British and Maratha war in Hindi

अंग्रेज और मराठा युद्ध ( British and Maratha war )

  • पानीपत के तृतीय युद्ध में मरामराठों ठों को धक्का लगा था परन्त पेशवा माधवराव ने अपनी शक्ति पुन: संगठित कर ली। 1772 में माधवराव की मृत्यु के बाद उसका भाई नारायण पेशवा बना।
  • यणराव की हत्या करके रघुनाथराव (राघोबा) पेशवा बना। नाना फडनवीस ने राघोबा का विरोध कर नारायण राव के नवजात पत्र को माधवराव द्वितीय के नाम से पेशवा घोषित कर दिया।

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सूरत की संधि (मार्च, 1775 ई.)-

  • नाना फड़नवीस के विद्रोह के कारण राघोबा भागकर सूरत आ गया। उसने कम्पनी की बम्बई सरकार से 6 मार्च, 1775 ई. में सूरत की संधि कर ली, जिसमें राघोबा ने बम्बई सरकार को थाना, सालसेट, बसीन, जम्बूसर अंग्रेजों को देना स्वीकार किया। बदले में कम्पनी ने राघोबा को पेशवा बनाने का वचन दिया। यह संधि कलकत्ता कौंसिल की जानकारी के बिना बम्बई सरकार द्वारा की गई थी। कलकत्ता कौंसिल ने इसका विरोध किया था।

पुरन्दर की संधि (मार्च, 1776 ई.)-

  • राधोबा ने पूना पर जानकार कर लिया था। अतः पना सरकार व अंग्रेजों के बीच 1 माच, 1776 ई. को पुरन्दर की संधि हुई। जिसमें अंग्रेजों ने का पक्ष इस शर्त पर छोडा कि बसीन व सालसेट उनके पास ही रहेंगे। बम्बई सरकार द्वारा कम्पनी से सूरत की संधि की “कृति प्राप्त कर लेने के कारण परन्दर की संधि लागू न हो सकी।

बड़गांव संधि (जनवरी, 1779 ई.)-

  • बम्बई सरकार ने राघोबा के पक्ष में पूना पर आक्रमण करने के लिये सेना भेजी। जनवरी 1779 ई. में तेलगांव स्थान पर मराठों ने अंग्रेजों को हराया तथा उन्हें बड़गांव की अपमानजनक संधि करने के लिए बाध्य होना पड़ा। वारेन हेस्टिंग्स इस संधि को मानने हेतु तैयार नहीं था।

साल्बाई की संधि (मई, 1782 ई.)-

  • कर्नल गॉडर्ड व मराठों के बीच युद्ध चल रहा था। उसी समय हैदर अली ने कर्नाटक पर धावा बोल दिया। इसके बाद अंग्रेजों की निरन्तर पराजय होने लगी। फलस्वरूप 17 मई, 1782 ई. में अंग्रेजों व मराठों के बीच साल्बाई की संधि हो गई। जिसके अनुसार-(1) अंग्रेजों ने राघोबा का साथ छोड़ दिया। (2) मराठों के सभी भूभाग (सालसेट व भडौंच के अलावा) लौटा दिये। (3) महादजी. को ग्वालियर लौटा दिया।

बसीन की संधि (दिसम्बर, 1802 ई.)-

  • वेलेजली तो मराठा राजनीति में हस्तक्षेप करने का अवसर ढूँढ रहा था अतः ज्योंही पेशवा ने सहायता माँगी तो वेलेजली सशर्त सहायता को तैयार हो गया कि पेशवा उसकी सहायक संधि स्वीकार करे। पेशवा की 31 दिसम्बर, 1802 को कम्पनी के साथ बसीन की संधि हो गयी जिसके अनुसार-(1) पेशवा अंग्रेजों की अनुमति के बिना यद्ध. संधिव पत्र व्यवहार नहीं करेगा। (2) पेशवा 6000 अंग्रेज सैनिकों को पूना में रखेगा वं 26 लाख रुपये वार्षिक आय का भू-भाग अंग्रेजों को देगा। (3) पेशवा सूरत अंग्रेजों को देगा।
  • इस संधि द्वारा पेशवा ने मराठों के सम्मान व स्वतन्त्रता को अंग्रेजों के हाथों बेच दिया। ओवन ने लिखा कि इस संधि के पश्चात् कम्पनी का सम्पूर्ण भारत पर राज्य स्थापित हो गया।

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