हरित गृह प्रभाव (Greenhouse Effect in Hindi) क्या है | इसको कम करने के उपाय

हरित गृह प्रभाव (Greenhouse Effect in Hindi)

हरितगृह प्रभाव (Greenhouse Effect ) –

  • अधिक ठण्डे प्रदेशों में, जहाँ सूर्यातप का सर्दियों में अभाव रहता है, विशेषकर फलों व सब्जी के पौधों को पैदा करने के लिए हरित गृहों का प्रयोग किया जाता है । इन हरित गृहों के शीशे से सूर्य की उष्मा अन्दर तो पहुँच जाती है, किन्तु दीर्घ तरंगों के रूप में होने वाला पुर्नविकिरण इन हरित गृहों से बाहर नहीं जा पाता है। परिणामस्वरूप हरित गृह के अन्दर तापमान बढ़ जाता है। पृथ्वी पर वायुमण्डल भी हरित गृहों के समान कार्य करता है । यह पृथ्वी पर औसत तापमान 35° सेल्शियस बनाए रखता है ।
  • वायुमण्डल में पाई जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस, जलवाष्प, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि पृथ्वी पर हरित गृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी हैं । सूर्य से आने वाली लघु तरंगीय किरणों को तो ये गैसें पृथ्वी तक आने देती हैं, किन्तु पृथ्वी से होने वाले दीर्घ तरंगीय विकिरण विशेषकर अवरक्त किरणों को सोख कर पुनः पृथ्वी की ओर भेज देती हैं। परिणामस्वरूप धरातलीय सतह निरन्तर गर्म होती रहती है। इस प्रभाव को ही हरित गृह प्रभाव कहते हैं ।
हरित गृह प्रभाव (Greenhouse Effect in Hindi)

img. Source :- Wikipedia

  • जलवाष्प प्राकृतिक रूप से पृथ्वी को गर्म बनाए रखती है, परन्तु मानवीय कारणों से कार्बन डाईआक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि गैसें पृथ्वी पर हरित गृह प्रभाव उत्पन्न कर रही हैं। इन गैसों को ‘हरित गृह गैसें’ भी कहते हैं । हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों में कार्बन डाईऑक्साइड प्रमुख है । वायुमण्डल में इसकी मात्रा में निरन्तर वृद्धि हो रही है ।
  • तीव्र औद्योगिकीकरण तथा वाहनिक प्रदूषणों के कारण इसकी मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। कोयला, खनिज तेल, लकड़ी आदि के जलने, प्राणियों की श्वसन क्रिया, ज्वालामुखी उद्गार, वनस्पतियों के सड़ने – गलने आदि के कारण वायुमण्डल कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। मीथेन की उत्पत्ति धान की खेती, प्राकृतिक दलदली भूमियाँ, खनन, दीमक, जैवीय पदार्थों के जलने आदि से होती है। नाइट्रस ऑक्साइड मुख्यतः नाइट्रोजन युक्त खादों के प्रयोग, जैविक पदार्थों एवं जीवाश्मी ईंधनों के जलने से उत्पन्न होती है। नायलोन के औद्योगिक उत्पादन से भी इसकी मात्रा बढ़ती है। क्लोरोफ्लोरो कार्बन का निर्माण रासायनिक क्रियाओं द्वारा होता है । वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार हरित गृह प्रभाव में कार्बन डाइ-ऑक्साइड का योगदान 57 प्रतिशत, मीथेन का योगदान 18 प्रतिशत, नाइट्रस ऑक्साइड का योगदान 6 प्रतिशत, क्लोरो फ्लोरो कार्बन का योगदान 17 प्रतिशत होता है ।
हरित गृह प्रभाव (Greenhouse Effect in Hindi)

हरित गृह प्रभाव के प्रमुख दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं : —

