प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) क्या है ? ( Refraction of Light Notes in Hindi )

Refraction of Light Notes in Hindi

अपवर्तन (Refraction)

  • आपने अपने दैनिक जीवन में कई बार अनुभव किया होगा कि पानी में थोड़ा डूबा हुआ स्केल का पानी के तल के अन्दर का भाग थोड़ा तिरछा दिखाई देता है । इसी प्रकार पानी की टंकी में गिरे सिक्के या अन्य वस्तु उपर उठी हुई एवं नजदीक दिखाई देती है। आपने यह भी अनुभव किया होगा कि जब पारदर्शी कांच के पेपरवेट को किसी पृष्ठ पर रखा जाता है तो ऊपर से देखने पर पृष्ठ पर लिखित अक्षर उपर उठे हुए से लगते हैं। पानी से भरे कांच के गिलास अथवा टब में कोई छड़, पेन या पेन्सिल को थोडा डुबाते हैं तो आप देखते हैं कि जहां पर यह वस्तु वायु से पानी में प्रवेश करती है उस पृष्ठ के ठीक नीचे से वस्तु तिरछी हो जाती है । गिलास या बर्तन के पार्शव से देखने पर आप पाएगें कि वस्तु का जितना हिस्सा पानी से डुबा है वह हिस्सा कुछ बड़ा दिखाई देता है। यही प्रयोग यदि पारदर्शक प्लास्टिक के बतर्न में करें अथवा किसी अन्य द्रव के साथ दोहराएं तो आपको अनुभव होगा कि उक्त प्रभाव हर माध्यम के लिए थोड़ा भिन्न होता है।
Refraction of Light Notes in Hindi
  • पानी में आंशिक डुबी हुई वस्तु का इस तरह मुड़ा हुआ दिखने का कारण यह है कि वस्तु के पानी में डुबे हुए भाग से जो प्रकाश हम तक पहुंचता है वो वस्तु के पानी के बाहर के भाग से आने वाले प्रकाश से भिन्न दिशा से आता हुआ प्रतीत होता है। इसलिए वस्तु का पानी के भीतर वाला भाग थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है।
Refraction of Light Notes in Hindi

Refraction of Light Notes in Hindi

  • आप एक साधारण सा प्रयोग करके पानी द्वारा प्रकाश की किरणों के दिशा परिवर्तन की घटना को प्रत्यक्ष देख सकते है। एक बीकर अथवा कटोरीनुमा छोटे बर्तन में एक सिक्का ‘रखे। अब उस बर्तन एवं अपने नेत्रों को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि सिक्का दृष्टि से ठीक ओझल हो जाए | अब आप उस बर्तन में पानी भरें। आप देखेंगे कि पानी डालते ही सिक्का तुरन्त ही दिखाई देने लग जाता है।
Refraction of Light Notes in Hindi
  • जब प्रकाश किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में गमन करता है तो दोनों माध्यम को पृथक करने वाले पृष्ठ पर प्रकाश किरणों की दिशा में परिवर्तन होता है | यह प्रभाव अपवर्तन कहलाता है |
  • अपवर्तन के लिये यह आवश्यक है कि प्रकाश की आपतित किरण दोनों माध्यम को पृथक करने वाले पृष्ठ के अभिलम्ब न हो अन्यथा आपतित किरण की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होगा ।
  • हम जानते है कि निर्वात में प्रकाश का वेग 3×10 मीटर /सेकण्ड होता है | प्रकाश जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में गमन करता है तो उसके वेग में परिवर्तन होता है | यदि दूसरा माध्यम पहले माध्यम के सापेक्ष सघन है (जैसे ग्लिसरीन, कांच, पानी आदि) तो उस माध्यम में प्रकाश का वेग अपेक्षाकृत कम हो जाएगा जबकि प्रकाश की आवृत्ति वही रहती है। इस कारण प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाने पर अभिलम्ब की ओर झुक जाती है । ठीक इसके विपरीत सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर प्रकाश का वेग बढ़ जाता है एवं प्रकाश किरणें अभिलम्ब से दूर चली जाती है। यहां सघनता से हमारा अभिप्राय प्रकाशकीय सघनता (Optically dense) से है |
  • कांच के स्लैब की सहायता से एक सरल प्रयोग द्वारा अपवर्तन की घटना को सुगमता से समझा जा सकता है | एक कागज पर एक आयताकार कांच का स्लैब रखिए एवं पेंसिल से इसकी रूपरेखा खींचिए | इस रूपरेखा ABCD के AB पृष्ठ पर किसी बिन्दु O पर अभिलम्ब ON बनाएं एवं एक रेखा PQ इस तरह बनाए कि यह रेखा लम्ब ON से कोई कोण i बनाए | रेखा PQ पर दो आलपीन लगाएं। अब स्लैब के पृष्ठ CD पर इन दो आलपीनों के संगत दो आलपीन R or S इस तरह लगाएं कि चारों आलपीन एक सीध में दिखें। अब स्लैब के AB पृष्ठ के किसी अन्य बिन्दु F पर अभिलम्बवत् EF रेखा खींचे एवं पुनः स्लैब के CD पृष्ठ की तरफ EF के संगत दो आलपीन G व प्र लगाएं। अब स्लैब को हटा लेवें।
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) क्या है ?

