ज्वार भाटा किसे कहते हैं? ज्वार भाटा की उत्पत्ति, प्रकार और लाभ Tides ( Jwar Bhata ) in Hindi

Tides ( Jwar Bhata ) in Hindi

ज्वार भाटा (Tides) –

  • ज्वार भाटा सागरीय जल की गतियों का महत्वपूर्ण प्रक्रम है, क्योंकि चन्द्रमा व सूर्य के आकर्षण से उत्पन्न ज्वारीय तरंगे नियमित रूप से ऊपर उठती तथा गिरती है। समुद्र का जलस्तर सदा एक सा नहीं रहता । यह समुद्री जल दिन में दो बार निश्चित अन्तराल पर ऊपर उठता तथा नीचे गिरता है। समुद्री जलस्तर के ऊपर उठने को ज्वार तथा नीचे उतरने को भाटा कहते हैं । ज्वार भाटा की उत्पत्ति पृथ्वी, चन्द्रमा तथा सूर्य की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण होती है। ज्वार भाटा का स्वभाव तथा ऊँचाई विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग होती है ।

ज्वार भाटा की उत्पत्ति –

  • ज्वार भाटा की उत्पत्ति का कारण चन्द्रमा, सूर्य तथा पृथ्वी की पारस्परिक गुरूत्वाकर्षण शक्ति है। गुरूत्वाकर्षण द्वारा सम्पूर्ण पृथ्वी, सूर्य तथा चन्द्रमा की ओर खिंचती है। परन्तु इसका प्रभाव स्थल की अपेक्षा जल पर अधिक पड़ता है। यद्यपि सूर्य, चन्द्रमा से बहुत बड़ा है तो भी चन्द्रमा के गुरूत्वाकर्षण का प्रभाव सूर्य के प्रभाव से लगभग दो गुना है। इसका कारण यह है कि सूर्य, चन्द्रमा की अपेक्षा पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित है ।

ज्वार भाटा संबंधी विशेषताएँ :

(1) खुले सागरों एवं महासागरों में जल के निर्बाध रूप से बहने के कारण कम ऊँचा ज्वार उत्पन्न होता है । उथले समुद्रों तथा खड़ियों में ज्वारीय तरंगे अधिक ऊँची होती है ।
(2) ज्वार तथा भाटा के बीच सागरीय सतह का अन्तर ज्वारीय परिसर कहलाता है ।
(3) खुले सागरों में ज्वार का अन्तर कम होता है । उथले समुद्र व खाड़ियों में ज्वार का अन्तर अधिक पाया जाता है ।
(4) ज्वार की ऊँचाई पर तटरेखा का प्रभाव पड़ता है ।
(5) ज्वार भाटा का समय प्रत्येक स्थान पर भिन्न-भिन्न होता है ।

ज्वार भाटा के समय में अन्तर

  • प्रत्येक स्थान पर ज्वार 12 घंटे 26 मिनट के अन्तराल के बाद आता है । पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा कर लेती है। इस प्रकार प्रत्येक स्थान पर 12 घंटे बाद ज्वार उत्पन्न होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता । इस अन्तर का यह कारण यह है कि पृथ्वी का एक परिभ्रमण पूर्ण होने पर चन्द्रमा भी अपने पथ पर आगे बढ़ जाता है । चन्द्रमा 28 दिन में पृथ्वी की परिक्रमा पूर्ण करता है। 24 घंटे या एक दिन में यह वृत का 1/28 भाग तय कर लेता है । पृथ्वी का वह स्थान चन्द्रमा के समक्ष पहुँचने में 52 मिनट लगता है । अतः प्रत्येक स्थान पर 12 घंटे 26 मिनट बाद दूसरा ज्वार आता है। इसको चित्र 18.2 की सहायता से समझा जा सकता है ।
Tides ( Jwar Bhata ) in Hindi

