सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण
Surya Grahan aur chandra grahan kya hai
- पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है और चन्द्रमा, ‘पृथ्वी की परिक्रमा करता है। परिक्रमा करते हुए चन्द्रमा, पृथ्वी व सूर्य एक सीध में हो तो इस संयोगवश घटना को ग्रहण कहते हैं। ग्रहण दो प्रकार का होता है, सूर्यग्रहण तथा चंद्रग्रहण।
1. सूर्य ग्रहण- जब सूर्य और पृथ्वी के मध्य चन्द्रमा आ जाता है तो सूर्यग्रहण होता है।
- पृथ्वी का कुछ भाग चन्द्रमा की प्रच्छाया और कुछ भाग उपछाया में होता है। प्रच्छाया वाले भाग में पूर्ण सूर्यग्रहण व उपछाया वाले भाग में खण्डशः सूर्यग्रहण दिखाई देता है।
- पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का बाहरी किनारा एक रिंग की भाँति दिखाई देता है जिसे किरिट कहते हैं।
- सावधानी- सूर्यग्रहण को नग्न आँख से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि सूर्य के बाहरी किनारे से आने वाली हानिकारक किरणों से आँखे क्षतिग्रस्त हो सकती है।
2. चन्द्र ग्रहण- चन्द्रमा, पृथ्वी के चारों ओर गति (परिक्रमा) करते हुए पृथ्वी की छाया में आ जाता है तो चन्द्रग्रहण होता है। अर्थात सूर्य और चन्द्रमा के मध्य पृथ्वी के आने से चन्द्रग्रहण दिखाई पड़ता है।
- चन्द्रग्रहण पूर्णिमा के दिन तथा सूर्यग्रहण अमावस्या की तिथि को ही होते हैं
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