रक्ताधान (Blood Transfusion Notes in Hindi)

रक्ताधान (Blood Transfusion )

Blood Transfusion Notes in Hindi

  • यह एक ऐसी विधि है जिसमें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के परिसंचरण तंत्र में रक्त या रक्त आधारित उत्पादों जैसे प्लेटलेट, प्लाज्मा आदि को स्थानान्तरित किया जाता है । सर्वप्रथम रक्ताधान 15 जून 1667 को फ्रांस के चिकित्सक डॉ. जीन बेप्टिस्ट डेनिस द्वारा संपादिन किया गया। उन्होंने 15 वर्षीय एक बालक में भेड़ के रक्त से रक्ताधान करवाया था । हालांकि इसके दस वर्ष पश्चात् पशुओं से मानव में रक्ताधान निषेध कर दिया गया।

रक्ताधान की आवश्यकता (Requirement of blood transfusion)

निम्नांकित परिस्थितियों में रक्ताधान की परम आवश्यकता होती है –

  1. चोट लगने या अत्यधिक रक्तस्त्राव होने पर
  2. शरीर में गंभीर रक्तहीनता होने पर
  3. शल्य चिकित्सा के दौरान
  4. रक्त में बिंबाणु (Platelets) अल्पता की स्थिति में
  5. हीमोफीलिया (Hemophilia) के रोगियो को
  6. दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle cell anemia) के रोगियों को ।

रक्ताधान की प्रक्रिया (Process of blood transfusion)

रक्ताधान एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसे निम्न प्रकार से संपादित किया जाता है-

(अ) रक्त संग्रहण (Blood collection) –

  • (1) रक्त संग्रहण प्रक्रिया से पूर्व दाता के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाता है ।
    (2) स्वास्थ्य परीक्षण के पश्चात् उपयुक्त क्षमता वाली प्रवेशनी (Cannula) के माध्यम से विशेष प्रकार की निर्जरमीकृत थक्कारोधी युक्त थैलियों (Sterilized anticoagulant containing pouch) में दाता से रक्त का संग्रहण किया जाता है ।
    (3) संग्रहित रक्त का प्रशीतित भंडारण किया जाता है। इससे रक्त में जीवाणु वृद्धि को रोका तथा कोशिकीय चयापचय को धीमा किया जाता है ।
    (4) संग्रहित रक्त की कई प्रकार की जाँचे जैसे रक्त समूह, आर एच कारक, हिपैटाइटिस बी, हिपैटाइटिस सी, एच. आई. वी. आदि की जाती है।
    (5) रक्तदान संग्रहण के पश्चात् दाता को कुछ समय तक चिकित्सक की निगरानी में रखा जाता है ताकि उसके शरीर में रक्तदान के कारण होने वाली किसी प्रतिक्रिया का उपचार किया जा सके। (साधारणतया रक्तदान के पश्चात् शरीर में कोई असामान्य प्रतिक्रिया नहीं होती है ।) मनुष्यों में रक्तदान के पश्चात् प्लाज्मा की 2-3 दिवस में पुनः पूर्ति हो जाती है तथा औसतन 36 दिवस पश्चात् रक्त कोशिकाएँ परिसंचरण प्रणाली में प्रतिस्थापित हो जाती है।

(ब) आधान (Transfusion )

  • (1) आधान से पूर्व मरीज के रक्त का दाता के रक्त से मिलान (ABO, Rh आदि) किया जाता है । इस प्रक्रिया के पश्चात् ही आधान संपादित किया जाता है ।
    (2) संग्रहित रक्त को आधान प्रक्रिया शुरू करने से केवल 30 मिनट पूर्व ही भंडारण क्षेत्र से बाहर लाया जाता है।
    (3) रक्त केवल अंतः शिरात्मक रूप से दिया जाता है। यह करीब 4 घंटों तक चलने वाली प्रक्रिया है जो प्रवेशनी (Cannula) के माध्यम से संपादित की जाती है ।
    (4) रोगी में आधान संबंधित प्रतिक्रियाओं जैसे ज्वर, ठंड लगना, दर्द, साइनोसिस (Cyanosis), हृदय गति की अनियमितता आदि को रोकने हेतु चिकित्सक द्वारा औषधियां दी जाती हैं।

