समसूत्री विभाजन एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर
Samsutri vibhajan ya ardhsutri vibhajan me antar
समसूत्री विभाजन | अर्द्धसूत्री विभाजन |
1. यह कायिक कोशिकाओं (Somatic cells) में होता है, जिसके फलस्वरूप जीवों (पौधे एवं जन्तुओ) में वृद्धि एवं टूटे-फूटे भागों की मरम्मत होती है। | 1. यह केवल जनन कोशिकाओं में होता है जिसके फलस्वरूप इसके द्वारा जीवों (पौधे एवं जन्तुओं) में एक पीढ़ी के गुण दूसरी पीढ़ी में जाते हैं। |
2. यह विभाजन केवल एक चरण में पूर्ण होता है। | 2. यह विभाजन दो चरणों में पूर्ण होता है। |
3. इस विभाजन में क्रॉसिंग ओवर (Crossing over) नहीं होता है। | 3. इस विभाजन में गुणसूत्र के अर्द्धगुणसूत्रों (Chromatids) का आदान-प्रदान होता है
तथा क्रॉसिंग ओवर होता है। |
4. इस विभाजन में पूर्वावस्था (Prophase) अपेक्षाकृत छोटी होती है। | 4. इस विभाजन में पूर्वावस्था काफी बड़ी होने से उसे 5 उप-अवस्थाओं में विभाजित किया जाता है। |
5. इस विभाजन में गुणसूत्र के जोड़े नहीं बनते हैं। | 5. इस विभाजन में समजात गुणसूत्र के जोड़े बनते हैं, जिसे युग्मित गुणसूत्र कहते हैं। |
6. इस विभाजन में संतति कोशिकाओं (Daughter cells) की गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिकाओं के बराबर रह जाती है। | 6. इस विभाजन में संतति कोशिकाओं की गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिकाओं के आधी रह जाती है। |
7. इसमें अर्द्धगुणसूत्र लम्बे व पतले होते हैं। | 7. इसमें अर्द्ध-गुणसूत्र छोटे व मोटे होते हैं। |
8. पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति अवश्य बनती है। | 8. पादप कोशिकाओं में प्रथम अंत्यावस्था (Telophase-I) के पश्चात कोशिका-भित्ति सदैव नहीं बनती है। |
9. इस विभाजन के परिणामस्वरूप दो संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है। | 9. इस विभाजन के परिणामस्वमा कोशिकाओं का निर्माण होता है। |
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