वर्ल्ड वाइड वेब: आविष्कार, इतिहास और उपयोग (World Wide Web (WWW) Kya Hai in Hindi)

वर्ल्ड वाइड वेब: आविष्कार, इतिहास और उपयोग (World Wide Web (WWW) Kya Hai in Hindi)

World Wide Web (WWW) Kya Hai in Hindi

वर्ल्ड वाइड वैब संरचना World Wide Web (WWW) – Architecture

  • www architecture मुख्यतयाः इंटरनेट ब्राउज़िंग ( browsing ) के लिये विकसित (Develop) किया गया एक फ्रेमवर्क है, जिसे 1969 में विकसित (Develop) किया गया था।
  • www Client browser, Web browser तथा तृतीय दल अनुप्रयोग (Thir Party Application) से मिलकर बना हुआ समूह www कहलाता है।
  • Client Browser उपभोक्ता के कम्प्यूटर पर तथा वर्क स्टेशन पर रहता है तथा कई प्रकार की समाविष्ट के लिये माध्यम उपलब्ध करवाता है।
  • जैसे यदि कोई उपभोक्ता वेब सर्वर से किसी फाइल को प्राप्त करना चाहता है, ब्राउज़र ( Browser ) स्वयं ही उस फाइल के समान एक्सटेंशन (Extension) वाली एप्लीकेशन प्रारम्भ कर देता है । “
  • यह उसके समान रूप वाली एक्सटेंशन (Extension) वाली फाइलों को प्रदर्शित कर देता है । बेव सर्वर के कार्यों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है—
  1. Information Retrive ( सूचना प्राप्ति)
  2. Date & Transaction Management ( डेटा तथा कार्यसम्पादन प्रबन्धन)
  3. Security (सुरक्षा)

तृतीय दल (Third Party) सेवाओं को वेब सर्वर (Web Server) के आधार पर बाँटा गया है, ये निम्न है

  1. Digital Library ( डिजिटल लाइब्रेरी)
  2. Information Processing Tool (इन्फॉर्मेशन प्रोसेसिंग टूल )
  3. Electronic Payment System ( इलैक्ट्रॉनिक पेमेन्ट सिस्टम)

वेब एक बड़ी संख्या में परिकल्पना (Concept) और तकनीक (Technology) का मिला-जुला रूप है। इसमें मुख्यतः 3 परिकल्पनाए (Concepts) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं-

Global hyper text publishing concept (ग्लोबल हाइपर टैक्स्ट पब्लिशिंग कन्सेप्ट )

  • यह Hypertext इस बिन्दु को ध्यान में रखकर बनाया गया है कि सभी प्रकार की ऑनलाईन जानकारी को आसानी से तथा Consistence तकनीक द्वारा प्राप्त किया जा सके ।
  • सूचना एवं जानकारी को प्राप्त करने के लिये कई प्रकार के डेटा जैसे – Text file, images, Sound file, animation आदि के साथ उपस्थित होनी चाहिये ।

Universal Readership Concept ( यूनिवर्सल रीडरशिप कन्सेप्ट )

  • इस परिकल्पना (Concept) के द्वारा यह ध्यान में रखा जाता है कि जब सूचना (Information) को सत्यापित किया जाता है, तब उस सूचना ( Information) का अधिकृत (Authorized) उत्पादक के द्वारा एक आसान प्रोग्राम के साथ किसी भी देश में तथा किसी भी वेब ब्राउज़र (Web browser) पर एक्सेस हो जाना चाहिये । वेब में इस कार्य को करने के लिये ब्राउज़र (Browser) तथा अनुप्रयोग (Application) का उपयोग किया जाता हैं

The Client / Server Concept ( द क्लाइंट / सर्वर कन्सेप्ट )

बिना किसी नियंत्रण के वेब आसानी से बढ़ता जा रहा है। किसी भी सूचना ( Information) को वेब पर प्रकाशित (Publish ) कर सकते हैं तथा कोई भी अधिकृत (Authorize) व्यक्ति पढ़ व डाउनलोड (Download) कर सकते हैं । सूचना (Information) को प्रकाशित (Publish) करने के लिये सर्वर प्रोग्राम की आवश्यकता होती है तथा डेटा को पढ़ने व रखने के लिये क्लाइंट ब्राउज़र की आवश्यकता होती है।
सभी क्लाइंट तथा सर्वर इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं । विभिन्न प्रकार के प्रोटोकॉल के द्वारा क्लाइंट सभी सर्वर के साथ संचार ( Communicate ) करने में मदद करते हैं। www architecture को इस प्रकार समझा जा सकता है-

