न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम
Gravitation And Newton’s Laws of Gravitation Notes In Hindi
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1 . न्यूटन के गति का प्रथम नियम ( जड़त्व का नियम )
2 . न्यूटन के गति का द्वितीय नियम ( संवेग का नियम )
गुरुत्वाकर्षण
- चार मौलिक बलों में गुरुत्वाकर्षण एक कमजोर अथवा क्षीण मौलिक बल है, जो ब्रह्मांड में प्रत्येक कण या पिण्ड के बीच उनके द्रव्यमान के कारण लगता है। इसे न्यूटन ने अपनी पुस्तक प्रिंसीपिया (Principia) में प्रकाशित किया था।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton’s Law of Gravitation) :
- ब्रह्माण्ड में किन्हीं दो पिंडों के मध्य कार्य करने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती (directly proportional) तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (inversely proportional) होता है।
- माना कि m, एवं m, द्रव्यमान के दो पिण्ड एक-दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं, तो न्यूटन के नियमानुसार उनके बीच लगने वाला आकर्षण बल F होगा–
- F
m1 m2 और F
या, F= G
जहाँ G एक नियतांक है।
- G को सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (Universal Gravitational Constant) कहते हैं, जिसका मान 6.67×10-11 Nm2/kg- होता है।
गुरुत्व (Gravity):
- न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम में गुरुत्वाकर्षण वह आकर्षण बल है, जो किन्हीं दो वस्तुओं के बीच कार्य करता है। यदि इन वस्तुओं में एक वस्तु पृथ्वी हो, तो गुरुत्वाकर्षण का गुरुत्व कहते हैं। अतः गरुत्व वह आकर्षण बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र का ओर खींचती है। अतः गुरुत्व गुरुत्वाकर्षण का एक उदाहरण है। गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी की सतह से मुक्त रूप से फेंकी गयी वस्तु वापस पृथ्वी की सतह पर आकर गिरती है।
गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration Due to Gravity):
- जब कोई वस्तु ऊपर से मुक्त रूप से छोड़ी जाती है, तो वह गुरुत्व बल के कारण पृथ्वी की ओर गिरने लगती है और जैसे-जैसे वस्तु पथ्वी के सतह के निकट आती जाती है, उसका वेग बढ़ता जाता है। अतः उसके वेग में त्वरण उत्पन्न हो जाता है। इसी त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते है। यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो, तो इस पर कार्य करने वाला गुरुत्वीय बल mg (वस्तु का भार) के बराबर होगा। अतः गुरुत्वीय त्वरण उस बल के बराबर होता है, जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती हैं। यह वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान इत्यादि पर निर्भर नहीं करता। इसे 8 से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक ‘मीटर/सेकेंड’ अथवा ‘न्यूटन/किग्रा’ है।
गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ एवं गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक ‘G’ में संबंध :
- माना कि पृथ्वी का द्रव्यमान M. तथा त्रिज्या R है, तथा पृथ्वी का कुल द्रव्यमान उसके केन्द्र पर संकेन्द्रित है। माना कोई वस्तु, जिसका द्रव्यमान m है, पृथ्वी तल अथवा उससे कुछ ऊँचाई पर स्थित है। पृथ्वी की त्रिज्या के सापेक्ष पृथ्वी तल से वस्तु की दूरी उपेक्षणीय है। अतः वस्तु की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी R के ही बराबर मानी जा सकती है। अतः गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार, पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगाया गया आकर्षण बल–
F= G - अब न्यूटन की गति के दूसरे नियम के अनुसार, बल F के कारण वस्तु में गुरुत्वीय त्वरण 8 उत्पन्न होता है। इसीलिए बल–
F= mg [बल = द्रव्यमान – त्वरण]
इससे स्पष्ट है कि गुरुत्वजनित त्वरण का मान द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। अतः भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों की दो वस्तुएँ मुक्त रूप से (वायु की अनुपस्थिति में) ऊपर से गिराई जायें, तो उसमें समान त्वरण उत्पन्न होगा। अर्थात् समान ऊँचाई से एक साथ गिरने वाली वस्तु पृथ्वी पर एक ही साथ पहुंचेगी। वायु की उपस्थिति में वस्तु पर वायु का श्यानकर्षण (Viscous Drag) तथा उत्प्लावन प्रभाव (Buoyancy Effect) का प्रभाव पड़ता है। इस दशा में भारी वस्तुओं का त्वरण हल्के वस्तुओं की अपेक्षा अधिक होता है। इसी के कारण भारी वस्त हल्के वस्त की तलना में पहले पृथ्वी पर पहुंचेगी।