सूक्ष्मजीव एंव सूक्ष्मजीवों के प्रकार (suksham jiv ke prakar notes)

सूक्ष्मजीव एंव सूक्ष्मजीवों के प्रकार (suksham jiv ke prakar notes)

suksham jiv ke prakar notes 

  • ऐसे सजीवों को जिन्हें हम सूक्ष्मदर्शी यन्त्र की सहायता से ही देख सकते हैं, सूक्ष्मजीव (Microorganism) कहते हैं।
  • सूक्ष्मदर्शी यंत्र : ऐसा उपकरण जिसकी सहायता से सूक्ष्म जीवों को आसानी से देखा जा सकता है सूक्ष्मदर्शी यंत्र कहलाता है।
  • सूक्ष्मजीव :- सूक्ष्मजीव सामान्यतः हवा, पानी, मिट्टी, गरम जल स्त्रोतों, बर्फीले क्षेत्रों, दलदली भूमि अर्थात सर्वत्र पाए जाते हैं। ये जीवों के शरीर में भी पाए जाते हैं। प्रति ग्राम मिट्टी में लगभग ढाई अरब जीवाणु पाए जाते हैं।

सूक्ष्मजीवों के प्रकार –

  • ये सूक्ष्मजीव छ: प्रकार के होते हैं
  1.  विषाणु
  2.  माइकोप्लाज्मा
  3.  जीवाणु
  4.  कवक
  5.  प्रोटोजोआ
  6.  शैवाल

1. विषाणु (Virus)- 

  • ये सूक्ष्मतम संरचनाएँ हैं। इन्हें सजीव व निर्जीव के बीच की योजक कड़ी भी कहते हैं क्योंकि इसमें सजीव व निर्जीव दोनों के गुण पाए जाते हैं। प्रकृति में ये निर्जीव की तरह रहते हैं लेकिन जब किसी सजीव में प्रवेश करते हैं तो इनमें वृद्धि एवं गणन होता है। यह पादपों एवं जन्तुओं में कई प्रकार के रोग फैलाता है। उदाहरण टोबेको मोजेक वायरस (TMV) ह्यमन इम्यूनो डेफिशियन्सा वायरस (HIV) आदि।

2. माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma)- 

  • माइकोप्लाज्मा स कोशिका है जो जीवाण फिल्टर में से भी छन जाती है। इसके द्वारा पादपों में बैंगन का लघुपर्ण एवं तिल की फिल्लोडी नामक रोग होते हैं। इन्हें पादप जगत के बहुरूपिया (Jok-ers of Plant Kingdom) भी कहते हैं।

3. जीवाणु (Bacteria): 

  • ये प्रोकैरियोटिक एक कोशिकीय जीव हैं। हमारे आस-पास के प्रत्येक स्थान पर जीवाणु पाए जाते हैं। उदाहरण ई. कोलाई, लेक्टोबेसिलस आदि।

4.. कवक (Fungi) : 

  • इन्हें फफूंद या फंगस या कवक भी कहते हैं। ये एक कोशिकीय से बहुकोशिकीय सरल संरचना वाले सूक्ष्मजीव होते हैं। इनकी कोशिकाओं में पर्णहरित नहीं पाया जाता है, इसलिए ये अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते हैं। कुछ कवक मतोपजीवी के रूप में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से अवशोषण की विधि द्वारा भोजन प्राप्त करते हैं जैसेमशरूम (साँप की छतरी)। कुछ कवक पादपों एवं जन्तुओं पर परजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं। उदाहरण गेहूँ पर पक्सिनिया ग्रेमिनिस ट्रिटीसाई (काला किट्ट रोग) तथा बाजरे पर स्कलेरोस्पोरा ग्रामिनीकोला (जोगण रोग) आदि।

5. प्रोटोजोआ (Protozoa) : 

  • ये एक कोशिकीय जीव हैं। उदाहरण अमीबा, पैरामीशियम आदि।

6. शैवाल (Algae) : 

  • ये एक कोशिकीय से बहुकोशिकीय सरल संरचना वाले पादप हैं। शैवालों की उपस्थिति के कारण ही तालाबों, नदियों, पोखरों और नालों आदि का पानी हरा दिखाई देता है। उदाहरण क्लेमाइडोमोनास, क्लोरेला (यूकैरियोटिक, एक कोशिकीय), स्पाइरोगायरा, यूलोथिक्स (यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय) एवं नील हरित शैवाल (प्रोकैरियोटिक , बहुकोशिकीय)।

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