  1. Web Browser ( वेब ब्राउज़र )
  2.  Web Services (वेब सर्विसेस)
  3. Web Protocols (वेब प्रोटोकॉल)

1. Web Browser ( वेब ब्राउज़र )

  • वेब ब्राउज़र (Web browser) इंटरनेट एप्लीकेशन को क्लाइंट कम्प्यूटर पर प्रदर्शित करने वाले अनुप्रयोग (Application) सॉफ्टवेयर होते हैं जिनकी मदद से वेब साईट को क्लाइंट कम्प्यूटर पर लोड किया जाता है। यह कार्य वेब ब्राउज़र द्वारा किया जाता है । वेब ब्राउज़र Web browser के कुछ उदाहरण MS-internet explorer, Opera, firefox google chrome, netscape navi- gator इत्यादि ।

2. Web Services ( वेब सर्विसेस )

  • इसके अन्तर्गत वेब पर उपलबध तथा Download होने वाले अनुप्रयोग (Application) सॉफ्टवेयर अथवा Package जिनको सर्वर सिस्टम से लांच किया जाता है, वेब सेवाओं के अन्तर्गत वेब साईट के माध्यम से इन्टरनेट पर Surfing, Downloading, Chating आदि सेवायें उपलब्ध की जाती हैं ।

3. Web Protocols ( वेब प्रोटोकॉल )

  • इंटरनेट पर Data transaction सही तरह से हो इसके लिये उपयोग में आने वाले माध्यम का प्रयोग किया जाता है, जिससे डेटा संचार (Data communication) को सुरक्षा भी प्रदान (Provide ) कराई जा सके, उन्हें प्रोटोकॉल कहते हैं।
  • यहे प्रोटोकॉल डेटा को भेजने तथा प्राप्त करते समय अधिकृत (Authorized) व्यक्ति तक पहुँचाने के लिये जिम्मेदार (Responsible) होते हैं। www में यह प्रोटोकॉल FTP, TCP, IP तथा HTTP के नाम से जाने जाते हैं ।

वेब के कई महत्त्वपूर्ण परिकल्पना (Concepts) होते हैं, जिनमें से मुख्य हैं-

  1.  URL – Uniform Resource Location ( यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेशन)
  2. HTTP—Hypertext Transfer Protocol (हाईपर टैक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल)
  3. HTML—Hypertext Mark-up Language (हाईपर टैक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज)

1. URL – Uniform Resource Location ( यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेशन )

  • यह एक प्रकार की एड्रेस योजना (Address Scheme) है, जिसके द्वारा कई प्रोटोकॉल का उपयोग सम्भव है। URL एक सशक्त (Strong ) होता है जो कि वेब पर Object, Document, images के एड्रेस के लिये उपयोग में ली जाती है। जिस तरह से किसी घर का पता यूनिक होता है, उसी तरह ई – मेल एड्रेस भी यूनीक होते हैं, अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्तियों का ई-मेल एड्रेस एक जैसा नहीं हो सकता। इसका उपयोग करके किसी भी इन्टरनेट उपभोक्ता को ई-मेल भेजा जा सकता है। URL इन्टरनेट पर फाइल तथा सेवाओं के लिये यूनीक लोकेशन बताता है।

2. HTTP— Hypertext Transfer Protocol (हाईपर टैक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल)

  • यह एक ऐसा प्रोटोकॉल है जो कि Requesting Client और सर्वर के बीच सूचना ( Information) को कुशलतापूर्वक हस्तान्तरण (Efficiently transfer) करने के लिये उपयोग में लिये जाते हैं | HTTP एक Internet प्रोटोकॉल है जो कि फाइल Transfer प्रोटोकॉल तथा Network news transfer Protocol के समान ही होता है। जिन्हें इंटरनेट पर फाइल तथा समाचार को भेजने के लिये उपयोग में लिया जाता है ।

3. HTML — Hypertext Markup Language (हाईपर टैक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज)

  • वेब पर किसी भी पेज को दर्शाने के लिये एक वर्णात्मक (Descriptive) भाषा का उपयोग किया जाता है। इस भाषा को Hyper-text mark-up language कहा जाता है जिसके द्वारा वेब पर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है ।

World Wide Web (WWW) Kya Hai in Hindi FAQs-

Global Web Chief कौन है?

  • टिम-बर्नर्स-ली सही उत्तर है। 1989 में, ब्रिटिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली ने CERN में काम करते हुए वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) बनाया था। मार्च 1989 में Tim Burners-Lee ने World Wide Web के लिए पहला प्रस्ताव और मई 1990 में दूसरा प्रस्ताव लिखा।

WWW के तीन प्रकार क्या हैं?

  • वेबसाइटों को मोटे तौर पर तीन प्रमुख श्रेणियों में रखा जा सकता है: स्थिर, गतिशील और ई-कॉमर्स वेबसाइटें प्रत्येक की अपनी खासियत, लाभ और उपयोगिता है। आइए उनमें से प्रत्येक को करीब से देखें।
E Commerce Notes पढ़ने के लिए :- यहाँ क्लिक करे !
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Leave A Comment For Any Doubt And Question :-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *