ग्लोबल वार्मिंग ( Global Warming in Hindi ) क्या है ? कारण और नियंत्रित करने के उपाय

Global Warming in Hindi

भूमण्डलीय ऊष्मन (Global Warming) –

हरित गृह गैसों में वृद्धि के कारण पृथ्वी का तापमान निरन्तर बढ़ रहा है। पेड़-पौधों द्वारा उपयोग की गई कार्बन डाई-ऑक्साइड से अधिक मात्रा उद्योगों एवम् मोटर वाहनों द्वारा विसर्जित की जा रही है। परिणामस्वरूप वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड गैस की मात्रा में 2 प्रतिशत की दर से प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। यह गैस भारी होने के कारण वायुमण्डल के निचले भाग में धरातल के समीप ही एक परत के रूप में जमा हो जाती है। यह परत पृथ्वी से होने वाले पार्थिव विकिरण को वापस पृथ्वी की ओर लौटा देती है। इसके कारण पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि होती है। पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को ही भूमण्डलीय ऊष्मन कहते हैं ।
सन् 1400 के बाद से अब तक के तापमानों का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने पाया है कि वर्ष 1990, 1995 और 1997 अब तक के सबसे गर्म वर्ष रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि पिछले 50 वर्षों में पृथ्वी का औसत माप 1° सेल्शियस बढ़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 21 वीं सदी के मध्य तक वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड गैस की मात्रा औद्योगिक युग (सन् 1860 ) से पूर्व की तुलना में दुगनी हो जाएगी । इसके परिणामस्वरूप सन् 2050 तक पृथ्वी का औसत तापमान 1.50 से 4.5 सेल्शियस तक बढ़ सकता है ।
राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, संयुक्त राज्य अमरीका (2015, National Academy of Sciences, US) द्वारा 3000 वर्षों से अधिक काल में हुए विश्व ऊष्मन से महासागरीय जलस्तर में वृद्धि का अध्ययन किया । अकादमी अनुसार अगर विश्व ऊष्मन इसी प्रकार चलता रहा तो इस सदी के अन्त तक 1.5 मीटर महासागरों का जलस्तर बढ़ जाने की सम्भावना है। इससे विश्व में तटीय क्षेत्रों में निवास करने वाली लगभग 20 करोड़ से अधिक जनसंख्या प्रभावित होगी। इससे चीन, भारत, जापान, इण्डोनेशिया, वियतनाम, बांगलादेश, मालद्वीव एवं प्रशान्त महासागर के हजारों द्वीपीय देश सर्वाधिक प्रभावित होंगे। संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट अनुसार बांगलादेश का 16 प्रतिशत क्षेत्र तथा 15 प्रतिशत जनसंख्या इस खतरे से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े है । प्रशान्त महासागर के अनेकों द्वीप जैसे टोरा, सोलोमन, मार्शल, नौरू, तुवालु आदि निम्नतलीय द्वीपों वाले देश जो कोरल एवं ज्वालामुखी से बनें है, इनका अस्तित्व ही खतरे में है ।
किरबाती एवं कई अन्य द्वीपीय देख ‘गौरव संग स्थानान्तरण’ (Migration with dignity) की नीति अपनाते हुए विश्व रूपी मंचों पर गुहार लगा रहे है। किरबाती (Kirbati) प्रवाल द्वीप समुह देश से बाहर जाने वाले तो बहुत होंगे लेकिन महासागरीय जलस्तर बढ़ जाने के कारण अपने घर वापस आने की सम्भावना नहीं होगी । इस जलवायवीय कारणों से भविष्य में मानव जनसंख्या के स्थानान्तरण बड़े पैमाने पर होने वाले है । अतः विश्वस्तर पर सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक सामन्जस्य स्थापित करना सभी की नैतिक एवं मानवीय जिम्मेदारी होनी चाहिए ।

भूमण्डलीय ऊष्मन के प्रभाव (Impact of Global Warming)

पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के निम्नलिखित प्रभाव होंगे :

