प्राकृतिक रेशे और कृतिम रेशे (Prakritik or kritrim Resha Kya Hai)

प्राकृतिक रेशे और कृतिम रेशे (Prakritik or kritrim Resha Kya Hai)

Prakritik or kritrim Resha Kya Hai

प्राकृतिक रेशे :- 

  • वे रेशे (Fibres) जो पौधों और जन्तुओं दोनों से प्राप्त होते हैं, उन्हें प्राकृतिक रेशे कहते हैं जैसे- ऊन, कपास, पटसन, पूँज, रेशम आदि।

कृतिम रेशे :- 

  • वे रेशे जो मानव द्वारा विभिन्न रसायनों से बनाए जाते हैं, उन्हें संश्लेषित रेशे या कृत्रिम रेशे कहते हैं जैसे- रेयॉन, डेक्रॉन, नायलॉन आदि।

पादप रेशे

  •  रुई (Cotton)- रुई, कपास पादप के फल से प्राप्त होती है। ये जब पूर्ण परिपक्व हो जाते हैं, तो टूट जाते हैं और कपास तंतुओं से ढका बिनौला (कपास बीज) दिखाई देता है।
    कपास बीजों से रुई प्राप्त करना : सर्वप्रथम हस्त चयन प्रक्रिया द्वारा फलों से कपास के फलों को प्राप्त करते हैं। इसके पश्चात् कंकतन द्वारा कपास को बीजों से पृथक करते हैं, जिसे “कपास ओटना” कहते हैं। हमें कपास के फल से रुई प्राप्त होती है।
  • जूट (पटसन) (Jute)- जूट (पटसन) तंतु को पटसन पादप के तनों से प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम पटसन पादप (फसल) को इसकी पुष्पन अवस्था में ही काट लेते हैं। फिर इनके तनों को कुछ दिनों तक जल में डुबोकर रखा जाता है, जिससे ये गल जाते हैं। इन तनों से पटसन तंतुओं को हाथों से पृथक कर लिया जाता है।
    जूट से पायदान, चटाई, बैग आदि बनाए जाते है।
  • मूँज (Moonj)- यह मूंज घास (Moonj Grass) के पादप से प्राप्त होती है। इस पादप को वनस्पति शास्त्र में सेकेण कहते हैं। यह एकबीजपत्री पादप है। यह सामान्यतः Naguar , बीकानेर, सीकर, झंझुनूं, अजमेर आदि जिलों में पाया जाता है।
    मूँज के सरकण्डों का उपयोग झोंपड़े, परम्परागत फर्नीचर (मुड्ढे टेबल), सीरकी एवं इकोफ्रेण्डली खिलौने बनाने में किया जाता है।

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