तुगलक वंश or फिरोज शाह तुगलक

फिरोज शाह तुगलक (1351-1388 ई.)

  • मुहम्मद तुगलक के न कोई पुत्र था और न ही अपना कोई उत्तराधिकारी।
  • यह एक हिन्दू मां का पुत्र था। इसकी मां का नाम नैला देवी था।
  • इसने तेलंगाना के एक ब्राह्मण जो इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था मलिक मकबूल को अपना वजीर नियुक्त किया और इसे खान-ए-जहां की उपाधि प्रदान की।
  • फिरोज तुगलक अपने प्रशासनिक और लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध था।
  • कुछ इतिहासकारों ने इसे सल्तनत काल का अकबर कहा।

प्रशासनिक एवं लोक कल्याणकारी कार्य

1. ऋणों की समाप्ति

  • मुहम्मद तुगलक द्वारा किसानों को दिए गये ऋण को इसने माफ कर दिया और ऋण पंजिकाओं को नष्ट करा दिया।

2. राजनीतिक अपराधों के दण्ड विधान में परिवर्तन

  • इसने राजनीतिक अपराध जैसे राजद्रोह गबन के दण्ड विधान में परिवर्तन करके कठोर दण्ड की जगह सामान्य दण्ड देने की व्यवस्था की।

3. सरकारी सेवाओं को वंशानुगत बनाया

  • फिरोज तुगलक ने आदेश दिया कि सरकारी सेवक के वृद्ध होने या मृत्यु होने पर उसके पुत्र अथवा दामाद अथवा दास को सरकारी सेवा में नियुक्त किया जाय।

4. बुद्धिजीवियों को राहत

  • इसने धार्मिक एवं शैक्षिणिक कार्यों से जुड़े मुस्लिम व्यक्तियों को कर मुक्त भूमि अनुदान दिया। उल्लेमाओं (धार्मिक वर्ग) ने इसे दिल्ली का आदर्श सुल्तान घोषित किया।

5. नकद वेतन की जगह जागीर देने की व्यवस्था

6. राजस्व व्यवस्था में सुधार

  • फिरोज तुगलक दिल्ली का पहला सुल्तान है जिसने राज्य का हासिल तैयार कराया। इसके लिए इसने ख्वाजा हुसामुद्दीन को नियुक्त किया। इन्होंने 6 वर्ष कार्य करके राज्य का हासिल तैयार किया। इनके अनुसार राज्य की वार्षिक आय 6 करोड़ 75 लाख टंका थी।
    फिरोज तुगलक ने 24 ऐसे करों को समाप्त किया जिन्हें सरियत मान्यता नहीं देता। उसने दिल्ली के ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया।

7. मुद्रा में सुधार

फिरोज तुगलक ने 3 प्रकार की मुद्राओं का प्रचलन किया।

  1.  शंशगनी- यह चांदी की मुद्रा थी यह टंका के मूल्य के 1/6 थी।
  2.  अध – यह तांबे की मुद्रा थी यह जीतल के मूल्य के 1/2 थी।
  3.  विख- यह तांबे की मुद्रा थी यह जीतल के मूल्य के 1/4 थी।

8. नहरों का निर्माण

  • सुल्तान ने अनेक नहरों का निर्माण कराया। यह नहरें दिल्ली एवं हरियाणा के मध्य केन्द्रित थी। जो किसान इन नहरों से सिंचाई करते थे उनसे (हर्ब-ए-सर्व) सिंचाई कर लिया जाता था जो उपज का 1/10 होता था।

9. दासों से प्रेम

  • यह सर्वाधिक दास प्रेमी सुल्तान था। इसके पास एक लाख 80 हजार दास थे। इसने दासों को नियंत्रित करने के लिए दीवान-ए-बंदगान अर्थात् दासों का विभाग स्थापित किया। प्रत्येक दास को 10 से 100 टंका वार्षिक वेतन दिया जाता था।

10.शिफाखाना की व्यवस्था- (निःशुल्क चिकित्सालय)

  • सुल्तान ने अनेकों निःशुल्क चिकित्सालय की स्थापना करायी।

11. रोजगार दफ्तर की स्थापना

दिल्ली के कोतवाल के माध्यम से इसने बेरोजगारों को रोजगार देने की व्यवस्था की।

12. निकाह दफ्तर की स्थापना

  • इस दफ्तर से गरीब मुसलमानों की कन्याओं के विवाह के लिए आवश्यकता अनुसार 50, 30, 25 टंका धन दिया जाता था।

13. कारखानों का निर्माण

सुल्तान ने दो प्रकार के कारखाने का निर्माण कराया।

  1.  रातिबी कारखाना – इसमें मनुष्यों तथा पशुओं के लिए भोजन तैयार किया जाता था।
  2.  गैर रातिबी कारखाना – इसमें सुल्तान व उसके परिवार के लोगों एवं अमीरों के दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं तैयार की जाती थीं।

14. उद्यानों से प्रेम

  • सुल्तान को उद्यानों से बहुत प्यार था। इसने केवल दिल्ली के आसपास फलों के 1200 बाग लगवाये। . फिरोज तुगलक इस्लाम धर्म के प्रति अत्यधिक कट्टर था।
  • इसने स्त्रियों को सन्तों के मकबरों पर जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

फिरोज तुगलक के उत्तराधिकारी

  • फिरोज के दो पुत्र थे फतेह खां और मुहम्मद शाह।
  • इनमें फतेह खां की मृत्यु फिरोज तुगलक के जीवन काल में हो गयी और मुहम्मद शाह को फिरोजी दासों ने राजधानी से भगा दिया।
    इस कारण फतेह खां का पुत्र तुगलकशाह द्वितीय उत्तराधिकारी बना जो 1388-89 तक शासन किया।
  • 1389 में इसकी मृत्यु के बाद इसका छोटा भाई अबूबक्रशाह दिल्ली का सुल्तान बना।

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