  1.  तापमान में वृद्धि के कारण जलवायु में बहुत बड़े परिवर्तन होंगे। वर्तमान में मौसम में देखी जा रही विसंगतियाँ इसी तापमान वृद्धि का परिणाम है ।
  2.  पृथ्वी के तापमान में वृद्धि से वर्षा के प्रारूप में व्यापक परिवर्तन होगा। तापमान बढ़ने से जलीय भागों का वाष्पीकरण अधिक होगा | अधिक जलवाष्प तथा तापमान से वर्षा अधिक होती है। फलस्वरूप ऋतु चक्र बदल जाएगा । ग्रीष्मकाल की अवधि बढ़ेगी तथा शीतकाल की कम होगी ।
  3.  भूमण्डलीय ऊष्मन के कारण एलनीनो प्रभाव में वृद्धि होगी तथा चक्रवातों की आवृति बढ़ेगी ।
  4.  विश्व के औसत तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों तथा पर्वतीय शिखरों की बर्फ पिघलने से समुद्रों का जलस्तर ऊपर उठेगा। इसके फलस्वरूप समुद्र तटीय भाग जलमग्न हो जाएंगे। महासागरों में स्थित द्वीप डूब जाएंगे ।
  5.  तापमान में वृद्धि के कारण हिमनदों की बर्फ अधिक मात्रा में पिघलेगी। फलस्वरूप उनसे निकलने वाली नदियों में पानी की मात्रा बढ़ने से भीषण बाढ़ आ सकती है।
  6.  तापमान वृद्धि के कारण होने वाले ऋतु चक्र परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव कृषि पर पड़ेगा। इससे कृषि का प्रारूप बदल जाएगा तथा कृषि प्रणालियाँ बदल जाएंगी ।
  7.  तापमान वृद्धि के कारण पेड़-पौधों एवम् जीव-जन्तुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा ।

भूमण्डलीय ऊष्मन को नियंत्रित करने के उपाय  (Measures Preventing global Warming Effects) –

विश्व के तापमान में हो रही वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए :

  1.  जीवाश्मी ईंधनों, जैसे कोयला, खनिज तेल, गैस आदि के उपयोग में कमी की जानी चाहिए। इनके स्थान पर वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग किया जाना चाहिए ।
  2. पृथ्वी पर वृक्षारोपण करके वन क्षेत्रों का विस्तार किया जाना चाहिए ।
  3.  जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जाना चाहिए ।
  4. उद्योगों एवम् वाहनों में ऐसे उपकरण लगाए जाएं, जिससे इनके कारण होने वाला प्रदूषण कम हो ।
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ग्लोबल वार्मिंग ( Global Warming ) FAQ –

प्रश्न- हरित गृह प्रभाव का क्या अर्थ है?
उत्तर- वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के कारण वायुमंडल के तापमान का बढ़ना।
प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग के लिए कौन कौन सी गैंसे मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं ?
उत्तर- मीथेन, कार्बन डाइआक्साइडड, जलवाष्प
प्रश्न- वायु में कार्बन डाइआक्साइड की बढ़ती हुई मात्रा से वायुमंडल का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है क्यों ?
उत्तर- कार्बन डाइआक्साइडड सौर विकिरण को अवशोषित करती है ।
प्रश्न- कौन सी गैस है जो जीवन के लिए लाभदायक और हानिकारक दोनों ही है ?
उत्तर- कार्बनडाइआक्साइड
प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन से हैं ?
उत्तर- जीवाश्मिक ईंधन का अधिकाधिक प्रज्जवलन, तेल चलित स्वचलितों की संख्या विस्फोट, अत्याधिक वनोन्मूलन
प्रश्न- वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइडड की सांद्रता कितनी है?
उत्तर- 0.03 प्रतिशत
प्रश्न- धान के खेतों से कौन सी गैस निकलती है जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण है?
उत्तर- मीथेन
प्रश्न- दीमक की बाम्बी से कौन सी गैस निकलती है ?
उत्तर- मीथेन

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