प्राकृतिक संसाधन – परिभाषा, प्रकार और उदाहरण (prakritik sansadhan kise kahate hain aur prakritik sansadhan ke Prakar)

प्राकृतिक संसाधन – परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

prakritik sansadhan kise kahate hain aur prakritik sansadhan ke Prakar

प्राकृतिक संसाधनों का तात्पर्य (Meaning of natural resources)

  • मनुष्य के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से उपयोग में आने वाली हर वस्तु संसाधन कहलाती है। जो संसाधन हमें प्रकृति से प्राप्त होते है तथा जिनका प्रयोग हम सीधा अर्थात उसमें कोई भी बदलाव किए बिना करते है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं |
  • प्रत्येक जीवधारी अपने आस-पास विविध प्रकार के जीवधारियों तथा अजैविक वातावरण (वायु, प्रकाश, भूमि, जल, ताप आदि) से घिरा होता है। ये जैविक व अजैविक कारक ही जीवधारी का विशिष्ट पर्यावरण बनाते है। मनुष्य ने अपने उद्भव काल से ही प्रकृति से सामंजस्य बनाये रखने का प्रयास किया है। उस का अस्तित्व ही प्रकृति के संसाधनों पर निर्भर रहा है। इसलिए आदि काल से ही मनुष्य प्रकृति का सम्मान करता आया है, दुर्भाग्यवश पिछले कुछ वर्षों में प्रकृति के अविवेकपूर्ण दोहन की प्रवृति बढ़ी है जिसके दुष्परिणाम हम अनेक प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ, सूखा, भूस्खलन, महामारियाँ, भूकम्प, सुनामी के रुप में भोग रहे है किन्तु प्राचीन भारतीय संस्कृति में झाँकने पर विदित होता है कि हमारे वैदिक काल में ऋषि मुनियों ने प्रकृति को अत्यधिक महत्व दिया । वन, सूर्य, पृथ्वी, आकाश आदि की देव तुल्य पूजा अर्चना की परम्परा डालकर मनुष्य को उसका महत्व समझाया |

प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार (Types of natural resources)

प्राकृतिक संसाधनों को तीन भागो में बैंहा जा सकता हैः-

  1. विकास एवं प्रयोग के आधार पर
  2. उद्गम या उत्त्पति के आधार पर
  3. भंडारण या वितरण के आधार पर

1. विकास एवं प्रयोग के आधार पर

विकास के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों को दो स्तरों में बाँटा जा सकता हैः-

  1. वास्तविक संसाधन – वे संसाधन या वस्तुएँ जिनकी संरचना या मात्रा हमें पता है तथा जिनका इस्तेमाल हम इस समय कर रहे है, ये वस्तुएँ वास्तविक संसाधन कहलाती है। उदाहरण जर्मनी में कोयले की मात्रा, पश्चिम एशिया में खनिज तेल की मात्रा, महाराष्ट्र में काली मिट्टी की मात्रा |
  2. संभाव्य संसाधन – वे वस्तुएँ जिनकी निश्चित मात्रा या संख्या का अनुमान हम नहीं लगा सकते तथा जिनका प्रयोग हम इस समय नहीं कर रहे, परन्तु आगे आने वाले समय में कर सकते हैं, ये वस्तुएँ संभाव्य संसाधन कहलाती हैं । संभाव्य संसाधन का प्रयोग वर्तमान समय में न कर पानें का ‘उदाहरण 20 वर्ष पहले तेजी से चलने वाली पवन चक्कियाँ एक संभाव्य संसाधन थी लेकिन आज के आधुनिक समय में हमारे देश में तकनीकी प्रगति हुई है जिसके कारण ही हम पवन चक्कियों का प्रयोग आज कर पा रहे है। लद्दाख में पाया गया यूरेनियम भी एक संभाव्य संसाधन है जिसका प्रयोग हम आने वाले समय में कर सकते है।

2. उद्गम या उत्पति के आधार पर

उद्गम या उत्पति के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों को दो भागों में बाँट सकते हैं।