रक्त के स्त्रोत के आधार पर रक्तदान दो प्रकार को होता है ।

  1. समजात आधान (Allogenic transfusion) – ऐसा आधान जिसमें अन्य व्यक्तियों के संग्रहित रक्त का उपयोग किया जाता है।
  2. समजीवी आधान (Autogenic transfusion ) – ऐसा आधान जिसमें व्यक्ति का स्वयं का संग्रहित रक्त काम में लिया जाता है।
  • दान किए हुए रक्त को प्रसंस्करण द्वारा पृथक-पृथक भी किया जा सकता है । प्रसंस्करण के पश्चात् रक्त को लाल रक्त कोशिकाओं, प्लाज्मा तथा बिंबाणुओं में विभक्त कर प्रशीतित भंडारण किया जाता है। मानव के अलावा पशुओं में भी रक्ताधान किया जाता है ।

रक्ताधान के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ (Precautions taken during blood transfusion)

  1. दाता व रोगी के रक्त में ABO प्रतिजन का मिलान ।
  2. दाता के रक्त में रोगकारक या हानिकारक तत्वों के ना होने की जाँच करना ।
  3. दोनों के रक्त में आर एच कारक (विशेष रूप से आर एच डी) का मिलान ।
  4. संग्रहित रक्त का वांछित प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात् प्रशीतित भंडारण करना बचाना ।
  5. किसी भी स्थिति में संग्रहित रक्त को संदूषण से
  6. संग्रहण तथा आधान आवश्यक रूप से चिकित्सक की उपस्थिति में ही हो ।

आधान के दौरान बरती गई असावधानियों के कारण निम्न रोग या संक्रमण हो सकते हैं। (i) एच आई वी -1 (HIV- 1) तथा एच आई वी -2 (HIV-2) का संक्रमण (HIV – Human Immuno Deficiency Virus) (ii) एच टी एल वी – 1 (HTLV-1) तथा एच टी एल वी – 2 (HTLV-2) का संक्रमण (HTLV – Human T – Lymphotrophic Virus) (iii) हेपेटाइटिस – बी (Hepatitis B ) व हेपेटाइटिस – सी (Hepatits – C) (iv) क्रुएट्ज्फेल्ड्ट – जैक्ब रोग (Creutzfeldt – Jakob disease) आदि ।

 

प्रतिरक्षा एंव रक्त समूह (Immunity and Blood Groups) Questions and Answers in Hindi

1. प्रतिरक्षा में प्रयुक्त होने वाली कोशिकाएं…………..में नहीं पाई जाती हैं।
(क) अस्थिमज्जा
(ख) यकृत
(ग) आमाशय
(घ) लसीका पर्व

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उत्तर ⇒ { C }

2. प्लाविका कोशिका निम्न में से किस कोशिका का रूपांतरित स्वरूप है?
(क) बी लसीका कोशिका
(ख) टी लसीका कोशिका
(ग) न्यूट्रोफिल
(घ) क व ग दोनों

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उत्तर ⇒ { A }

3. एण्टीजनी निर्धारक निम्न में से किस में पाए जाते हैं ?
(क) प्रतिजन
(ख) IgG प्रतिरक्षी
(ग) IgM प्रतिरक्षी
(घ) प्लाविका कोशिका

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उत्तर ⇒ { A }

4. प्रथम उत्पादित प्रतिरक्षी है
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgE

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उत्तर ⇒ { B }

5. माँ के दूध में पाए जाने वाली प्रतिरक्षी कौनसी है?
(क) IgG
(ख) IgM
(ग) IgD
(घ) IgA

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उत्तर ⇒ { D }

6. रक्त में निम्न में से कौनसी कोशिकाएं नहीं पाई जातीं ?
(क) लाल रक्त कोशिकाएं
(ख) श्वेत रक्त कोशिकाएं
(ग) बी लसीका कोशिकाएं
(घ) उपकला कोशिकाएं

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उत्तर ⇒ { D }

7. रक्त का विभिन्न समूहों में वर्गीकरण किसने किया?
(क) लुइस पाश्चर
(ख) कार्ल लैण्डस्टीनर
(ग) रार्बट कोच
(घ) एडवर्ड जेनर

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उत्तर ⇒ { B }

8. सर्वदाता रक्त समूह है
(क) A
(ख) AB
(ग) O
(घ) B

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उत्तर ⇒ { C }

9. गर्भ रक्ताणुकोरकता (Erythroblastosis fetalis) का प्रमुख कारण है
(क) शिशु में रक्ताधान
(ख) आर एच बेजोड़ता।
(ग) ए बी ओ बेजोड़ता
(घ) क व ग दोनों

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उत्तर ⇒ { B }

10. समजीवी आधान में किसका उपयोग होता है?
(क) व्यक्ति के स्वयं के संग्रहित रक्त का
(ख) अन्य व्यक्ति के संग्रहित रक्त का
(ग) भेड़ के संग्रहित रक्त का
(घ) क व ख दोनों
उत्तर ⇒ ????

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