भारत के भौतिक प्रदेश ( Indian Physical territory )

भारत के भौतिक प्रदेश ( Indian Physical territory )

  • भारत की भौगोलिक आकृतियों को निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है
    (A) उत्तर की हिमालय पर्वत श्रृंखला
    (B) प्रायद्वीपीय पठार
    (C) तटवर्ती मैदान
    (D) भारतीय द्वीप समूह

भारत के भौतिक प्रदेश ( Indian Physical territory )

(A) उत्तर की हिमालय पर्वत श्रृंखला

  • हिमालय का विस्तार भारत के उत्तर में उत्तर-पश्चिम (सिंधु से) से दक्षिण-पूर्व (ब्रह्मपुत्र तक) की ओर पाया जाता है। पूर्व से पश्चिम दिशा में इनकी लम्बाई 2400 कि. मी. है। इनकी चौड़ाई कश्मीर में 400 कि.मी. तथा अरुणाचल में 150 कि. मी. है।
  • हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रृंखला है।
  • इसका ढाल तिब्बत की ओर अवतल (Concave) तथा भारत की ओर उत्तल (Convex) है।
  • हिमालय पर्वत की उत्पत्ति टेथिस भू-सन्नति के मलवों के लगातार जमाव-साव तथा वलन क्रिया (Folding) से हुई
  • प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत (Plate Tectonics Theory) के अनुसार इण्डियन एवं यूरेशियन प्लेटों के टकराव से हिमालय का निर्माण हुआ है। इण्डियन प्लेट प्रतिवर्ष 5 से. मी. की दर से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है जिसके कारण इस पर्वत की ऊँचाई प्रतिवर्ष 5 से. मी. की दर से बढ़ रही है।

ट्रांस हिमालय

  • ट्रांस हिमालय महान हिमालय के उत्तर में तिब्बत में स्थित है।
  • ट्रांस हिमालय में दक्षिण से उत्तर में क्रमश: कैलाश, जास्कर, लद्दाख एवं काराकोरम श्रेणियाँ पाई जाती हैं।
  • भारत की सबसे ऊँची चोटी K2 या गाडविन आस्टिन (8611मी) है, जो काराकोरम श्रेणी में स्थित है।

ट्रांस हिमालय के प्रमुख हिमनद

क्र.सं. हिमनद लम्बाई (कि.मी.)  घाटी
1 सियाचीन 72 नुब्रा
2  हिस्पार 61 हुजा
3 बटुरा 57 हुजा
4 बियाफो 60 सिगार 
5 बाल्टोरा 58 सिगार 
  •  राकोपोशी (लद्दाख श्रृंखला का सर्वोच्च शिखर) विश्व की सबसे बड़ी ढाल वाली चोटी है।
  • स्वेन हैडेन ने काराकोरम श्रेणी को उच्च एशिया की रीढ़ (Backbone of High Asia) कहा है।
  • हिन्ज लाइन या शूचर जोन ट्रांस एवं वहद हिमालय को अलग करती है।

वहद हिमालय (हिमाद्रि या सर्वोच्च हिमालय)

  • महान हिमालय कश्मीर में नंगा पर्वत से लेकर अरुणाचल में नामचा बारवा तक विस्तृत है ।
  • इनकी चौड़ाई 25 कि.मी. औसत ऊँचाई 6100 मी. एवं लम्बाई 2500 कि.मी. है।
  • भारत-तिब्बत मार्ग जो शिमला और गंगटोक को जोड़ता है, सतलज घाटी में शिपकीला दर्रे से होकर जाता है। सिक्किम की चुम्बी घाटी, जीलपला दर्रे से होकर पश्चिम बंगाल के कालिम्पोंग से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक सड़क मार्ग जाता है।

