विश्व में वर्षा का वितरण (Distribution of Rainfall in Hindi)
Distribution of Rainfall in Hindi
- पृथ्वी के धरातल पर विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है । धरातल पर वर्षा का वितरण बहुत ही असमान है। वर्षा कहीं 200 सेमी. से अधिक होती है, तो कहीं 20 सेमी. से भी कम । वर्षा के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में तापमान, स्थल-जल का वितरण, हवाओं की दिशा, पर्वतों की दिशा आदि महत्वपूर्ण है। पृथ्वी पर वर्षा की निम्नलिखित 6 पेटियाँ हैं –
1. अत्यधिक वर्षा वाली विषुवत्रेखीय पेटी –
- इस पेटी का विस्तार विषुवत् रेखा के दोनों ओर 10° अक्षांशों तक पाया जाता है । इसमें दक्षिणी अमेरिका की अमेजन घाटी, अफ्रीका का कांगो बेसिन, मध्य अमेरिका का पवनमुखी तटवर्ती क्षेत्र, न्यूगिनी, फिलीपाइन्स एवम् मेडागास्कर के पूर्वी तटीय क्षेत्र मुख्य हैं । यहाँ वार्षिक वर्षा 175 सेमी. से 200 सेमी. तक होती है। वर्षा मुख्य रूप से संवहनीय प्रकार की होती है। यहाँ प्रतिदिन मेघ गर्जन तथा विद्युत चमक के साथ दोपहर बाद वर्षा होती है।
2. व्यापारिक पवनों की वर्षा पेटी –
- इस पेटी का विस्तार विषुवत् रेखा के दोनों ओर 10° से 20° अक्षांशों के बीच पाया जाता है । यहाँ व्यापारिक हवाओं द्वारा महाद्वीपों के पूर्वी भागों में वर्षा होती है। मानसूनी वर्षा भी इसी पेटी में आती है।
3. उपोष्ण कटिबन्धीय न्यूनतम वर्षा पेटी –
- यह पेटी 20° से 30° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्द्ध में स्थित है। यह उच्च दाब की पेटी है, जिसमें हवाएँ ऊपर से नीचे उतरती हैं। अतः प्रतिचक्रवातीय दशाएँ पाई जाती हैं । मिश्र, सहारा, थार का मरूस्थल इसी पेटी में स्थित हैं । यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 25 सेमी. से भी कम होता है ।
4. भूमध्य सागरीय वर्षा पेटी —
- इसका विस्तार 30° से 40° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलाद्ध के पश्चिमी समुद्रतटीय भागों में पाया जाता है। इसमें कैलीफोर्निया, मध्य चिली, दक्षिणी अफ्रीका का दक्षिणी-पश्चिमी भाग तथा पश्चिमी आस्ट्रेलिया का दक्षिणी-पश्चिमी भाग आता है। यहाँ सर्दियों में पछुआ पवनों से वर्षा होती है । वर्षा साधारण तथा चक्रवातीय होती है । वर्षा का वार्षिक औसत 100 सेमी. तक रहता है। शुष्क ग्रीष्म ऋतु इस पेटी की विशेषता है क्योंकि इस समय यह पेटी शुष्क व्यापारिक हवाओं के प्रभाव में रहती है।
5. मध्य अक्षांशीय अधिक वर्षा की पेटी –
- विषुवत् रेखा के दोनों ओर 40° से 60° अक्षांशों के मध्य यह पेटी पाई जाती है । यहाँ महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में अधिक वर्षा होती है। जलीय भाग की अधिकता के कारण उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में वर्षा अधिक होती है । यहाँ ध्रुवीय तथा पछुआ हवाओं के मिलने से चक्रवातीय वर्षा होती है। यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 100 से 125 सेमी. तक होता है।
6. ध्रुवीय निम्न वर्षा पेटी –
- इसका विस्तार 60° अक्षांश से ध्रुवों तक दोनों गोलार्द्धां में है । ध्रुवों की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है। यहाँ अधिकांश वर्षा हिमपात के रूप में होती है । यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 25 सेमी. तक होता है ।
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महत्वपूर्ण बिन्दु –
1. वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा होती है, जिसक कारण बादल, वर्षा, हिम वर्षा, ओस, पाला, कुहरा आदि घटनाएँ होती है।
2. वायु में पाई जाने वाली जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते है । यह निरपेक्ष एवम् सापेक्ष दो प्रकार की होती है ।
3. वायु में उसकी जलवाष्प धारण की क्षमता के बराबर आर्द्रता होती है ।
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