  1. जैव संसाधन – सजीव या जीवित वस्तुएँ जैव संसाधन कहलाती है – उदाहरण- जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, मनुष्य आदि |
  2. अजैव संसाधन – जो वस्तुएँ निर्जीव है, जीवित नहीं है ये वस्तुएँ अजैव संसाधन कहलाती है | उदाहरण – वायु, मृदा, प्रकाश आदि |

3. भंडारण या वितरण के आधार पर

वितरण के आधार पर संसाधन को दो भागों में बाँट सकते हैं-

  1. सर्वव्यापक – जो वस्तुएँ सभी जगह पायी जाती है तथा जो आसानी से उपलब्ध हो जाती है, सर्वव्यापक संसाधन कहलाती है। उदाहरण – वायु आदि |
  2. स्थानिक संसाधन – जो वस्तुएँ कुछ गिने-चुने स्थानों पर ही पायी जाती है स्थानिक संसाधन कहलाती है। उदाहरण – तांबा, लौह अयस्क आदि।

प्राकृतिक संसाधनों को अच्छी तरह समझनें के लिए इन्हें हम दो भागों में और बाँट सकते है।

1. नवीकरणीय संसाधन –

  • वे वस्तुएँ जिनका निर्माण तथा प्रयोग दुबारा किया जा सकता है अर्थात् जिन वस्तुओं की पूर्ति दुबारा आसानी से हो सकती है, ये वस्तुएँ नवीकरणीय संसाधन कहलाते है । नवीकरणीय संसाधन असीमित होते है | उदाहरण – सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा।

2. अनवीकरणीय संसाधन –

  • वे वस्तुएँ जिनका भंडार सीमित होता है तथा जिनके निर्माण होने की आशा बिलकुल नहीं रहती या निर्माण होने में बहुत अधिक समय लगता है, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते है। उदाहरण – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस | हमें किसी भी संसाधन का लापरवाही से प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि लगातार और अधिक प्रयोग करने से ये जल्दी समाप्त हो जाते है और आने वाली पीढियां इनका प्रयोग नहीं कर पाएगी |
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प्रमुख प्राकृतिक संसाधन FAQ –

प्रश्न 1. खेजड़ली के बलिदान से सबंधित है
(क) बाबा आमटे
(ख) सुन्दरलाल बहुगुणा
(ग) अरुन्धती राय
(घ) अमृता देवी

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उत्तर ⇒ { (घ) अमृता देवी }

प्रश्न 2. भू-जल संकट के कारण हैं
(क) जल-स्रोतों का प्रदूषण
(ख) भू-जल का अतिदोहन
(ग) जल की अधिक मांग
(घ) उपरोक्त सभी

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उत्तर ⇒ { (घ) उपरोक्त सभी }

प्रश्न 3. लाल आंकड़ों की पुस्तक सम्बन्धित है
(क) संकटग्रस्त वन्य जीवों से
(ख) दुर्लभ वन्य जीवों से
(ग) विलुप्त जातियों से
(घ) उपरोक्त सभी

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उत्तर ⇒ { (घ) उपरोक्त सभी }

प्रश्न 4. सरिस्का अभयारण्य स्थित है
(क) अलवर में
(ख) जोधपुर में
(ग) जयपुर में
(घ) अजमेर में

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उत्तर ⇒ { (क) अलवर में }

प्रश्न 5. सर्वाधिक कार्बन की मात्रा उपस्थित होती है
(क) पीट में
(ख) लिग्नाइट में
(ग) एन्थेसाइट में
(घ) बिटुमिनस में

उत्तर ⇒ ???????

प्रश्न 1. संकटापन्न जातियों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी।

प्रश्न 2. राष्ट्रीय उद्यान क्या है?
उत्तर- राष्ट्रीय उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है।

प्रश्न 3. सिंचाई की विधियों के नाम बताइये।
उत्तर- सिंचाई फव्वारा विधि व टपकन विधि से की जाती है।

प्रश्न 4. उड़न गिलहरी किस वन्य जीव अभयारण्य में पायी जाती है?
उत्तर- सीतामाता तथा प्रतापगढ़ अभयारण्य

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