Magadh-Samrajya History in hindi

मगध साम्राज्य ( Magadh-Samrajya )

  • ‘मगध’ का सबसे पहले उल्लेख ‘अथर्ववेद’ में मिलता है। यह राज्य दक्षिण बिहार (वर्तमान पटना एवं गया) में विस्तृत था। इसकी प्रारम्भिक राजधानी राजगृह (गिरिव्रज) थी, जो बाद में पाटलिपुत्र स्थानान्तरित कर दी गई।
  • मगध साम्राज्य का आगे बढ़ने का एक सबसे अच्छा कारण ये था कि यहाँ के रहने वाले लोग ज्यादा लगान (Tax) दिया करते थे। क्योंकि ये गंगा और सोन नदी के दोआब (दो नदियों का तराई क्षेत्र) में पड़ रहा है। तराई क्षेत्र में कृषि ज्यादा होगी, अगर कृषि ज्यादा होगी तो लोग ज्यादा कर (Tax) भरेंगे राजा को। और अगर राजा को ज्यादा कर मिलेगा तो राजा अपनी सेनाओं को, अपने खर्चों को सबको बड़ा करेगा। यही एक वजह रहती है जिससे मगध साम्राज्य अन्य महाजनपदों के मुकाबले बहुत आगे निकल जाता है।
  • इसकी प्रथम राजधानी राजगीर के निकट गिरिब्रज/राजगृह थी।

मगध साम्राज्य के प्रमुख शासक 

(1) बिम्बिसार (544 – 492 ई. पू.):

  • हर्यक वंश का संस्थापक जिसकी राजधानी राजगृह थी।

(2) अजातशत्रु ( 492 – 460 ई. पू.):

  • अजातशत्रु ने राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया तथा बुद्ध के अवशेषों पर स्तूप का निर्माण करवाया। अजातशत्रु को ‘पितृहन्ता’ कहा गया है। पुत्र उदायिन द्वारा उसकी हत्या।

(3) उदायिन (460 – 444 ई. पू.)

  • इसने पाटलीपुत्र राजधानी बनाई।

(4) शिशुनाग (412 – 394 ई. पू.)

  • यह शिशुनाग वंश का संस्थापक था।
  • – मगध. की राजधानी पुनः गिरिव्रज (राजगृह) बनाई। शिशुनाग ने वैशाली को मगध की दूसरी राजधानी बनाया।

(5) कालाशोक ( 394 – 366 ई. पू.):

  • इसने वैशाली के स्थान पर पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया।

(6) महापद्मनन्द (उग्रसेन):

  • शिशुनाग वंश का अन्त करने वाला एवं नन्द वंश का संस्थापक।

(7) धननन्दः

  • अंतिम नन्द शासक जिसके शासनकाल में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था।

मगध पर शासन करने वाले प्रमुख राजवंश

  1. बृहद्रथ वंश
  2. हर्यक वंश
  3. शिशुनाग वंश
  4. नंद वंश
  5. मौर्य वंश
  6. शुंग वंश

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