ज्वार भाटा के प्रकार —

पृथ्वी, चन्द्रमा तथा सूर्य की अपेक्षित स्थिति के अनुसार उनकी ऊँचाई घटती तथा बढ़ती रहती है। इस आधार पर ज्वार भाटे दो प्रकार के होते हैं-

(1) वृहृत अथवा दीर्घ ज्वार
(2) लघु अथवा निम्न ज्वार

1. वृहत अथवा दीर्घ ज्वार-

  • यह स्थिति पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन होती है। जब सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा तीनों एक सीध में होते हैं। यह स्थिति युत-वियुत अथवा सिजिगी कहलाती है। महीने में एक बार चन्द्रमा इतना पतला नजर आता है कि वह आकाश में चाँदी के एक डोरे की भाँति रह जाता है। इसके विपरीत एक बार चन्द्रमा सम्पूर्ण कलाओं से युक्त होकर वह आकाश में पूर्ण रूप से खिला हुआ नजर आता है। हर महीने में इन दोनों बार सबसे वृहृत अथवा दीर्घ ज्वार उत्पन्न होते हैं। जब सूर्य व चन्द्रमा दोनों पृथ्वी के एक ओर होते हैं तो उसे युति कहते हैं तथा जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच में पृथ्वी होती है तो उसे वियुति कहते हैं (Syzygy)। इस प्रकार युति की स्थिति अमावस्या को एवं वियुति की स्थिति पूर्णिमा को होती है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी पर चन्द्रमा व सूर्य के सम्मिलित गुरूत्वाकर्षण का प्रभाव पड़ता है जिससे दीर्घ ज्वार का निर्माण होता है ।
Tides ( Jwar Bhata ) in Hindi

2. लघु ज्वार-

  • ये साधारण ज्वार की अपेक्षा 20 प्रतिशत कम ऊँचे हाते हैं। महीने के दो दिन शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जब सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा समकोण की स्थिति होते हैं, लघु ज्वार उत्पन्न होते हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा में गुरूत्वाकर्षण एक दूसरे के विरूद्ध काम करते हैं । फलस्वरूप एक कम ऊँचाई वाले ज्वार का निर्माण होता है जिसे निम्न या लघु ज्वार कहते हैं ।

ज्वार भाटा के लाभ

  1. ज्वार उर्जा के स्रोत हैं क्योंकि जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने से उर्जा पैदा की जा सकती है। फ्रांस व जापान में ज्वारीय विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
  2. विश्व के बड़े बंदरगाह समुद्र से दूर नदी के मुहानों पर स्थित है (लंदन, कोलकाता आदि) ज्वारीय जल के साथ जलयान भीतर तक आ पाते हैं।
  3. मछली पकड़ने वाले नाविक ज्वार के साथ खुले समुद्र में मछली पकड़ने जाते हैं तथा भाटा के साथ सुरक्षित तट पर लौट आते हैं ।
  4. ज्वार भाटे की वापसी लहर समुद्र तट पर बसे नगरों की सारी गंदगी समुद्र में बहाकर ले जाती है।
  5. ज्वार भाटे की लहर वापस जाते समय कई समुद्री वस्तुएँ जैसे शंख, घोंघे आदि किनारे पर छोड़ जाती है।
  6. ज्वार भाटे के कारण समुद्री जल गतिशील एवं साफ रहता है तथा जल जमता नहीं है ।
ज्वार भाटा किसे कहते हैं? ज्वार भाटा की उत्पत्ति, प्रकार और लाभ
Geography Notes पढ़ने के लिए — यहाँ क्लिक करें !

ज्वार भाटा (Tides) FAQ –

ज्वार भाटा (Tides) क्या है ?

  • ज्वार-भाटा (tide) वे तरंग हैं…In fact वे सागरीय तरंगे हैं, जो पृथ्वी, चाँद और सूर्य के आपस के आकर्षण से उत्पन्न होते हैं. जब समुद्री जल ऊपर आती है तो उसे “ज्वार” और जब नीचे आती है तो “भाटा” कहते हैं.
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *