विद्युत ऊर्जा क्या है? (what is electrical energy in hindi)
what is electrical energy in hindi
विद्युत ऊर्जा (Electrical energy)
- आवेशित कणों में निहित ऊर्जा विद्युत ऊर्जा कहलाती है। जब कण आवेशित होते हैं तो आवेशित कणों के चारों ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है | यह विद्युत क्षेत्र समीप के दूसरे आवेशित कणों पर बल निरूपित करता है एवं उन्हें गति प्रदान करता है जिससे ऊर्जा का संचरण होता है।
- धनावेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र दूसरे धनावेशित कणों को प्रतिकर्षित करता है एवं ऋणावेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र दूसरे धनावेशित कणों को आकर्षित करता है । परिपाटी के अनुसार विद्युत क्षेत्र की दिशा हमेशा उस ओर इंगित करती है जिघर एक धनावेशित कण उस क्षेत्र में गति करेगा | अतः धनावेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र को धनात्मक बिन्दु से बाहर की ओर निकलता हुआ दशाया जाता है। जबकि ऋणावेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र को ऋणात्मक बिन्दु के अन्दर की ओर जाते हुए दर्शाया जाता है।
- आवेशित कणों की स्थिति के कारण उनमें स्थितिज ऊर्जा होती है। विद्युत क्षेत्र द्वारा जब इन कणों पर बल लगाया जाता है तो ये एक निश्चित दिशा में गमन करते हैं । उदाहरणतः यदि एक धनावेशित कण को ऋणावेशित स्त्रोत से दूर ले जाना हो तो हमे बाह्य बल लगाना होगा | इस प्रक्रिया में धनावेशित कण की स्थितिज ऊर्जा बढ जाएगी | जैसे ही बाह्य बल को हटाया जाएगा कण विद्युत क्षेत्र में ज्यादा स्थितिज ऊर्जा से कम स्थितिज ऊर्जा की ओर गमन करने लगेगा | इसी तरह धनावेशित कण स्वाभाविक प्रक्रिया स्वरूप ऋणावेशित स्त्रोत की तरफ गति करेगा। इस प्रक्रिया में आवेशित कणों की स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाएगी | यह ऊर्जा हमें विद्युत ऊर्जा के रूप में मिलेगी |
- दैनिक जीवन में विद्युत ऊर्जा का उपयोग हम घरों में विद्युत्त धारा एवं विद्युत विभव के रूप में लेते हैं। हमारे द्वारा उपयोग में आने वाले विभिन्न उपकरण एवं युक्तियाँ जैसे कि बल्ब, पंखा, विद्युत प्रेस, हेयर-ड्रायर, गीजर, मोबाइल आदि में विद्युत ऊर्जा का उपयोग होता है। एक बार जब विद्युत ऊर्जा अन्य स्वरूप में बदल जाती है तो हमें प्रकाश, ऊष्मा, गतिज एवं अन्य ऊर्जा प्राप्त होती है। विद्युत का उत्पादन भी विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा होता है। सन् 1831 में माइकल फैराडे ने विद्युत जनित्र की खोज की | आज भी मुख्य रूप से जनित्र में चुम्बकीय धरुवों के मध्य तार अथवा कॉपर डिस्क से विद्युत उत्पादन होता है।
वर्तमान में विभिन्न प्रकार के विद्युत सयंत्रों के माध्यम से विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है। जिनमें से मुख्य निम्न प्रकार है। –
1. कोयला संयंत्र –
- इसमें कोयले में स्थित रासायनिक ऊर्जा का दहन कर ऊष्मा प्राप्त की जाती है। इस ऊष्मा से उच्च कोटि के परिशुद्ध पानी को भाप में बदला जाता है| यह भाप टरबाइन को गति देती है एवं टरबाइन घूमने लगती है| इस टरबाइन से जुड़ी हुई जनित्र से विद्युत उत्पादन होता है।
2. नाभिकीय संयंत्र –
- इन संयंत्रों में नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा से पानी को वाष्य में बदला जाता है । इस वाष्प द्वारा टरबाइन एवं जनित्र की सहायता से विद्युत उत्पादन होता है | नाभिकीय विखण्डन से ऊष्मा प्राप्त होने के बाद की प्रक्रिया लगभग कोयला संयंत्र जैसी ही होती है|
3. जल-विद्युत संयंत्र –
- जल विद्युत संयंत्रों में बांध बनाकर पानी की स्थितिज ऊर्जा को बढाया जाता है। इस ऊर्जा को पानी की गतिज ऊर्जा में बदलकर टरबाइन को घुमाया जाता है। टरबाइन के घूमने पर उससे जुड़े जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।
4. पवन ऊर्जा संयंत्र –
- पवन चक्की में हवा की गतिज ऊर्जा से टरबाइन घूमाकर जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन किया जाता है | यह नवीनकरणीय ऊर्जा स्त्रोत दूसरे ऊर्जा संयंत्रों के
5. सौर ऊष्मा संयंत्र –
- सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को को व दर्पणों की सहायता से केन्द्रित करके इसे ऊष्मा में बदला जाता है। इस ऊष्मा से भाप टरबाइन को घुमाया जाता है जिससे जनित्र विद्युत उत्पादन करता है।
6. सौर प्रकाश वोल्टीय ऊर्जा संयंत्र –
- इन संयंत्रों में खुली जगह या छतों पर सौर पेनल लगाये जाते हैं । इन पेनलों में प्रकाश वोल्टीय सेल होते हैं | सूर्य की किरणें जब पेनल के सेल पर आपतित होती है तो ये सेल प्रकाश के फोटॉन ग्रहण करके इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित अवस्था में ले आते है | ये आवेशित कण विद्युत धारा के रूप में परिपथ को विद्युत प्रदान करते है | वर्तमान में इस तरह के छोट-छोटे संयंत्र घरों की छत्तों पर लगाये जा रहे हैं । साथ ही दो तरफा विद्युत मीटर भी लगाये जा रहे है जिससे घर की आवश्यकता से अधिक ऊर्जा विद्युत प्रदाता कम्पनी को स्थानान्तरित हो जाती है । कम्पनी इसका तय दर से उपभोक्ता को भुगतान भी करती है ।
पेट्रोल एवं डीजल से चलने वाले जनित्र को विभिन्न कार्यालयों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में भी देखते हैं । घरों में हम इन्वर्टर लगाते हैं जिसमें बैटरी का उपयोग किया जाता है। बैटरी में रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण होता है। निरावेशित हो जाने पर बैटरी को पुनः आवेशित किया जा सकता है।
विद्युत ऊर्जा के कुछ उदाहरण
- एक कार बैटरी में रासायनिक क्रिया द्वारा इलेक्ट्रॉन बनते हैं जो विद्युत धारा के रूप में गति करते है । ये गतिमान आवेश कार में विद्युत परिपथ को विद्युत ऊर्जा प्रदान करते हैं ।
- जब हम एक लाइट बल्ब का स्विच चालू करते हैं तो विद्युत धारा परिपथ से होते हुए बल्ब तक पहुँचती है | बल्ब के फिलामेंट में विद्युत आवेश की गति कम होती है एवं फिलामेंट में ऊष्मा बढती है। एक निश्चित सीमा तक ऊष्मा बढ़ने पर फिलामेंट से प्रकाश ऊर्जा मिलती है।
- मोबाइल फोन में बैटरी से रासायनिक ऊर्जा विद्युत आवेशों को मिलती है | जिससे आवेश गति करते हैं । यह विद्युत ऊर्जा फोन के परिपथ में गमन करती है एवं फोन में विद्युत प्रवाह होता है।
- एक इलेक्ट्रिक हीटर या स्टोव को जब विद्युत परिपथ से जोड़ा जाता है तो गतिमान विद्युत आवेश उपकरण में जाते हैं | यह विद्युत ऊर्जा फिलामेंट में ऊष्मा ऊर्जा में बदल जाती हैं । जिसे हम खाना पकाने अथवा अन्य कार्यों में उपयोग में लेते हैं।
- हमारे शरीर में खाना पचाने के बाद प्राप्त ऊर्जा का कुछ भाग विद्युत ऊर्जा में बदल जाता है जो हमारे रनायु तंत्र से होकर मस्तिष्क तक पहुँचता है। इसके अलावा हृदय की धड़कनों के लिये भी विद्युत संकेतों की आवश्यकता होती है | मस्तिष्क द्वारा जो भी संकेत शरीर के किसी भी अंग तक पहुँचाये जाते हैं वो विद्युत पल््स के रूप में ही होते हैं ।
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कार्य, शक्ति तथा उर्जा Work, Power and Energy FAQ –
Q. कार्य का मात्रक है
(क) न्यूटन
(ख) जूल
(ग) वाट
(घ) इनमें से कोई नहीं
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Q. शक्ति का मात्रक है–
(क) न्यूटन
(ख) वाट
(ग) जूल
(घ) न्यूटन-मीटर
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Q. पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा का मान
(क) बढ़ता जाता है।
(ख) घटता जाता है।
(ग) स्थिर रहता है।
(घ) शून्य हो जाता है।
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Q. यदि एक वस्तु का वेग दो गुना कर दिया जाए तो वस्तु की गतिज ऊर्जा कितनी होगी?
(क) एक-चौथाई
(ख) आधी
(ग) दोगुनी।
(घ) चार-गुनी
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Q. विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक है
(क) जूल
(ख) वाट-सेकण्ड
(ग) किलोवाट घण्टा
(घ) किलोवाट प्रति घण्टा
उत्तर ⇒ ???????
प्रश्न 1. कार्य की परिभाषा दीजिये एवं इसका मात्रक लिखिये।।
उत्तर- जब किसी वस्तु पर बल F लगाया जाये तथा इस बल से वस्तु में विस्थापन s हो तो बल द्वारा किया गया कार्य, बल और बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
अतः कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (S)
W = F.S
कार्य का मात्रक MKS पद्धति में जूल है।
प्रश्न 2. ऊर्जा क्या है ? ऊर्जा का मात्रक लिखिये।
उत्तर- किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। ऊर्जा का मात्रक जल होता है।
प्रश्न 3. गतिज ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- गतिज ऊर्जा-किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। जैसे-उड़ता हुआ हवाई जहाज, नदी में बहता हुआ पानी आदि में कार्य करने की क्षमता उनमें विद्यमान गतिज ऊर्जा के कारण है।
प्रश्न 4. स्थितिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर- वस्तु की स्थिति अथवा अवस्था के कारण वस्तु में विद्यमान ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 5. ऊर्जा संरक्षण नियम बताइये।
उत्तर- इस नियम के अनुसार किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा सदैव स्थिर रहती है। ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है।