  1. तापमान में वृद्धि – पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि मानव जनित हरित गृह प्रभाव का एक प्रमुख दुष्परिणाम है। प्रकृति में हरित गृह गैसों का बढ़ना इसका प्रमुख कारण है। तापमान में वृद्धि के कारण पृथ्वी पर अनेक जलवायु परिवर्तन होंगे। मौसम में हो रही विसंगतियाँ इसी का परिणाम है।
  2. वर्षा में वृद्धि :- पृथ्वी का तापमान बढ़ने से जलीय भागों से वाष्पीकरण अधिक होगा। परिणामस्वरूप वर्षा अधिक होगी ।
  3. ध्रुवों का बर्फ पिघलना :― पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवों एवम् पर्वत चोटियों की बर्फ पिघलने लगेगी ।
  4. समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि :- विश्व के औसत तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय तथा पर्वतीय क्षेत्रों की बर्फ पिघलने से समुद्रों का जलस्तर ऊपर उठेगा। परिणामस्वरूप अनेक समुद्र तटीय भाग जल में डूब जाएंगे ।
  5. कृषि पर प्रभाव :- वर्षा के प्रतिरूप में परिवर्तन होने से कृषि भी प्रभावित होगी ।
  6. जीव जन्तुओं एवम् वनस्पतियों पर प्रभाव :- जिन जीव-जन्तुओं की ताप सहन करने की क्षमता कम है, वे नष्ट हो जाएंगे। समुद्री जलस्तर में वृद्धि होने से तटवर्ती भागों की वनस्पति जलमग्न हो जाएगी । विश्व में जैव विविधता का ह्यास होगा ।

हरित गृह प्रभाव को नियंत्रित करने के उपाय –

हरित गृह प्रभाव के कारण सम्पूर्ण जैव मण्डल के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। इस प्रभाव को नियंत्रित करने के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं :

  1. हरित गृह प्रभाव के लिए सर्वाधिक योगदान करने वाली गैस कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा में हो रही वृद्धि पर रोक लगानी होगी। इसके लिए जीवाश्मी ईंधनों के जलाने में कमी करनी होगी। वैकल्पिक ऊर्जा साधनों का अधिक प्रयोग करना होगा ।
  2. बड़े स्तर पर हो रहे वन विनाश को रोकने के साथ ही वन क्षेत्रों का विस्तार किया जाना चाहिए ।
  3.  जनसंख्या वृद्धि को रोकने के कारगर उपाय करने होंगे ।
  4. वाहनों तथा उद्योगों में ऐसे उपकरण लगाए जाएं, जिससे प्रदूषित गैसें कम से कम निकलें तथा वायुमण्डल में जाने से पूर्व ही उनका विघटन हो जाए ।
  5. क्लोरोफ्लोरो कार्बन के उत्पादन को निम्नतम स्तर पर लाने का प्रयास हों ।
  6. रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाए। इनके स्थान पर जैविक खादों का उपयोग किया जाना चाहिए ।
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ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है | इसको कम करने के उपाय FAQ –

1. प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली ग्रीन हाउस गैस जो सर्वाधिक ग्रीन हाउस इफेक्ट करती है ?
Ans.- जलवाष्प
2. निम्नलिखित में से कौन-सी एक ग्रीन हाउस गैस नहीं है?
Ans .- हाइड्रोजन
3. ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (Global Warming Potential) के अनुसार निम्नलिखित को आरोही क्रम में व्यवस्थित करें –
1. कार्बन डाइऑक्साइड 2. मिथेन
3. नाइट्रस ऑक्साइड 4. क्लोरोफ्लोरोकार्बन
उपर्युक्त में से कौन-सा सही है ?
Ans – I, II, III, IV
4. उन पदार्थों के समूहों को चुनिए जो सार्वत्रिक तापन (हीट) उत्पन्न करने में योगदान करते हैं
Ans.- मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा जलवाष्प
5. निम्नलिखित में से कौन सी ग्रीनहाउस गैसें बहुत अधिक मात्रा में मौजूद हैं?
Ans – कार्बन डाइऑक्साइड

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