संरक्षण सिद्धान्त क्या है ? संरक्षण सिद्धान्त के प्रकार | ExamSector
संरक्षण सिद्धान्त क्या है ? संरक्षण सिद्धान्त के प्रकार

संरक्षण सिद्धान्त क्या है ? संरक्षण सिद्धान्त के प्रकार

sanrakshan siddhant kya hai

  • जब किसी निकाय पर बाह्य बल अनुपस्थित हो तो निकाय से सम्बन्धित राशियाँ संवेग, ऊर्जा, कोणीय संवेग, आवेश आदि संरक्षित रहती है। इन राशियों का संरक्षित होना संरक्षण नियम कहलाता है।
  • कणों का समूह निकाय कहलाता है। जब किसी निकाय पर बाह्य बल अनुपस्थित हो तो ऐसा निकाय विलगित निकाय (Isolated system) कहलाता है।

संरक्षण सिद्धान्त के प्रकार

1. रेखीय संवेग संरक्षण नियम (Law of conservation of linear momentum)-किसी गतिशील वस्तु के द्रव्यमान व वेग का गुणनफल को उसका रेखीय संवेग कहते हैं। इस नियम के अनुसार “बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी निकाय का कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता है।”

उदाहरण-बंदूक से गोली का दागना, रॉकेट नोदन आदि।

2. ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of conservation of energy)-इस नियम के अनुसार “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है बल्कि एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।”

उदाहरण-सौर बैटरी में सौर ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में किया जाता है।

3. कोणीय संवेग संरक्षण का नियम (Law of conservation of angular momentum)-इस नियम के अनुसार “बाह्य बलाघूर्ण की अनुपस्थिति में निकाय का कुल कोणीय संवेग संरक्षित रहता है।”

उदाहरण-ग्रहों की गति में कोणीय संवेग संरिक्षत रहता है।

4. आवेश संरक्षण का नियम (Law of conservation of charge)-इस नियम के अनुसार “विलगित निकाय में कुल आवेश की मात्रा नियत रहती है।”

उदाहरण-काँच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ने पर काँच की छड़ धनावेशित व रेशम का कपड़ा ऋणावेशित हो जाता है। परन्तु कुल आवेश की मात्रा रगड़ने से पहले तथा पश्चात् शून्य अर्थात् नियत रहती है।


इने भी जरूर पढ़े – 


नोट :- दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रश्न का आंसर चाहिए तो अपना प्रश्न कमेंट के माध्यम से हमें भेजें !

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *