राजस्थान की नदियाँ ( Part :- 1 )

Rivers of Rajasthan ( राजस्थान की नदियाँ )

  • राजस्थान में देश में विद्यमान कुल जल-संसाधन का मात्र एक प्रतिशत उपलब्ध है। यहाँ सतही जल का एकमात्र स्रोत वर्षा का जल है।
  • सरस्वती नदी (वर्तमान घग्घर) का पाकिस्तान में विस्तार ‘हकरा’ (हाकड़ा) कहलाता है। बाढ़ के समय इसका जल फोर्ट अब्बास (पाकिस्तान) तक पहुँचता था।
  • महान भारतीय जल विभाजक रेखा, जो अरब सागरीय अपवाह तंत्र को बंगाल की खाड़ी के अपवाह तंत्र से अलग करती है, राजस्थान में अरावली के उत्तरी अक्ष के सहारे अलवर से प्रारम्भ होकर, सांभर झील, अजमेर, ब्यावर, देवगढ़, कुंभलगढ़, उदयसागर, उदयपुर, बड़ी सादड़ी एवं प्रतापगढ़ होते हुए मध्यप्रदेश में प्रवेश कर जाती है।
  • राजस्थान में चंबल को छोड़कर शेष सभी नदियाँ मौसमी हैं।

अपवाह क्षेत्र के आधार पर राज्य की नदियों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है—

  1. आन्तरिक अपवाह प्रणाली (60.2%)
  2. अरब सागरीय अपवाह प्रणाली (17.1%)
  3. बंगाल की खाड़ी की अपवाह प्रणाली (22.4%)

राज्य की नदियों को 13 प्रमुख जलग्रहण क्षेत्रों एवं 59 उप-क्षेत्रों में बाँटा गया है।

1. आन्तरिक अपवाह प्रणाली

  • राज्य का 60.2% भू-भाग इसके अन्तर्गत आता है। इस क्षेत्र की नदियाँ या तो किसी लवणीय झील में गिर जाती हैं या फिर रेतीले मरुस्थल में विलीन हो जाती हैं।

घग्घर नदी

  • यह नदी शिवालिक श्रेणी में कालका (हिमाचल) से निकलकर पंजाब एवं हरियाणा राज्यों में बहते हुए टिब्बी (हनुमानगढ़) के समीप तलवाड़ा झील से राजस्थान में प्रवेश करती है।
  • सामान्यत: यह नदी भटनेर (हनुमानगढ़) के समीप ही विलीन हो जाती है, लेकिन अच्छी वर्षा होने पर सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) तक बहती है। अत्यधिक बाढ़ के समय यह नदी अपना पानी फोर्ट अब्बास (पाक) तक ले जाती थी।
  • घग्घर नदी का पाट क्षेत्र ‘नाली’ कहलाता है।
  • इस नदी को सरस्वती, दृषद्वती, मृत नदी आदि उपनामों से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान घग्घर नदी प्राचीन सरस्वती के पेटे में बह रही है।
  • हरियाणा राज्य के सिरसा जिले में स्थित ओटू झील की खुदाई हो रही है, जिससे राजस्थान में घग्घर नदी के जल की मात्रा कम हो जायेगी।

कान्तली नदी

  • शेखावाटी क्षेत्र की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी ‘कान्तली’ खण्डेला (सीकर) की पहाड़ियों से निकलकर झुंझुनूं जिले में प्रवेश करके चूरू जिले की सीमा के निकट मंडरेला गांव (झुंझुनूं) में विलीन हो जाती है। (लम्बाई लगभग 100 किमी.)।
  • सीकर जिले में कान्तली नदी के अपवाह क्षेत्र को तोरावाटी बेसिन’ कहते हैं।

साबी नदी

  • सेवर की पहाड़ियों (जयपुर) से निकलकर अलवर जिले में बहते हुए हरियाणा में पटौदी (गुड़गांव) के उत्तर में विलीन हो जाती है।

काकनी नदी (काकनेय/मसूरदी)

  • यह नदी जैसलमेर के दक्षिण में कोटरी’ गाँव से निकलकर बुझ झील का निर्माण (वर्षाकाल में) करते हुए मीठा खाड़ी में गिरकर विलीन हो जाती है।

मन्था नदी (मेंढ़ा/मेंथा)

  • बैराठ की पहाड़ियों में स्थित मनोहरपुर (जयपुर) से निकलकर नागौर जिले में प्रवेश करके सांभर झील में गिर जाती है।
  • प्रसिद्ध जैनतीर्थ लूणवां (नागौर) मन्था नदी के किनारे स्थित है।

रूपनगढ़ नदी

  • सलेमाबाद (अजमेर) के निकट से निकलकर उत्तर-पूर्व की ओर बहते हुए जयपुर जिले में प्रवेश करके सांभर झील में गिर जाती है।
  • निम्बार्क समप्रदाय की प्रमुख पीठ सलेमाबाद (अजमेर) इसी नदी के किनारे स्थित है।

रूपारेल नदी

  • उदयनाथ की पहाड़ी, थानगाजी (अलवर) से निकलकर भरतपुर जिले के कुसलपुर के निकट विलुप्त हो जाती है

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