Vayu Rashi Notes in Hindi
- वायुमण्डल के उस विस्तृत तथा घने भाग को, जिसके भौतिक गुण, विशेषकर तापमान और आर्द्रता, क्षैतिज रूप में लगभग एक समान होते हैं, वायु राशि कहते हैं । सामान्यतः वायुराशि सैंकड़ों किलोमीटर तक विस्तृत होती है और उसमें कई परतें होती हैं। प्रत्येक परत समान गुणों वाली होती है। जब किसी विस्तृत समतल धरातल पर वायुमण्डल सम्बन्धी दशाएँ स्थिर होती हैं, तो वहाँ की वायु में धरातल की आर्द्रता तथा तापमान सम्बन्धी विशेषताएँ समाहित हो जाती हैं, और वायुराशियों की उत्पत्ति होती है। एक बार उत्पन्न होने के बाद वायुराशियाँ उद्गम क्षेत्र पर स्थिर नहीं रह पाती हैं। वे आगे की ओर प्रवाहित हो जाती हैं और सम्पर्क में आने वाले क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान इसके भी गुणधर्मों में परिवर्तन हो जाता है, परन्तु विस्तृत आकार के कारण परिवर्तन मन्द गति से होता है ।
वायुराशियाँ (Air Masses) उत्पत्ति क्षेत्र –
वे प्रदेश जहाँ वायुराशियाँ उत्पन्न होती हैं, उत्पत्ति क्षेत्र कहलाते हैं । आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र के लिए निम्नलिखित दशाएँ आवश्यक होती हैं।
- विस्तृत एवम् समान स्वभाव वाला क्षेत्र होना चाहिए, ताकि उस क्षेत्र में तापमान और आर्द्रता सम्बन्धी दशाएँ समान हो। उत्पत्ति क्षेत्र या तो पूर्णतया स्थलीय भाग होना चाहिए या पूर्णतया सागरीय भाग ।
- वायु की गति बहुत कम और इसका अपसरण (Divergence) होना चाहिए, जिससे दूसरे क्षेत्र की वायु प्रवेश न कर सके ।
- वायु मण्डल सम्बन्धी दशाएँ लम्बे समय तक स्थिर होनी चाहिए, ताकि वायु धरातलीय विशेषताओं को ग्रहण कर सके ।
पृथ्वी पर वायुराशियों के निम्नलिखित 6 आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र पाए जाते हैं :- :–
(i) ध्रुवीय सागरीय क्षेत्र ( अटलाण्टिक एवम् प्रशान्त महासागर के उत्तरी क्षेत्र – शीतकाल में),
(ii) उप ध्रुवीय महाद्वीपीय क्षेत्र (यूरेशिया तथा उत्तरी अमेरिका के हिमाच्छादित भाग और आर्कटिक प्रदेश-शीतकाल में)
(iii) मानसूनी क्षेत्र (दक्षिणी-पूर्वी एशिया)
(iv) उष्ण कटिबन्धीय महासागरीय क्षेत्र (प्रति चक्रवाती क्षेत्र – शीत एवम् ग्रीष्मकाल)
(v) उष्ण कटिबन्धीय महाद्वीपीय क्षेत्र (उत्तरी अफ्रीका, एशिया तथा संयुक्त राज्य अमेरिका का मिसीसिपी घाटी क्षेत्र)
(vi) विषुवत रेखीय क्षेत्र (वर्षभर )
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वायुराशियों का वर्गीकरण (Classification of Air Masses)
वायुराशियों को निम्नलिखित दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है :-
(i) उत्पत्ति क्षेत्र का स्वभाव, तथा
(ii) वायुराशि में होने वाला रूपान्तरण
- उत्पत्ति क्षेत्र के स्वभाव के आधार पर वायुराशियाँ दो प्रकार की होती हैं उष्ण कटिबन्धीय तथा ध्रुवीय | चूँकि उत्पत्ति क्षेत्र महासागर या महाद्वीप में से कोई भी हो सकता है, इसलिए इन्हें दो-दो उपवर्गों में बाँट सकते हैं – समुद्रीय उष्ण कटिबन्धीय, महाद्वीपीय उष्ण कटिबन्धीय, समुद्री ध्रुवीय तथा महाद्वीपीय ध्रुवीय । समुद्री वायुराशियों में आर्द्रता अधिक होने के कारण ये अधिक मात्रा में वर्षा करती हैं। इसके विपरीत महाद्वीपीय वायुराशियाँ शुष्क होती हैं और इनसे वर्षा भी कम होती है ।
- वायु राशियाँ उत्पत्ति क्षेत्र छोड़ने के बाद जब अन्य क्षेत्रों से गुजरती है तो इनका क्रमशः रूपान्तरण होने लगता है। यह रूपान्तरण दो प्रकार का होता है ऊष्मागतिक (Thermodynamic) तथा यान्त्रिक (Mechanical) । जब धरातल और वायु राशि के आधारीय तल के बीच ऊष्मा के आदान-प्रदान के कारण वायुराशि नीचे से गर्म या ठण्डी होती है तो इसे ऊष्मागतिक रूपान्तरण कहते हैं । वायुराशि में होने वाले उस रूपान्तरण को, जो धरातल द्वारा दी गई गर्मी और ठण्डक से मुक्त होता है, यांत्रिक रूपान्तरण कहते हैं । उदाहरण के लिए चक्रवातों, प्रतिचक्रवातों तथा वायु के ऊर्ध्वाधर संचरण के कारण होने वाले रूपान्तरण। वायुराशि में गतिशीलता होने पर उसे अस्थिर (Unstable-U) तथा गतिशीलता नहीं होने पर उसे स्थिर (Stable-S) वायुराशि कहते हैं।
वायुराशियाँ (Air Masses) FAQ –
Q 1. पूरे वर्ष एक ही दिशा में प्रवाहित होने वाली पवन क्या कहलाती है?
Ans – [ b ]
Q 2. उपोष्ण उच्च दाब से विषुवत रेखीय निम्न दाब दाब की ओर चलने वाली पवनें क्या कहलाती है?
Ans – [ a ]
Q 3. व्यापारिक पवनें कहाँ से चलती हैं?
Ans – [ c ] (SSC 2004)
Q 4. व्यापारिक हवाएँ किन अक्षांशों से किन अक्षांशों की ओर बहती है?
Ans – [ c ]
Q 5. उच्च दाब क्षेत्र से भूमध्य सागर की ओर चलने वाली पवनें होती है—
Ans – [ b ] (UPPCS 1992)