महान हिमालय के दर्रे

क्र.सं. राज्य दर्रे
कश्मीर बुर्जिल, जोजिला
हिमालय प्रदेश बड़ा लाचाला, शिपकीला
उत्तराखण्ड थागला, नीति, लिपुलेख
अरुणाचल प्रदेश बोमडिला, बुमला
  • हिमालय की सर्वोच्च चोटियाँ महान हिमालय में पाई जाती हैं। माउण्ट एवरेस्ट विश्व की सर्वोच्च चोटी है। इसे तिब्बती भाषा में चोमोलुंगमा (पर्वतों की रानी) एवं नेपाल में सागरमाथा कहा जाता है।

हिमालय के प्रमुख ऊँचे शिखर

शिखर देश समुद्रतल से ऊंचाई (मीटर में)
माउण्ट एवरेस्ट  नेपाल 8,848 
कंचनजंगा  भारत 8,598
मकालू  नेपाल 8,481 
धौलागिरी  नेपाल 8,172 
नंगा पर्वत भारत 8,126
अन्नपूर्णा  नेपाल 8.078
नंदादेवी भारत 7,817
नामचा बरूआ भारत 7.756
गुरूला मंधाता  नेपाल 7.728
  •  मेन सेन्ट्रल थ्रस्ट महान एवं मध्य हिमालय को अलग करता है।

मध्य हिमालय/लघु हिमालय

  • मध्य हिमालय, महान हिमालय के दक्षिण में स्थित है। इसकी चौड़ाई 80-100 कि.मी. तथा ऊँचाई 3700 मीटर से 4500 मीटर के बीच है।
  • पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लम्बी एवं सबसे महत्त्वपूर्ण श्रृंखला है। इसके मध्य में कश्मीर घाटी पाई जाती है।
लघु हिमालय श्रेणी  प्रदेश
पीर पंजाल श्रेणी : कश्मीर
धौलाधर श्रेणी : हिमाचल प्रदेश
महाभारत श्रेणी : नेपाल
  • इस श्रेणी में पाए जाने वाले प्रमुख पर्वतीय नगर हैं- धर्मशाला, डलहौजी नगर, शिमला, मसूरी, रानीखेत, नैनीताल, अल्मोड़ा, दार्जिलिंग।
  • मध्य हिमालय में पीर पंजाल (3494 मी.) एवं बनिहाल (2832मी.) दो प्रमुख दर्रे हैं।
  • बनिहाल दर्रे से होकर जम्मू-श्रीनगर मार्ग गुजरता है। जवाहर सुरंग भी इसी दर्रे में है।
  • शिमला लघु हिमालय की धौलाधर श्रेणी पर स्थित है।
  • लघु हिमालय के ढालों पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे घास के मैदानों को कश्मीर में मर्ग कहा जाता है। जैसे – गुलमर्ग, सोनमर्ग। उत्तराखण्ड में इन्हें वुग्याल एवं पयार कहा जाता है।
  • नेपाल, कांगड़ा एवं कुल्लू घाटियाँ मध्य हिमालय में पाई जाती हैं।

शिवालिक हिमालय (उप हिमालय/वाहरी हिमालय )

  • यह हिमालय की सबसे नवीनतम श्रेणी है। इसकी चौड़ाई 10 से 15 कि. मी. तथा ऊँचाई 900-1100 मी. के बीच है।
  • इसका विस्तार पंजाब के पोतवार बेसिन से कोसी नदी तक है।
  • शिवालिक को जम्मू में जम्मू पहाड़ियाँ तथा अरुणाचल में डाफला, मिशमी, मिरी और अबोर पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है।
  • लघु हिमालय एवं शिवालिक श्रेणी के बीच कई घाटियाँ पाई जाती है, जिन्हें पूर्व में द्वार (हरिद्वार, कोटद्वार) एवं पश्चिम में दून (देहरादून) कहा जाता है।
  • नदी घाटी के आधार पर हिमालय का वर्गीकरण सिडनी बुरांड नामक भूवैज्ञानिक ने हिमालय का वर्गीकरण चार भागों में किया है

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