागों तक पहुँचना है। इसके अलावा तने के कुछ और महत्त्वपूर्ण कार्य भी हैं जो निम्नलिखित हैं
  • पत्तियाँ, फूल, फल, आदि धारण करना।
  • पत्तियों में निर्मित भोज्य पदार्थों का संचयन करना।
  • हरे तनों में उपस्थित क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश संश्लेषण कर भोज्य पदार्थ बनाना जैसे- शतावरी।
  • मरूस्थलीय पौधों में जल संग्रह कर उसे अनुकूलित करना जैसे- थूर।
  • कायिक जनन करना। उदाहरण गुलाब, चमेली !
  • सहारा प्रदान करना (Tendrils) जैसे- पीलवान
  • आलू, अदरक, हल्दी आदि भूमिगत तने के रूपान्तरण हैं जो भोजन संग्रहण का कार्य करते हैं साथ ही हल्दी व अदरक उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियाँ बनाने में भी किया जाता है।

पत्ती –

  • पत्ती का भाग जिसके द्वारा वह तने से जुड़ी होती है, पर्णवृन्त कहलाता है। पत्ती का चपटा भाग पर्णफलक कहलाता है। पर्णफलक के मध्य उभरी हुई रेखा मध्य शिरा एवं इनसे कई उपशिराएँ निकलती है।
  • पत्ती के कार्य- हरे पौधों की पत्तियों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड, जल, प्रकाश व पर्णहरित की उपस्थिति में खाद्य पदार्थों के निर्माण की प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है।
  • प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है
  • पौधे के विभिन्न भागों के कार्यपत्तियाँ प्रकाश व पर्णहरित की उपस्थिति में ग्लूकोज का निर्माण करती हैं। इस प्रक्रिया में जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग होता है। इस प्रक्रिया में जल से ऑक्सीजन गैस उपउत्पाद के रूप में बनती है। पत्तियों द्वारा संश्लेषित भोजन अन्ततः पौधों के विभिन्न भागों में मंड (स्टार्च) के रूप म संग्रहित हो जाता है।
  • पत्तियों की सतह पर कई रन्ध्र पाए जाते है, पत्तियाँ इन रन्ध्रा द्वारा श्वसन क्रिया करती है। गैसों का आदान-प्रदान रन्ध्रों के खुलने व बन्द होने पर निर्भर होता है।
  • वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया वातावरण में जल चक्र को संतुलित करने का कार्य भी करती है।

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