पादप हार्मोन (Plant hormones)

पादप हार्मोन (Plant hormones Notes in Hindi)

Plant hormones Notes in Hindi

  • पादप हार्मोन :- पौधों की जैविक क्रियाओं के बीच समन्वय स्थापित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप हार्मोन (Plant hormones) या फाइटोहार्मोन (Phytohormone) कहते हैं। ये पौधों की विभिन्न अंगों में बहुत लघु मात्रा में पहुँचकर वृद्धि एवं अनेक उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित एवं प्रभावित करते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रिया क्षेत्र से दूर होता है एवं ये विसरण द्वारा क्रिया क्षेत्र तक पहुँचते हैं। बहुत से कार्बनिक यौगिक जो पौधों से उत्पन्न नहीं होते, परन्तु पादप हार्मोन की तरह ही कार्य करते हैं, उन्हें भी वृद्धि नियंत्रक पदार्थ (Growth regulators) कहा जाता है।
    रासायनिक संघटन तथा कार्यविधि के आधार पर हार्मोन्स को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है— 1. ऑक्जिन (Auxin), 2. जिबरेलिन्स (Gibberellins), 3. साइटोकाइनिन (Cytokinin), 4. ऐबसिसिक एसिड (Abscisic acid) और 5. एथिलीन (Ethylene)।

1. ऑक्जिन (Auxin) :

  • ऑक्जिन कार्बनिक यौगिकों का समूह है जो पौधों में कोशिका विभाजन (Cell division) तथा कोशिका दीर्घन (Cell elongation) में भाग लेता है। इन्डोल एसीटिक एसिड (Indoleacetic acid-I.A.A) एवं नेफ्थैलिन एसीटिक एसिड (Naphthalene acetic acid-N.A.A) इसके प्रमुख उदाहरण हैं। तने में जिस ओर ऑक्जिन की अधिकता होती है, उस ओर वृद्धि अधिक होती है। जड़ में इसकी अधिकता वृद्धि को कम करती है।
    कार्य : (a) ऑक्जिन कोशिका दीर्घन द्वारा स्तम्भ या तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।
    (b) ये जड़ की वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
    (c) ये बीजरहित फल के उत्पादन में सहायक होते हैं।
    (d) पत्तियों के झड़ने तथा फलों के गिरने पर ऑक्जिन का नियंत्रण होता है।
    (e) गेहूँ एवं मक्का के खेतों में ऑक्जिन खर-पतवार नाशक का कार्य करते हैं।

2. जिबरैलिन्स (Gibberellins):

  • जिबरेलिन एक जटिल कार्बनिक यौगिक है उदाहरण जिबरैलिक एसिड (Gibberellic acid) है।
    कार्य : (a) जिबरैलिन्स कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घन द्वारा तने को
    जिसके कारण पौधे वृहत् आकार के हो जाते हैं।
    (b) जिबरैलिन्स हार्मोन का प्रयोग करके बीजरहित फलों का उत्पादन किया जाता है
    (c) जिबरैलिन्स हार्मोन बीजों के अंकुरण में भाग लेते हैं। बीजों की सषप्तावस्था को करके उन्हें अंकुरित होने के लिए प्रेरित करते हैं।

3. साइटोकाइनिन (Cytokinins):

  • साइटोकाइनिन क्षारीय प्रकृति का हार्मोन है। काइनिटीन (Kinetin) एक संश्लेषित साइटोकाइनिन है। साइटोकाइनिन का संश्लेषण जड़ों के अग्र सिरों पर होता है, जहाँ कोशिका-विभाजन (Cell division) होता है।
    कार्य : (a) साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन के लिए एक आवश्यक हार्मोन है।
    (b) यह ऊतकों एवं कोशिकाओं का विभेदन का कार्य करती है।
    (c) साइटोकाइनिन पार्श्व कलिकाओं (Lateral buds) की वृद्धि को प्रारम्भ करते हैं।
    (d) साइटोकाइनिन बीजों के अंकुरण (Germination) को प्रेरित करते हैं। इस

4. ऐबसिसिक अम्ल (Abscisic acid) :

  • यह एक वृद्धिरोधी (Growth inhibitor) हार्मोन है, अर्थात् यह पौधे की वृद्धि को रोकता है।
    कार्यः (a) ऐबसिसिक अम्ल पौधों की वृद्धि को रोकता है।
    (b) यह वाष्पोत्सर्जन की क्रिया का नियंत्रण रंध्रों (Stomata) को बन्द करके करता है।
    (c) यह बीजों तथा कलिकाओं को सुषुप्तावस्था (Dorment stage) में लाता है।
    (d) यह पत्तियों के झड़ने की क्रिया को नियंत्रित करता है।
    (e) ऐबसिसिक एसिड पौधों से फूलों एवं फलों के पृथक्करण की क्रिया का भी नियंत्रण करता है।

5. एथिलीन (Ethylene) :

  • एथिलीन गैसीय रूप में पौधों में पाया जाने वाला हार्मो इसके द्वारा पौधों की लम्बाई में वृद्धि होती है परन्तु यह पौधे की लम्बाई में वृद्धि को रोग इस हार्मोन का निर्माण पौधे के प्रत्येक भाग में होता है।
    कार्य : (a) एथिलीन के द्वारा पौधों की चौड़ाई में वृद्धि होती है।
    (b) यह पौधों की पत्तियों एवं फलों के झड़ने की क्रिया को नियंत्रित करता है।
    (c) पौधे के विभिन्न भागों की सुषुप्तावस्था को समाप्त कर इसे अंकुरण के लिए प्रेरित करता है।
    (d) एथिलीन हार्मोन फलों के पकने (Ripening) में मुख्य भूमिका निभाता है। . .

6. फ्लोरिजिन्स (Florigens) :

  • फ्लोरिजिन्स का संश्लेषण पत्तियों में होता है, परन्तु ये फूलों के खिलने (Blooming) में मदद करते हैं। इसलिए फ्लोरिजिन्स को फूल खिलाने वाला हार्मोन (Flowering hormone) भी कहते हैं।
    कार्य : (a) इस हार्मोन के द्वारा फूलों का खिलना नियंत्रित होता है।

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