Refraction of Light Notes in Hindi

  • अब हम रेखा RS को मिलाकर पीछे की ओर इतना बढ़ाते हैं कि वो CD पृष्ठ पर O’ पर मिल जाए। अब बिन्दु 00′ को मिलाइये | इसी प्रकार F व G बिन्दु को मिलाएं व GH रेखा को बनाएं | बिन्दु O’ पर अभिलम्ब MM बनाएं | अब रेखा PQO को विस्तारित करे | रेखाचित्र से स्पष्ट है कि AB पृष्ठ से पार होकर रेखा PQ अभिलम्ब की तरफ मुड़ कर 00′ दिशा में चली जाती है। पुनः पृष्ठ CD से पार होने पर रेखा 00 अभिलम्ब से दूर हो जाती है ! आप देखेंगे कि रेखा ?(0 एवं RS समान्तर है। इसका अर्थ यह हुआ कि स्लैब के वायु कांच अंतरापृष्ठ AB एवं कांच-वायु अन्तरापृष्ठ CD से प्रकाश किरणों के मुड़ने का प्रभाव समान एवं एक दूसरे के विपरीत है | जबकि EF किरण जो कि AB पृष्ठ पर अभिलम्बवत्‌ आपतित हो रही है, वो बिना किसी परिवर्तन के सीधे ही स्लैब से गमन कर जाती है।
  • यह अपवर्तन भी कुछ नियमों के तहत होता है | चित्र 9. 19 से स्पष्ट है कि अपवर्तन के दौरान आपत्तित किरण, अपवर्तित किरण एवं अभिलम्ब तीनों ही एक तल में हैं । यह अपवर्तन का प्रथम नियम है !
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) क्या है ?
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) क्या है ?
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) क्या है ?
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) क्या है ?
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प्रकाश (Light) FAQ –

1. निम्न में से कौनसे दर्पण में वृहद दृष्टि क्षेत्र दिखेगा
(क) समतल दर्पण
(ख) उत्तल दर्पण
(ग) अवतल दर्पण
(घ) परवलियक दर्पण

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उत्तर ⇒ { (ख) उत्तल दर्पण }

2. प्रकाश का वेग सर्वाधिक होगा
(क) पानी में
(ख) कांच में
(ग) निर्वात में
(घ) ग्लिसरीन में

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उत्तर ⇒ { (ग) निर्वात में }

3. किस प्रभाव के कारण टंकी के पेंदे पर रखा सिक्का थोड़ा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है
(क) अपवर्तन
(ख) परावर्तन
(ग) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(घ) इनमें से कोई नहीं

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उत्तर ⇒ { (क) अपवर्तन }

4. यदि एक दर्पण की फोकस दूरी + 60 सेमी. है तो यह दर्पण होगा
(क) अवतल दर्पण
(ख) परवलिय दर्पण
(ग) समतल दर्पण
(घ) उत्तल दर्पण

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उत्तर ⇒ { (घ) उत्तल दर्पण }

5. एक समतल दर्पण की फोकस दूरी होगी
(क) 0
(ख) 1
(ग) अनन्त
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर ⇒ ???????

प्रश्न 1. जब कोई वस्तु प्रकाश के सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है तो वह वस्तु हमें किस रंग की दिखाई देगी?
उत्तर- वह वस्तु हमें काली दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 2. यदि हम समतल दर्पण में हमारा पूर्ण प्रतिबिम्ब देखना चाहें तो दर्पण की न्यूनतम लम्बाई कितनी होनी चाहिये ?
उत्तर- किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिए उस व्यक्ति की लम्बाई की आधी लम्बाई का समतल दर्पण चाहिए।

प्रश्न 3. उत्तल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-

  • उत्तल दर्पण में बड़ी वस्तुओं के छोटे प्रतिबिम्ब प्राप्त करके सजावट के लिए उपयोग में लेते हैं।
  • इनका उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 4. अवतल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिये।
उत्तर-

  • बड़ी फोकस दूरी का अवतल दर्पण हजामत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति के चेहरे का आभासी, बड़ा और सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।
  • अवतल दर्पण परावर्तक दूरदर्शी में काम में लेते हैं। इससे दूरदर्शी की विभेदन क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 5. दर्पण सूत्र लिखिये।
उत्तर- ध्रुव से बिम्ब की दूरी u, ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी v एवं ध्रुव से फोकस दूरी f ये तीनों राशियाँ एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध हैं जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है।

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